आई पंथ दीवान श्री माधवसिंहजी द्वारा सती साध्वी कागण माताजी के जीवन चरित्र एवं महिमा पर आधारित लघु ग्रंथ का किया गया विमोचन
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सिघाना (स्वदेश समाचार) लोहारी में श्री आई माता जी मंदिर मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव अन्तर्गत आयोजित धर्म सभा में 08-मई को आई पंथ के दीवान माधवसिंहजी ने परम साध्वी कागण माताजी के चरित्र पर आधारित लघु-ग्रंथ का विमोचन किया गया। इस अवसर पर कुँवर देवराजसिंहजी एवं उनकी माताश्री नरेंद्र कुमारी रानी साहिबा, मध्यप्रदेश के जति बाबा महेन्द्र जी महाराज,अखिल भारतीय सिर्वी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष सीए भगवान लछेटा, महासचिव कान्तिलाल गहलोत,प्रांतीय महिला अध्यक्ष श्रीमंती अनीता चोयल,पूर्व प्रांतीय अध्यक्ष कैलाश मुकाती वीआईपी, हरिदासजी स्मारक ट्रस्ट महेश्वर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष लक्ष्मण परिहार,सामाज के वरिष्ठ डॉ. राज बरफा जिला परगना अध्यक्ष राधेश्याम मुकाती , जिला महिला परगना अध्यक्ष श्रीमती ललिता पवार जिला पंचायत सदस्य कपिल सोलंकी एवं लोहारी के सिर्वी समाज सकल पंच उपस्थित रहे।
पुस्तिका के लेखक हीरालाल देवड़ा सिवई ने सम्बोधित करते हुए कहा कि सिर्वी समाज की यह महान विभूति,नारी-शक्ति का ऐसा अनुपम उदाहरण हैं, जिनके जीवन की हर बात, हर कड़ी, हर प्रसंग आज भी जीवंत प्रेरणा बनकर उभरती है। कागण माता आईपंथ के 10-वे दीवान श्री हरिदासजी की धर्मपत्नी थी। उनका संपूर्ण जीवन श्रद्धा,शील और सदाचार का मूर्तिमान रूप था। उनका आचरण और वाणी धर्म के सजीव रूप थे। वे अतीत ही नहीं आज भी हमारे अंतर्मन को चेताने वाली शक्ति हैं। सिर्वी समाज में उनके प्रति अपार श्रद्धा का ही परिणाम है कि- जन-मानस उन्हे लोक देवता के रूप में सती साध्वी कागण माता के नाम से पूजता है। उन्होंने बताया कि जीवन में अनुकूल या प्रतिकूल कैसी भी परिस्थितियाँ रही हो ये पल भर के लिए भी स्वधर्म से विमुख नहीं हुई। सहिष्णुता एवं क्षमाशीलता के कारण उनकी चरित्र गाथा आज भी स्वर्णाक्षरों में अंकित हैं। माताजी ने साध्वी, तपस्विनी और योगिनी के रूप में पतिव्रत धर्म से परिपूर्ण ऐसा जीवन जिया जो आज भी एक मिसाल है।उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि- स्त्री समाज की दशा और दिशा बदल सकती है। आपने त्याग, तप और सेवा से अपने जीवन को अलौकिक बना लिया, इसीलिए एक साध्वी और एक मार्गदर्शिका के रूप में उनका व्यक्तित्व हमारे लिए पूजनीय है। यह पुस्तक उसी जीवन-ज्योति को पृष्ठों में समेटने का एक विनम्र प्रयास है।
आज,जब आधुनिकता की दौड़ में हमारी सोच केवल बाह्य उपलब्धियों तक सीमित होती जा रही है, तब सती कागण माताजी का जीवन हमें भीतर की यात्रा का स्मरण कराता है। उनके ‘सादा जीवन उच्च विचार’ का आदर्श केवल अतीत नहीं, वर्तमान की भी आवश्यकता है।
पुस्तक का उद्धेश्य कागण माताजी के शील, सदाचार, सादगी, संयम, क्षमाशीलता, त्याग और तपस्या भरे जीवन चरित्र को सामने लाकर उसके माध्यम से भारतीय जीवन मूल्यों एवं आदर्श को अपनाने की प्रेरणा देना है..!
सहयोगी सदस्य सीरवी समाज संपूर्ण bharat.com
विजय राठौर सिंघाना
दिनांक 9/05/2025
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