श्री केसर ज्योति पत्रिका

श्री केशर ज्योति पत्रिका जीवनी

पत्रिका प्रकाशन का निर्णय क्यों?

सर्वप्रथम ज्ञान की देवी माँ सरस्वती, माँ भारती और माँ आईजी के चरणों में शत-शत नमन। शिक्षा मानव जीवन की मुलभुत आवश्यकता है। शिक्षा का अर्थ व्यक्ति की अन्तनिर्हित प्रतिभा और शक्ति को उजागर कर उसे परिष्कृत और परिमार्जित करते हुए पूर्णता प्रदान करना है। शिक्षा संस्कार सवर्द्धन और परिवर्धन का भी माध्यम है। शिक्षा का अंतिम लक्ष्य चरित्र निर्माण है। माता की वात्सल्य गोदी में मानवता का प्रथम पाठ पढ़कर बालक विद्यालय की दहलीज पर अपना कदम रखता है। जहां वह अपने व्यक्तित्व के सर्वागीण विकास के लिए कक्षा शिक्षण के साथ खेलकूद, राष्टोंय पर्व, उत्स्व, महापुरुषों की जयन्तियां, भाषण, वाद-विवाद, लेखन प्रतियोगिता, समाजोपयोगी उत्पादन कार्य, सांस्कृतिक गतिविधि, समाज सेवा, विज्ञान प्रदर्शनी, शैक्षिक भ्रमण, एन.एस एस एन सी सी तथा स्काउट-गाइड जैसी अनेक गतिविधियों के माध्यम से अपने मनोभावों मंतव्यों व् अभिरुचि को कार्यरूप प्रदान कर संस्कारित शिक्षा प्राप्त करता है। विद्यार्थियों को उत्तम शिक्षा का स्वस्थ परिवेश प्रदान करने हेतु सकारात्मक सोच के साथ सीरवी शिक्षा समिति बिलाड़ा ने जुलाई 1985 में श्री आईजी विद्या मंदिर की स्थपना की। जो आज एक विशाल वटवृक्ष का स्वरूप लेकर सी माँ वि से आगे बढ़ते हुए महाविद्यालय का स्वरूप ले चुका है। सीरवी समाज के सबसे बड़े विद्या मंदिर और महाविद्यालय के निर्माण, सफल संचालन और भौतिक संसाधन जुटाने में शिक्षा प्रेमी समर्पित कार्यकर्ताओं और दानवीर भामाशाहों की अहम भूमिका रही है। अपना वैचारिक और आर्थिक सहयोग प्रदान करने वाले भामाशाह सीरवी शिक्षा समिति बिलाड़ा से यह अपेक्षा रखते है की वे विद्या मंदिर और महिला महाविद्यालय की प्रगति, शैक्षिक, सह-शैक्षिक और खेलकूद के साथ भौतिक संसाधनों के विस्तार और भावी आवश्यकताओं की समग्र जानकारी इन तक पचुचाएँ। जिससे उन्हें लगे की उनके द्वारा दिए गए आर्थिक सहयोग का पर्याप्त सदुपयोग हो रहा है। प्रगति रिपोर्ट पढ़कर अन्य शिक्षा प्रेमी भी आर्थिक सहयोग देने को प्रेरित हो सके। इन्ही भावनाओं और विचारों को दॄष्टिगत रखते हुए सीरवी शिक्षा समिति बिलाड़ा ने श्री आईजी केसर ज्योति नामक त्रेमासिक पत्रिका के प्रकाशन का गुरुतर निर्णय लिया है।

 

किसी समिति, संगठन और विद्यालय की पत्रिका निर्विवाद उस संस्थान का मुख-पत्र और दर्पण होती है। जिसमे विद्यालय के भौतिक विकास के साथ ही शैक्षिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक व् सामाजिक गतिविधियों के अस्तित्व व् प्राप्त श्रेष्ट उपलब्धियों का दिग्दर्शन होता है। जो संबन्धित संस्थान के सक्रीय वर्तमान की प्रगति का प्रतिबिम्ब और उज्जवल भविष्य का आलेख होता है। प्रस्तुत पत्रिका इसी दिशा में निरन्तरता का विन्रम प्रयास हैं। इस पत्रिका के आगामी अंको में शिक्षकों, विद्यार्थियों श्रध्देय पाठको और दानवीर भामाशाहों के विचारों के साथ ही समाज के अन्य शिक्षण संस्थाओं की प्रगति को भी स्थान देकर इसे बहुआयामी कलेवर देने का प्रयास भी किया जायेगा। साथ ही समाज की महान विभूतियों सन्त माहत्माओं और अपने श्रेठ कार्यों से समाज को गौरव प्रदान करने वाले इतिहास पुरुषों की जीवनी का दिशा में भी सुनहरे अतीत से जोड़ने की दिशा में भी कदम उठाने का हमारा प्रयास रहेगा|पत्रिका प्रकाशन की सामयिक प्रेरणा और गुणवत्ता के सुझावों लिए सम्पादक प्रबंधक सीरवी समिति बिलाड़ा का हार्दिक आभारी हैं। पत्रिका के इस प्रथम पुष्प का सूक्ष्मता से अवलोकन और पठन पाठक कर विद्वान् पाठकगणों से प्राप्त सुझाव उत्प्रेरणा व प्रोत्साहन हमारे प्रयास और आत्म विश्वाश को सम्बल प्रदान करेगा।

ऐसी आशा और विश्वाश के साथ आप सबकी सेवा में सादर समर्पित है सीरवी शिक्षा समिति बिलाड़ा द्वारा प्रकाशित यह प्रथम ज्ञान पुष्प ।

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