श्री आई ज्योति पत्रिका

श्री आईजी विद्यापीठ संस्थान, जवाली पाली राजस्थान की पत्रिका “श्री आई ज्योति” (हिन्दी त्रैमासिक पत्रिका) श्री आईजी विद्यापीठ संस्थान की हिन्दी के प्रचार-प्रसार तथा प्रोत्साहन को समर्पित त्रैमासिक पत्रिका है, जिसे श्री आईजी विद्यापीठ संस्था, द्वारा प्रकाशित किया जाता है । श्री आई ज्योति त्रैमासिक पत्रिका का प्रथम अंक जनवरी, 2011 में श्री आईजी संस्थान के प्रथम सम्पादक, श्री पोमाराम परिहार नारलाई, श्री लालाराम काग नारलाई व्यवस्थापक, सह-संपादक श्री जगाराम हाम्बड़ तथा श्री हीराराम गेहलोत के कार्यकाल में प्रकाशित हुआ था । श्री आईजी विद्यापीठ के दायित्वों में हिंदी के प्रगामी प्रयोग को प्रोत्साहन देने के लिए पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन भी एक प्रमुख दायित्व है । इस पत्रिका का मुख्य उदशेय शिक्षा के माध्यम से आमजन को जागरूक करना है। साथ ही साथ श्री आई ज्योति, श्री आईजी विद्यापीठ की प्रचारिका भी है। इस पत्रिका के संपादक मंडल का चयन योग्यता के आधार पर किया जाता है। जो व्यक्ति साहित्य तथा प्रकाशन की योग्यता रखता है वही संपादक व सह-सम्पादक बनता है। इस पत्रिका में सभी जाति, धर्म, वर्ग व संप्रदाय के लेख छपते है तथा इसके ग्राहक भी सभी जाति, धर्म, वर्ग के लोग बन सकते हैं। भारत सरकार के पंजीयन कार्यालय से इस पत्रिका का पंजीयन हो चूका है तथा इसके पंजीयन क्रमांक : RAJHIN/2011/50648 है। पत्रिका के लिए रचनाओं के चयन व प्रकाशन का अधिकार संपादक मंडल को है लेकिन श्री आईजी विद्यापीठ संस्थान के सुझावों पर गौर किया जाता है। पूर्वाग्रह या अन्य दृष्टिकोण से दिए गए सुझाव नजर अंदाज किए जाते है।पत्रिका समय पर ग्राहक तक पहुंचे इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इस पत्रिका के माध्यम से श्री आईजी विद्यापीठ द्वारा संचालित समस्त प्रकल्पों को आमजन तक पहुंचाया जा सकता हैं। श्री आईजी विद्यापीठ संस्थान संबंधी सांविधानिक और कानूनी उपबंधों का अनुपालन सुनिश्चित करने और श्री आईजी विद्यापीठ संस्थान के काम-काज में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए श्री आई ज्योति पत्रिका के एक स्वतंत्र विभाग के रूप में जनवरी, 2011 में श्री आई ज्योति पत्रिका हिन्दी त्रेमासिक पत्रिका की स्थापना की गई थी । उसी समय से यह संस्थान के काम-काज में हिंदी का प्रगामी प्रयोग बढ़ाने के लिए प्रयासरत है । यह पत्रिका न केवल उस दायित्व का निर्वाह करती है वरन्‌ संपूर्ण संघ समाज के विभिन्न सामाजिक कार्यलयों आदि में हिंदी संबंधी गतिविधियों के वृहत प्रचार हेतु एक औपचारिक मंच भी प्रदान करती है । जनकृति में साहित्य किसी भी विधा में रचनाएँ साथ ही साहित्य, कला, समाज, राजनीति, विज्ञान इत्यादि से संबंधित विषयों पर लेख भेज सकते हैं. पत्रिका में शोध आलेख भी स्वीकृत किये जाते हैं- शोध आलेख हेतु नियम नीचे दिए गए हैं इन नियमों के आधार पर भेजे गए शोध आलेख स्वीकृत किये जाएंगे नियम अनुभूति और अभिव्यक्ति में आपकी अनुभूति और रचनात्मक अभिव्यक्ति का स्वागत है। सी आई ज्योति (हिन्दी त्रेमासिक पत्रिका) के लिए हम कहानी, कविता, हास्य व्यंग्य, नाटक तथा हर प्रकार के साहित्य, संस्कृति, परिवार, स्वास्थ्य, पर्यटन, चित्रकला तथा बाल साहित्य से संबंधित हिंदी रचनाएँ आमंत्रित करते है। विशेषांकों से संबंधित सामग्री कृपया एक महीने पहले अवश्य भेज दें। रचनाएँ पहले से वेब पर किसी भी वेबसाइट या ब्लाग आदि में प्रकाशित नहीं होनी चाहिये। पत्र-पत्रिकाओं में पूर्वप्रकाशित रचनाओं के साथ निम्नलिखित सूचना को संलग्न करना आवश्यक है :  पुस्तक या पत्रिका का नाम, प्रकाशक का नाम तथा पता, रचना यदि किसी पत्रिका से ली गई है तो अंक की तिथि तथा वर्ष, तथा संपादक का नाम होना भी ज़रूरी है।

