सीरवी समाज आई माता मंदिर में चल रहे चातुर्मास में संत और सत्संग मिल जाए तो जीव भव सागर पर हो जाए, शास्त्री

बेंगलूरु:- सीरवी समाज आई माता मंदिर में चल रहे चातुर्मास में संत राजाराम ने कहा कि राधावल्लभ मन्दिर के एक बहुत अच्छे संत के जीवन का प्रसंग है जिनका नाम राधावल्लभ चरणदास था। राजस्थान के एक क्षत्रिय व्यक्ति एक बार वृन्दावन आए और राधावल्लभ के रूप में आमसक्त हो गए और वृन्दावन में ही निवास करने लगे। ये बहुत बलवान थे और राधावल्लभ मन्दिर का जो बड़ा घण्टा है उसको अपने हाथ में लेकर आरती के समय बजाते थे। एक समय महात्मा सेवा के लिए पृष्प लाने यमुना के समीप गए थे तब एक मगर ने उनका पैर पकड़ लिया। मगर का बल जल में बहुत अधिक होता है परन्तु महात्मा बलवान थे। उन्होंने मगरमच्छ को उठाया और मंदिर तक लाए। उस मगरमछ को मन्दिर में लाकर चरणामृत और प्रसाद खिलाया। पूछने पर उन्होंने कहा कि भाव से ने सही परन्तु सन्त चरण पकड़ने वाले पर कृपा कैसे न होती। सन्त और सत्संग मिल जाएं तो जीव भव मागर पार हो जाए। सीरवी समाज के उपाध्यक्ष दलाराम लचेटा, सचिव ओमप्रकाश बर्फा, रमेशलाल, गेर मंडल अध्यक्ष चुनीलाल हाम्बड़, महिला मंडल अध्यक्ष अमृता बाई, सचिव सन्तोष काग ने भी विचार व्यक्त किए।

Recent Posts