राष्ट्र उत्थान में समाज के युवा वर्ग का हर कदम एक पायदान बन सकता है- पंकज चौधरी
इंसान की पहचान तो समाज और देश ही देता है फिर इस समाज और देश के लिए अपनी ऋण-दायिता कोई कैसे नकार सकता है I भारत वर्ष में जन्म लेते ही इंसान की सबसे बड़ी भगीदारिता बनती है, इस देश के लिए और इस मिटटी के लिए I जो माँ किसी बच्चे को नौ महीने पेट में ढोती है अगर वो इतनी पूजनीय और प्रिय हो सकती है तो यह मिटटी तो उसे पूरी ज़िन्दगी और मृत्यु परान्त भी ढोती है I अपना समाज सिर्फ राजस्थान के कुछ जिलों तक ही सीमित नहीं है, इस समाज की बहुत बड़ी जनसँख्या उत्तर- भारत के राज्यों के साथ-साथ , महाराष्टृ, मध्य प्रदेश, गुजरात तथा अन्य राज्यों में मिल जाएगी, तो इसका मतलब राष्टृ- तरक्की और सुधार में इस समाज का बहुत बड़ा योगदान हो सकता है I मैं सिर्फ अपने समाज के बारे में बात नहीं कर रहा, यह समाज तो इस देश का एक बहुत छोटा सा भाग है, सबसे बड़ा कर्त्तव्य तो इस देश और राष्ट्र के लिए है I सुधार और तरक्की विचारो में सुधार के बिना संभव नही इसीलिए सुधार की शुरुआत विचारों से होनी चाहिए I मैं बहुत खुश हूँ इस बात से की आज इस समाज के युवा-वर्ग की सोच काफी हद तब बदली है और यही सकारात्मक सोच इस समाज को आगे भी ले जा रही है I व्यापर के साथ साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत तररकी हो रही है I
मगर में इस समाज के युवा वर्ग से एक आहवान करना चाहूंगा कि तरक्की के साथ-साथ मानवीय मूल्यों और परम्पराओ को याद रखना और उनसे जुड़ा रहना बड़ा ज़रूरी है, वरना ऐसा लगेगा शरीर जैसे बिना आत्मा के I समाज सुधार के बारे में मेरी बहुत सीधी सी मान्यता है खुद की तरक्की उसी में है जब आपका परिवार और समाज भी तरक्की करे, आज अपने समाज में देखे तो व्यापर वर्ग में इस समाज में बहुत तरक्की की, बहुत पैसे कमाए लेकिन सोचने की यह बात है उन्होंने अपने परिवार और समाज के लिए क्या किया I कितने ऐसे लोग है जिन्होंने व्यापारिक और शैक्षणिक तरक्की की मगर वह एक आदर्श बेटा या आदर्श भाई और बहन बन पाए I कितने ऐसे लोग है जो यह सोचते है तरक्की के साथ साथ, माँ- बाप, परिवार और रिश्ते जरूरी है और उनकी खुशी या तरक्की में ही खुद की तरक्की समझते है I ऐसी तरक्की किस काम की जो जिसका सीधा फायदा अपने परिवार और समाज को न मिले I
पेड़ भले कितना बड़ा हो जाये उसे हमेशा अपनी जड़ याद रहनी चाहिए और तररकी के साथ साथ अपनी मिटटी व अपने लोगो से जुड़ा रहना बहुत ज़रूरी है I मुझे बहुत शर्म आती है इस बात पर जब किसी के मुँह से सुनते है की मारवाड़ में क्या पड़ा है, धुल- मिट्टी और गर्मी के अलावा कुछ नहीं है I उन लोगो को बोलने से पहले यह ज़रूर सोचना चाहिए कि इसी मिट्टी में उगा धान खाकर आज आप उस मुकाम पर है I इंसान उस मिट्टी का हमेशा कर्जदार होता है जो उसे माँ के दूध के साथ मिलती है और जिस पर वह पहला कदम रखता है I भले कुछ लोगो के लिए इस मिट्टी और इन खेतो का कोई मायना नहीं होगा मगर कुछ लोगो के लिए यह सब कुछ है जो इसमें अपने पूर्वजों का पसीना और मेहनत देख पाते है I यह बात कभी उनसे पूछना जो व्यापर फेल हो जाने के बाद मारवाड़ लौट कर आते है और यही खेत उनका पेट भरते है I
एक भाई मारवाड़ छोड़ कर बाहर निकल गया और बहुत व्यापारिक तररकी की, मगर उस भाई का क्या जो यही रह गया और दिखता है आज भी खेतो में काम करते I आज आप संपन्न है मगर कितने लोग सोचते है अपने परिवार की हालत के बारे में I आप शानदार कारों में घूमते है मगर वो बाइक लेने से पहले भी सोचेंगे, आप कार का टैंक फुल कराने से पहले बिलकुल नहीं सोचते मगर वह तो सौ रुपये का पेट्रोल भराने से पहले भी सोचते है, आप अपने शो-रूम में बैठे रहते है मगर वह तो आज भी खेतो में काम करते पसीने से लथपत दिखेंगे, आप अपने बेटो को अच्छे कॉलेज में पढ़ा रहे हो मगर आपका भाई या बहिन अपने बच्चो को बाहर पढ़ाने से पहले कितनी बार सोचते है I ऐसी ज़िन्दगी किस काम कि जो सिर्फ खुद के बारे में सोचे, यही संस्कार शुरू से आप अपने बच्चो को देते है, आप अपने परिवार के बारे मे नहीं सोचते तभी समाज कि लड़के- लड़किया किसी दूसरी जाति में शादी करने से पहले या भागने से पहले खुद के माँ- बाप के बारे मे नहीं सोचते I गलती किसी कि नहीं है आपके संस्कारो की है, क्योंकि आपने ही तो उन्हें सिखाया है खुद के बारे में सोचो, परिवार – कुटुंब से क्या लेना देना I मैं इस सन्दर्भ में कुछ पंक्तिया लिखना चाहूंगा:-
पहचान कहा हो पाती है
इंसानो कि आजकल,
महंगे कपड़े, बड़ी गाड़िया और बड़े घर
जो इंसान कि औकात तय करते है I
जीतना है तो कुछ जीतने से पहले मां-बाप और परिवार का प्यार जीतो क्योंकि सारी दुनिया जीतने पर भी परिवार का प्यार ना जितना आपकी सबसे बड़ी हार है I
मैं बस इस समाज से और इस समाज के युवा वर्ग से सिर्फ यह कहना चाहूंगा कि खुद कि तररकी का सबसे बड़ा फायदा अपने परिवार और कुटुंब को मिलना चाहिए जो तरक्की बाद में समाज और देश तक पहुंचेगी I परिवार एक अच्छे राष्ट्र को बनाने में मद्द करता है, एक अच्छा परिवार समाज और देश के विकास में भी योगदान देता है। इसलिए हर किसी को अपने परिवार को प्यार की डोर से जोड़े रखने का प्रयत्न करना चाहिए।वहीं परिवार इंसान को हमेशा उसके जमींर से भी जोड़ने का काम करता है।
पंकज चौधरी अधिवक्ता दिल्ली उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय गांव-बगड़ी नगर, तहसील- सोजत (पाली)