👉” *कक्षा में फैल होना मतलब जीवन में फैल होना नहीं*”
*✍️ लेखक: कानाराम सीरवी (गुड़ा दुर्जन)*
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*खुश हैं जमाना, क्योंकि दसवीं बाहरवीं के रिजल्ट निकले हैं, 80,90,95 परसेंट तक बच्चे मार्क्स ले आए हैं, मेनी मेनी कांग्रेचुलेशन, लड्डू आपने भी खाए होंगे, लेकिन इस बीच उनको मत भूल जाना जिनके मार्क्स कम आए हैं या फेल हुए हैं।*
जो स्टूडेंट सफल होने के साथ साथ उम्मीद के मुताबिक नंबर पाने में सफल रहे हैं, खुशी से उनके पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे होंगे। स्व-प्रेरित ऐसे बच्चे आगे अपने सपनों को पूरा करने को लेकर उत्साह से भरे होंगे। लेकिन जिन बच्चों के नंबर कम आए हैं या फिर किसी कारण फेल हो गए हैं, उन्हें निकम्मा कहकर खारिज नहीं किया जा सकता। उन्हें शर्मिंदा करने या उन्हें डांटने-फटकारने की बजाय उनका हौसला बढ़ाने और उनकी पसंद की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है।
जो स्टूडेंट सफल रहे हैं, उनकी सफलता में उनकी सकारात्मक सोच और उनके माता-पिता सहित शिक्षकों का भी बड़ा योगदान रहा है। लेकिन जो छात्रछात्राएं किसी कारण फेल हो गए हैं या जिन्हें अपेक्षा के अनुरूप अंक नहीं मिले हैं, उन्हें भी निराश और हताश होने की कतई जरूरत नहीं है। हो सकता है कि मेहनत करने के बावजूद किसी कारण उनके पेपर अच्छे नहीं हुए हों। कोई पारिवारिक, शारीरिक या आर्थिक परेशानी रही हो या फिर जो विषय उन्हें दिलाए गए हों, उनमें रुचि न होने के कारण उनका मन नहीं लगता हो और इस कारण वे परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके। क्योंकि कल ही देहरादून में एक बच्चे ने फेल होने पर खुद को सूट कर दिया, तो वहीं छत्तीसगढ़ में एक परीक्षार्थी अपने परिणाम से असंतुष्ट होकर सुसाइड कर दिया ऐसी कई घटनाएं हैं जो हमें देखने को मिलती हैं, और इन सभी घटनाओं के पिछे वजह होती हैं समाज और अड़ोस पड़ोस के लोगों की तानेबाजी, समाज दबाव डालता हैं बच्चे के परिवार पर, और समाज की ताने बाजी से परिवार के सदस्य भी बच्चे को डाटने फटकारने लगते हैं जिसके कारण बच्चा पुरी तरह टूट जाता हैं।
इसके लिए उन बच्चो को डांटने-फटकारने, तानेबाज़ी करने या उन्हें शर्मिंदा करने की बजाय यह समय उनके साथ खड़े होने का है।उनको मार्गदर्शन करने तथा उनके प्रति सहानुभूति जताने की बजाए हम ताना मारते हैं इसका मतलब यह तो नहीं कि बच्चा कक्षा में फेल हो गया तो इसका मतलब जिंदगी में भी फेल हो गया। कक्षाओं में फेल होने या कम अंक पाने का मतलब यह कतई नहीं कि आप आगे कभी कामयाब नहीं हो सकते। देश और दुनिया के तमाम ऐसे लोगों का उदाहरण सामने है, जो स्कूली पढ़ाई में या करियर के शरुआती दौर में फेल कर दिए गए थे पर उन्होंने अपनी जिद और जुनून से कामयाबी की ऐसी इबारत लिख दी जिसकी आज मिसाल दी जाती है,
सभी बच्चे एक जैसी प्रतिभा के नहीं होते और सभी से एक ही तरह के परिणाम की भी उम्मीद नहीं की जा सकती।
मेरा आग्रह सभी भाई बहनों से यही है कि आप का परिणाम निम्न रहा हो, या आप फैल हो गए हो तो आप यह मत सोचिए कि आप जिंदगी में फैल हो गए, जिंदगी में और भी कई चीजें हैं कई क्षेत्र हैं जिसमें आप अपना बड़ा अनोखा करियर बना सकते हैं, हर किसी में अलग-अलग खूबियां होती है बस उसको पहचानना आपको हैं, उसमें खाद और उर्वरक डाल कर उसको बाहर निकालना हैं, उदाहरण के तौर पर अगर आपकी खूबी खेल में हैं तो आप राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना करियर बना सकते हैं, अगर आपको लगता है कि मैं नेतृत्व कर सकता हूं तो आप राजनीति में जाइए ठीक उसी प्रकार प्रत्येक क्षेत्र की अपनी एक विशिष्ट खूबी है जो आपको पहचाननी है और मैं आपको विश्वास के साथ बताता हूं कि जो बच्चे पढ़ने लिखने में रुचि नहीं रखते हैं उनकी दूसरे सभी क्षेत्रों में टेलेंट, खूबी, स्किल्स कूट कूट कर भरी रहती हैं, आपको केवल अपनी खूबी की पहचान करनी हैं।
मैं समाज से भी अनुरोध करता हूं कि बच्चों का परिणाम कम रहने पर उन बच्चों पर और उनके परिवार पर तानेबाजी न करें, आपके और हमारे इन तानों से वह बच्चा गलत कदम उठाता है और अपनी जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर बैठते हैं, आप और हम तो कह कर दूर हो जाते हैं लेकिन परिणाम बच्चे के परिवार को भुगतना पड़ता हैं। ऐसे बच्चों को प्रोत्साहित कीजिए उनको शिक्षा के अलावा दूसरे क्षेत्रों के बारे में जानकारी दीजिए उनको लाइफ अपॉर्चुनिटी के बारे में बताइए उनके परिवार के प्रति करुणा और उदारता का भाव व्यक्त कीजिए और अपने दीर्घ विचार और उच्च सोच का परिचय दीजिए।
धनयवाद।