आखिर समाज में छात्रावास की जरुरत ही क्याें है। शिक्षा किसी भी समाज का आईना है।
शिक्षित समाज यानि विकसित समाज की भावना से समाज में शिक्षा के विकास की अवधारणा काे व्यक्तिगत विकास की अवधारणा के साथ साथ लेना हाेग। किसी समाज का विकसित होना इस बात पर निर्भर करता है की हम सभी ने सामूहिक रूप से इसके लिए क्या किया है व समाज में शिक्षा काे बढावा देने के लिए क्या व्यवस्था की है और समाज की प्रमुख संस्था किस प्रकार सामाजिक और शैक्षणिक गतिविधियों के कार्य निष्पादित करती है|
जब हम कार्यकर्ता के रुप में समाज में निकलते है ताे हमकाे मान सम्मान, लाेभ लालस व पद लाेलुपता के माेह का त्याग करना हाेगा, तभी समाज सेवा हाे सकती है।
अपने समाज में शिक्षा के विकास में कोई अकेला व्यक्ति अपने सीमित संसाधनों से समाज का विकास नहीं कर सकता, लेकिन बहुत से व्यक्तियों द्वारा सामूहिक प्रयासों से समाज में शिक्षा व बहुमुखी विकास काे बढावा दिया जा सकता है |
दाेस्ताे समय के साथ चलना हाेगा, समय के साथ ही खुद व समाज में आवश्यक बदलाव भी जरुरी हाेते है। जब हम बदलाव की बात करते है तब इसका मतलब किसी बहुत बड़े बदलाव से ही हो ऐसा आवश्यक नहीं होता | ये बदलाव बहुत छोटे पर महत्वपूर्ण हो सकते हैं उदाहरण के लिए समाज में जहा जरुरत हाे वहां छात्रावास का निर्माण करना व समाज में होने वाले कार्यक्रम जैसे बच्चों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रम हो व उसके लिए वैचारिक और सार्थक बहस हो या समाज के विद्वानाे व माेटिवेशनल काे मंच प्रदान करना अथवा समाज के लोगों में शिक्षा काे बढावा देने के साधनों को बढ़ाने के सम्बन्ध में चर्चाएँ हो तब ऐसे छोटे छोटे कार्यक्रम समाज में बहुत बड़े बदलाव ला सकते हैं | ये छोटे छोटे कार्यक्रम लाखों कराेडाे रुपयों को खर्च कर के किये जाने वाले धार्मिक आयाेजनाें से ज्यादा जरूरी है, लेकिन ऐसे कार्यक्रम करने के लिए समाज की व्यवस्था इस तरह के कार्यों के अनुकूल होनी आवश्यक है | इसके लिए हम सबकाे मिलकर प्रयास करने हाेंगे।
यह समाज के लोगों की जिम्मेदारी है की वे अपने समाज को विशेष कर युवाओ, छात्र छात्राओ काे सही दिशा में ले जाने के लिए प्रयास करें |
हमें पूर्वाग्रहों को छोड़ कर ऐसे कार्यक्रमों को सहयोग देना चाहिए जिससे समाज में शिक्षा के साथ साथ विकास के लिए सार्थक विचार विमर्श को प्रोत्साहन मिले और हम अपने बच्चों के भविष्य के लिए बेहतर समाज का निर्माण कर सकें | ये व्यक्तिगत प्रयासों से संभव नहीं हो सकता इसके लिए समाज की संस्थाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती हैं | हमारे समाज में यूँ तो कई संस्थाएं काम कर रही हैं लेकिन ज्यादातर ध्यान केवल बडेरों के निर्माण पर ही केन्द्रित है | समाज में यह भी बहुत बहुत आवश्यक है लेकिन केवल इनसे समाज की समस्याओं के समाधान नहीं मिल सकते |
हमारे समाज में कई समस्याएँ है जिनका निदान बहुत आवश्यक है लेकिन इन समस्याओं के निदान के लिए गंभीर प्रयत्न होते दिखाई नहीं देते | लोग समस्याएँ गिनवाते समय बहुत जोश और उर्जावन हो जाते हैं लेकिन इनके समाधान सुझाने में किसी की रूचि नहीं है | लोग सोचते हैं की समाज का कुछ नहीं हो सकता क्यूँ की जो समस्याएँ आज हैं वह बरसों से हैं और बरसों रहेंगी | सच है की समस्याएँ बरसों से हैं लेकिन हमें यह सोचना चाहिए की क्या किसी ने इन समस्याओं के सुधारने के प्रयास किये या नहीं ?
क्या कभी उन समस्याओं पर किसी ने कोई सही मंच पर बहस की या नहीं क्यूँ कि केवल चोपालों पर बेठ कर मनोरंजन के लिए बहस करने से कोई हल नहीं होती इसके लिए लोगों को सार्थक प्रयास करने होंगे तभी हम एक मजबूत समाज बना पाएंगे।
अंत में मेरा आप सभी से हाथ जाेड निवेदन है कि जब तक समाज का हर बन्दा समाज के प्रति अपनी जवाबदारी सुनिश्चित नही करेगा, समाज का विकास संभव नही है।🙏🏽🙏🏽
दाैलाराम साेलंकी, उदयपुर