पगड़ी हमारी राजस्थानी पहचान है हमारा पहनावा ह सिर्फ सम्मान नही
जो लोग पगड़ी पहनने या पहनाने पर ऐतराज करते है उन्हे अपनी दो पीढी पहले जाना चाहिये कि राजस्थानी लोगो का पहनावा व कल्चर क्या था । हमने देखा है अपने दादा के समय । अब लोग फ़ैशन के चक्कर मे अपने संस्कार ओर पहनावा भूल चुके है । पहले मेरे पापा दादा सब पगड़ी बांधते थे शायद आपके भी । ये शान के साथ साथ पहनावे का एक अंग भी थी ।
कोई सांस्कृतिक या शादी या सामाजिक कार्य के लिये जाते थे तो पगडी जरूर पहनते थे । वैसे आम दिनो मे भी पगड़ी पहनी जाती थीं । जब कही बाहर जाना होता था तो यही बोला जाता था कि पगड़ी तो ले लू तब चालूगो ।
कभी अपने बाप दादा पूर्वजों की फोटो देख लो ज्यादातर पगड़ी वाली ही मिलेगी । जिनको ये ज्ञान नही है वो ही पगड़ी पर एतराज करते है ।
आजकल समय के अनुसार सांस्कृतिक कार्यो मे लोग पगडी पहनते है जैसे शादी या कोई सामाजिक कार्यक्रम ।
अपनी जडो को मत भूलों ये पगड़ी नही हमारा पहनावा है जिसे हम भूल चुके है । अगर किसी सामाजिक कार्यक्रम मे कोई पगड़ी पहनता है तो एतराज नही स्वागत करना चाहिये कि वे लोग अभी भी पुराना कल्चर याद रखे हुए है चाहे शोक या अन्य कारण् । ऐसे लोग भी बहुत सारे दिल्ली मे है जो हमारे समाज का कोई उत्सव या त्योहार आने वाला होता है उस से पहले जयपुर जाकर 5..10 पगड़ी ख़रीद कर लाते है ओर खुद ओर दोस्तो के साथ पहनकर कार्यक्रम मे जाते है । उन्हे गर्व होता है कि ये हमारी राजस्थानी पहचान हे
देवहरि सिरवी