सीरवी सन्देश पत्रिका

त्रैमासिक पत्रिका के सम्पादक: जीवन परिचय एवं कार्यकाल

समाज के साहित्यिक दपर्ण सीरवी सन्देश (त्रैमासिक) की शुरुआत राजस्थान सीरवी मण्डल, जोधपुर के तत्वावधान में सन् 1975 में श्री प्रभुलालजी लखावत (बिलाड़ा) द्वारा की गई थी। इसका पहला अंक मार्च 1975 में प्रकाशित हुआ था, इसके बाद राजेन्र्द कुमारजी काग (बिलाड़ा) एवं उनके बाद वैद्य श्री पुखराजजी राठौड़ (बिलाड़ा) इस त्रैमासिक पत्रिका के सम्पादक रहे। आप तीनों के कार्यकाल में पत्रिका के कई अंक निकले, परन्तु 1978-1979 आते-आते त्रैमासिक पत्रिका का सफर समाप्त हो गया। इसके बाद सन् 1988 में इस त्रैमासिक पत्रिका ने मासिक पत्रिका के रूप में पुनः अपना नया जीवन व सफर शुरू किया।

श्री प्रभुलालजी लखावत (परिहरिया-बिलाड़ा)
प्रथम व पूर्व सम्पादक, त्रैमासिक पत्रिका “सीरवी सन्देश”

सरल,ह्रदय, धर्मप्रेमी, सहयोगी एवं इतिहास के छात्र रहे श्री प्रभुलालजी लखावत का जन्म दिनांक 01.08.1946 को बेरा-लखावतो का नोकड़ा (रोहितदासजी मंदिर, रनिया बेरा के पास) पर साधारण किसान श्री जोरारामजी लखावत के घर हुआ। माता श्रीमती रामी बाई के स्नेह आंचल में पले श्री लखावत ने जोधपुर विश्वविद्द्यालय से इतिहास में एम.ए. तक की शिक्षा प्राप्त की। आपका शुभ विवाह गरनिया निवासी श्री अब्बारामजी बर्फा की पुत्री श्रीमती दाकु देवी के संग हुआ। सफल दाम्पत्य जीवन में आप दो पुत्रों एवं एक पुत्री के पिताश्री बने। बड़ा पुत्र डॉ. धर्माराम ( एम्स,दिल्ली) से M.D. किया व एक वर्ष कनाडा में सेवाएं देकर वर्तमान में दिल्ली में सेवारत है तो दुसरा पुत्र तुलसारामजी (M.A,) एवं बंगलौर में कपड़े के व्यावसायी है। आपकी पुत्री कमला देवी पोलियावास (बिलाड़ा) से ही अपना पारिवारिक गृहस्थ जीवन बीता रही है। श्री लखावत ने पढ़ाई 30.01.1970 में कॉ-ओपरेटिव बैंक,जोधपुर में लिपिक के पद में सरकारी सेवा प्रारम्भ की एवं 1981 में शाखा प्रबन्धक के रूप में पदोन्नत हुए एवं इस पद पर विभिन्न जगहों पर सराहनीय सेवाएं देते हुए दिनांक 31.07.2004 को सेवानिवृत हुए। आप इतिहास के छात्र थे, अतः समाज के इतिहास को सवारने के लिए आपने सरकारी सेवा के साथ-साथ त्रैमासिक पत्रिका के सम्पादक पद का लगभग दो वर्ष तक निर्वहन किया व 7 त्रैमासिक अंक प्रकाशित किये। इसके बाद आपका तबादला जोधपुर से बिलाड़ा हो गया एवं आपके पिताश्री के स्वर्गवास होने से घर-परिवार की जिम्मेदारियां बढ़ जाने से आपने श्री राजेन्र्द कुमारजी चौधरी को यह दायित्व सौपा। वर्तमान में आप धर्मगुरु दीवान साहब के निर्देशन में रनिया बेरा-रोहितदासजी मन्दिर के धार्मिक कार्यो का संचालन कर रहे है।

श्री राजेन्र्द कुमारजी काग (बिलाड़ा) पूर्व सम्पादक, त्रैमासिक पत्रिका “सीरवी सन्देश”

सरल व्यक्तित्व के धनी, मृदुभाषी और कर्तव्य-परायण श्री राजेन्र्दजी काग का जन्म जोधपुर शहर में एवं बिलाड़ा निवासी श्री लालारामजी काग के घर दिनांक 21 अगस्त, 1953 में हुआ था। माता श्रीमती भंवरी देवी के स्नेह आँचल में बड़े हुए श्री राजेन्द्रजी ने विज्ञान विषय में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। इसके बाद आपकी प्रथम नियुक्त प्रयोगशाला सहायक के रूप में पोकरण डेयरी में हुई व इस पद पर आपने पाली में भी सेवाएं दी। तत्पश्चात् आप ‘सहायक गुणवता नियंत्रण’ (Assistant Quality Controler) पद पर पदोनत हुए व अजमेर डेयरी में  सेवाएं देना शुरू किया। आपका शुभ विवाह आऊवा देवली निवासी डॉ. विरदारामजी सिन्दडा की पुत्री श्रीमती विमला देवी के संग हुआ। आप दो पुत्रों सर्व श्री नितिन ( इंदौर में साफ्टवेयर इंजीनियर) दूसरा जितेन्र्द (जयपुर में साफ्टवेयर इंजीनियर) एवं पुत्री डॉ. मनीषा (MBBS) के पिताश्री बने। आपने त्रैमासिक पत्रिका में सह-सम्पादक एवं सम्पादक पद पर अपनी सराहनीय सेवाएं दी। दिनांक 05 अगस्त, 2011 को ह्रदयघात के कारण अजमेर में आपका आकस्मिक निधन हो गया।

श्री पुखराजजी राठौड़ (बिलाड़ा) पूर्व सम्पादक, त्रैमासिक पत्रिका “सीरवी सन्देश”

मृदृभाषी, कुशाग्र बुद्विपरक, नित नये आयामों को खोजने वाले, वर्तमान में समाज के अच्छे कथावाचक एवं डॉक्टर साहब के नाम से प्रसिद्ध श्री पुखराजजी राठौड़ का जन्म दिनांक 01.01.1952 को बिलाड़ा निवासी श्री जोधारामजी राठौड़ के घर हुआ। माता श्रीमती रतनी बाई के स्नेह आँचल में बड़े हुए श्री राठौड़ ने दसवीं तक शिक्षा प्राप्त की एवं बाद में वेद्य विशारद किया। आपने त्रैमासिक पत्रिका के सहयोगी सदस्य एवं सम्पादक पद पर कार्य किया। आपने विस्तृत उपलब्धियां एवं जानकारी नहीं दी। अतः पूर्ण विवरण नहीं दे पाये है। दिनांक 30 जनवरी 2017 को असामायिक निधन हो गया।

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