(5) सीरवी सैणचा गौत्र का उद्भव :-

सीरवी सैणचा गौत्र का उद्भव :-
सैणचा – पीपलाद विशेषांक(सीरवी सन्देश) में सैणचा भगत समाज का इतिहास” भगारामजी सैणचा ने दोहा – सरस्वती सिंवरु शारदा, बुद्धि दो उपजाय | कंठो विराजो शारदा, सरस्वती देंवु मनाय॥ चव्हाण वंश इडर नगर,भोज नगर खट दिल्ली-खुमाण। सब राजा के उपर घर, ………….. चकवे चौहाण ! के रूप में सैणचा गौत्र का उद्भव चौहान से होने का परिचय देते हुए आगे सेणचा वंश राजा भोज के पुत्र खुमाणसिंह के पुत्र राजा भोज सेणक से चला व इनके वंशजो को ही सेणचा के नाम से जाना गया। इस तरह राजा भोज का जिक्र किया गया हैं, जो पंवार वंश से था | इतिहास के पन्नों में राजा भोज का चौहान वंश होना कहीं जान नहीं पड़ता। समाज के राव-भाट की बही से ज्ञात होता हैं कि सैणचा गौत्र का निकास चौहान से हुआ हैं |

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