(7) सीरवी चोयल गौत्र का उदभव :–

सीरवी चोयल गौत्र का उदभव :–
चोयल – क्षत्रिय राजवंश पृष्ठ 204 पर चाहिल का वर्णन आता हैं कि चौहान वंश मुनि के वंशजों में कान्ह हुआ।कान्ह के पुत्र अजरा के वंशज चाहिल से चाहिलों की उत्पत्ति हुई| (क्यामखां रासा छंद संख्या 108) रिणी (वर्तमान तारानगर) के आस-पास के क्षेत्रों में 12 वीं.13 वीं. शताब्दी में चाहिल शासन करते थे और यह क्षेत्र चाहिलवाड़ा कहलाता था। आजकल प्रायत: चाहिल मुसलमान हैं। इसी तरह मुहणोत नैणसी भाग 1 छोहिल के प्रति लिखते हैं कि सांखला (पंवार) बैरसी के राणा राजपाल हुए। राजपाल के तीन पुत्र थे। 1. छोयल 2. महिपाल 3. तेजपाल | छोयल के वंशज छोहिल कहलाये। छोहिल रुणेचा में रहे।समाज के राव-भाटों की बही के अनुसार चोयल को चौहान की गौत्र बताई गई और चोयल बंधू भी स्वयं को चौहान वंश से मानते हैं। रघुनाथ सिंह कलि पहाड़ी के अनुसार क्षत्रिय राजवंश पृष्ठ 234 पर पडिहारों (परिहारों) की खांपे और उनके ठिकाने की विगत में मेवाड़ के चोहिल और चोयल गौत्र परिहार की शाखाएँ हैं |

Recent Posts