परिचय सम्मेलन – समय की माँग
वर्तमान दौड़ धूप की जिंदगी में सभी के पास समय का अभाव है जिसके कारण लोग अपने बच्चों के विवाह संबंधी संबंधों को लेकर कठिनाई महसूस करते हैं। लड़के के लिये वधु व् लड़कियों के लिये सही वर एवं घर ढूंढना अकेले व्यक्ति के लिये काफी मुश्किल भरा है। इन समस्याओं का हल एवं आज की माँग है परिचय सम्मेलन। परिचय सम्मेलन के माध्यम से विखरा समाज तो जुड़ता ही है एवं एक ही स्थान एवं मंच से विभिन्न विवाह योग्य युवक एवं युवतियों का विवरण भी मिल जाता है। इसके माध्यम से समाज में स्वजातीय बंधुओं में सहयोग एवं एकता की भावना भी जाग्रत होती है। इससे हमारे समाज का विकास भी होगा। इससे देश का भी भला होगा। यह हमारे पूर्वजों की दें है। अतः परिचय सम्मेलन केवल परिचय ही नहीं अपितु रिश्ते बनाने का एक पुंज भी है। इस कारण परिचय सम्मेलन अति आवश्क है। पुंज का अर्थ गुच्छा होता है। यहां इसका अर्थ हमारे समाज रूपी गुच्छे से है। जिस प्रकार गुच्छे में कई प्रकार के पुष्प होते है उसी प्रकार हमारा समाज भी एक पुंज है। इस सभी को पुंज वनाया है परिचय सम्मेलन ने। परिचय सम्मेलन एक ऐसा उपाय है जो समाज को संगठित करता हैं। यह माध्यम आज भी अन्य समाजों में देखने को मिलता है। तो हम पीछे क्यों रहें ? हमें भी परिचय सम्मेलन का आयोजन प्रतिवर्ष करते रहना चाहिए –
मनोहर सीरवी राठौड़ जनासनी – साँगावास (मैसूरु – कर्नाटक)