शर्तें

अभिव्यक्ति व अनुभूति अव्यवसायिक पत्रिकाएँ हैं। इनमें रचनाएँ प्रकाशित करने के लिए जबतक पहले से सूचित न किया गया हो, कोई भी धनराशि ली अथवा दी नहीं जाती है। पत्रिका के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इसका शीर्षक बदलने अथवा इसमें संपादन करने का अधिकार संपादक मंडल के पास है। स्थान के अनुसार रचना को अनेक पृष्ठों व अंकों में विभाजित किया जा सकता है। पृष्ठ संरचना के अनुसार किसी भी रचना के साथ चित्रों को संबंधित करने का निर्णय और अधिकार संपादक मंडल का है। अभिव्यक्ति व अनुभूति को प्रकाशनार्थ भेजी गई रचनाएँ लेखक के व्यक्तिगत अन्य पत्रिका को नहीं भेजी जानी चाहिये। यदि पहले या बाद में उन्हें किसी अन्य हिंदी मानसिक पत्रिका पर देखा गया तो उन्हें अभिव्यक्ति व अनुभूति से हटाया जा सकता है। रचना की स्वीकृति की सूचना देर से देर एक महीने के अंदर भेज दी जाती है। अस्वीकृत रचनाओं के विषय में पत्रव्यवहार नहीं किया जाता। अत: लेखकों से नम्र निवेदन है कि वे एक माह तक प्रतीक्षा करें। स्वीकृत रचनाओं के प्रकाशन में सामान्य रूप से १ से ३ महीने तक का समय लगता है। कृपया अनुस्मरण (रिमाइंडर) भेजने से पहले इतनी प्रतीक्षा अवश्य करें। एक से अधिक रचनाएँ स्वीकृत हैं तो दोनों के प्रकाशन के बीच में ६ माह या अधिक का समय लग सकता है। नई हवा की कविताओं में संशोधन किए जा सकते हैं। अत: अगर संशोधन न चाहें तो कृपया इस स्तंभ के लिए रचना न भेजें। सभी विषयों से संबंधित निबंधों और लेखों की शब्द संख्या १००० से २००० शब्दों के बीच होनी चाहिये

कहानियों के विषय में विशेष-

. श्री आई ज्योति पत्रिका के अंतर्गत प्रकाशन के लिए भेजी गई कहानी की लंबाई २५०० शब्दों से ३५०० शब्दों के बीच होनी चाहिये। लघुकथा की लंबाई ५०० शब्दों के आसपास होनी चाहिये। प्रेरक प्रसंग के लिए भेजी गई कहानियाँ भी लगभग ५०० शब्दों की होनी चाहिये। कहानी में प्रयोग किए गए एक या अधिक वाक्यों, वाक्यांशों अथवा अनुच्छेदों के हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेज़ी अन्य किसी भाषा में होने पर टीम द्वारा उसका हिंदी अनुवाद कर दिए जाने की संभावना है।

