पैदल न चलने देती पल भर भी, हमसफ़र थी जो राह के काँटों की

June 12, 2020
मेरी माँ की सूरत फकीरों सी, जो दे गई लकीरें वाजूदों सी, मैं कितनी बात लिखूँ उसकी, लफ्ज़ खत्म हो जाए अमीरी के। जो अतुल्य दर्द कहा जाता है ज़माने भर में, वो गर्भ का दर्द है माँ के पाले में। जो पानी सूख जाए सर्दी की रातों में, वो तप्त है माँ के पैरों…

ज़रा सुन लो करुण पुकार को, ना खिलाओ मुझे प्लास्टिक की रोटी।

March 24, 2020
हे मेरे लाल, मैं हूँ नहीं गिर गोवन्त्री! मैं हूँ गौरव गरिमा का राजतिलक तुम्हारा।। हे मेरे लाल, ज़रा समझों आँखों के मनभावो को, ना बाँधो धर्म की डोरी से। मैं माता हूँ तुम सब की ही, ना देखूँ तुम्हें किसी धर्म की टोपी से।। हे मेरे लाल, ज़रा सुन लो करुण पुकार को, ना…

में भी धरती माँ हूं! जानती हूं तेरी भावनाओं को तु भी दर्द सहन कर यह हरियाली का श्रंगार अपनो बच्चों की भुख़ मिटाने लिए कर रहीं हो

December 7, 2019
तु भी माँ में भी माँ धरती माँ दुसरी माँ से पूछ रही आया मौसम शरद ऋतु का ! कब करोगे गेहूँ की बुवाई तु भी माँ में भी माँ!! हुआ आगमन शरद ऋतु का हर्षित धरा , हर्षित गगन कब करोगे गेहूँ की बुवाई तु भी माँ में भी माँ!! माँ कहती है कड-कड़ाती…

क्या है सीरवी समाज सम्पूर्ण भारत डॉट कॉम

September 21, 2019
क्या है सीरवी समाज सम्पूर्ण भारत डॉट कॉम किसी घर में नहीं, घाट में नहीं किसी व्यस्ततम हाट में नहीं हिन्दी के ज्ञान का स्रोत है सीरवी समाज सम्पूर्ण भारत डॉट कॉम विकास की धारा, कल-कल, छल-छल बहती नदियाँ शीतल मंद हवा और प्यार का अहसास इसकी रफ्तार को गति कहते हैं । जिसे पढ़ने…

नशा मत करो म्हारा साजन

May 16, 2019
हाथ जोड़ मैं करू विनती, सुनलो मारा नाथ । नशो मत करो साजना, घर रो होवे नाश ।। नशो करने घर पर आवे, हो तुम आधी रात । लड़खड़ाते कदमों से चलते, मुंह मैं आवे बास ।। घर मैं कोनी आवे दाल, टाबरों रा बुरा हाल । देखी थारी आदत ऐसी, भुखा जावे मेहमान ।।…

नशा मत करो म्हारा साजन

March 26, 2019
हाथ जोड़ मैं करू विनती, सुनलो मारा नाथ । नशो मत करो साजना, घर रो होवे नाश ।। नशो करने घर पर आवे, हो तुम आधी रात । लड़खड़ाते कदमों से चलते, मुंह मैं आवे बास ।। घर मैं कोनी आवे दाल, टाबरों रा बुरा हाल । देखी थारी आदत ऐसी, भुखा जावे मेहमान ।।…

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