कविताओं के विषय में विशेष:

एक बार में एक ही विधा की स्वरचित कविताएँ एक ही वर्ड (.doc) या टेक्स्ट (.txt) फ़ाइल में ५ से ७ की संख्या में भेजी जानी चाहिये अर्थात ७ कविताओं के लिए ७ फ़ाइलें नहीं भेजी जानी चाहिये। कविताओं के साथ कवि का परिचय तथा जेपीजी (.jpg) फॉरमैट में फोटो भी संलग्न किया जाना चाहिये। फोटो का आकार २५० पिक्सेल × ४०० पिक्सेल से छोटा नहीं होना चाहिये। एक बार कविताएँ प्रकाशित करने के बाद एक ही कवि की कविताएँ ६ महीने से पहले दुबारा प्रकाशित करना संभव नहीं होता है। अत: अगली बार कविताएँ पर्याप्त समय हो जाने पर ही भेजें। ये नियम अनुभूति में विशेष अवसरों पर आयोजित विशेषांकों और महोत्सवों पर लागू नहीं होते हैं। समय समय पर आयोजित किए जाने वाले इन विशेषांकों और महोत्सवों में उस समय दिए गए विषय से संबंधित लगभग सभी कविताओं को तुरंत प्रकाशित कर दिया जाता है। इस समय एक कवि जितनी चाहे उतनी रचनाएँ भेज सकता है और कई बार एक कवि की एक से अधिक रचनाएँ भी प्रकाशित होती हैं। (नए कवि विशेष रूप से इन अवसरों का लाभ उठाएँ) कृपया हर रोज़ हर पत्र में एक कविता संलग्न न करें। ऐसी कविताओं पर विचार करना संभव नहीं है।

उद्देश्य

‘अभिव्यक्ति’ व ‘अनुभूति’ का उद्देश्य हिंदी साहित्य को विश्व के हर कोने में सुलभ कराना है जिससे विश्व भर में फैले हिंदी प्रेमी अपनी सुविधानुसार इसका रसास्वादन और अध्ययन कर सकें। हमारा उद्देश्य होगा कि विश्व के हर कोने में हिंदी साहित्य की रचना में संलग्न लेखकों को एक मंच पर लाया जा सके जहाँ वे अपने अनुभवों और रचना प्रतिभा का आदान प्रदान कर सकें और इस प्रकार हिंदी के विकास में सहायक बनें। हिंदी साहित्य की लोकप्रियता को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करना तथा नए लेखकों की रचनाएँ प्रकाशित कर के उन्हें प्रोत्साहित करना।

प्रत्याख्यान

अभिव्यक्ति व अनुभूति पत्रिकाओं में प्रकाशित लेखों व रचनाओं के विचार कवियों और लेखकों के व्यक्तिगत विचार हैं। संपादक मंडल का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है। ‘अभिव्यक्ति’ व ‘अनुभूति’ व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिकाएँ हैं। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह सूचना प्रत्येक पृष्ठ पर प्रकाशित कर दी गई है। इसके बाद भी यदि कोई सर्वाधिकार का दुरुपयोग करता है तो इसका उत्तरदायित्व और परिणाम पूरी तरह से दुरुपयोग करने वाले को भुगतना होगा।

ध्यान दें-

जो ईमेल हिंदी के अतिरिक्त अन्य भाषाओं या लिपियों में भेजे जाते हैं उन्हें बिना पढ़े मिटा दिये जाने की संभावना है। अतः रचनाओं के साथ भेजे गए पत्र हिंदी में होने आवश्यक हैं।

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