।।युवा पीढ़ी औऱ आदर्शवाद।।
युवा राष्ट्र का सुनहरा भविष्य होता है।युवा के भीतर ऊर्जा का अथाह भंडार होता है औऱ युवा के मन-मस्तिष्क में सोचने औऱ समझने की अपार क्षमताएं होती है।युवा अपनी अन्तर्निहित शक्तियों का सही सदुपयोग करते है तो हर युवा अपने भविष्य को स्वर्णिम औऱ स्वप्निल बनाने में सफल हो जाता है।
जो युवा अपने आपको जीवन के उच्च आदर्श प्रतिमानों औऱ मूल्यों को आत्मसात कर जीवन जीने का सतत प्रयास करता है औऱ जीवन के आदर्श मानकों के साथ कोई समझौता नही करता है ,ऐसे युवा अपने जीवन सदा सफल होते है।
आज की युवा पीढ़ी को वर्तमान परिस्थितियों के संदर्भ में देखे तो आजकल विद्यालय-संस्थान और महाविद्यालय को हम अनुशासन की दृष्टि से देखे तो वे उच्च आदर्श मानक कही नजर नही आते है जो पहले दिखाई देते थे।आजकल की युवा पीढ़ी के लिए ये स्थान मौज-मस्ती औऱ मनोविनोद के केंद्र ही नजर आते है।जब कि उन्हें सब ज्ञात है कि ये स्थान हमारे जीवन की दिशा औऱ दशा को बदलने वाले है।आज का युवा अपने विद्यार्थी जीवन काल का वह सदुपयोग नही कर रहा है जो उसे करने की पहली आवश्यकता है। कोई विद्यार्थी यदि उच्च आदर्श प्रतिमानों औऱ मूल्यों को यथार्थ जीवन में आत्मसात कर अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करता है तो उन पर दूसरे आदर्शहीन ,अनुशासनहीन औऱ नटखट विद्यार्थी तरह-तरह की फब्तियां कसते है,अनर्गल टीका-टिप्पणियों की बौछार करते है।जब हम ऐसा देखते है या बच्चों की शिकायत पाते है तो हम चिंतित होते है।आखिर ये बच्चे ऐसा क्यों करते है?इन बच्चों को अपने भविष्य की चिंता क्यो नही है?क्या ये बच्चे अपनी इस तरह की मानसिकता से अपना भविष्य संवार पायेंगे?न जाने ऐसे कितने अनगिनत प्रश्न मन-मस्तिष्क में उठते है?युवा पीढ़ी को इस पर गहराई से चिंतन-मनन करने की जरूरत है।युवा पीढ़ी को एक बात याद रखनी चाहिए कि जीवन को आनंददायी-मंगलकारी हम अपने उच्च आदर्श प्रतिमानों औऱ मूल्यों से बना सकते है। जिसके जीवन में ऐसे मूल्यों का अभाव है वे आदर्श विद्यार्थी या अच्छे इंसान कदापि नही हो सकते है। युवा पीढ़ी को हमारी एक ही सीख है कि अपने जीवन में अपनी संस्कृति के उच्च मानवीय मूल्यों,सामाजिक प्रतिमानों औऱ पुरखो की सीख को आत्मसात करे औऱ अपने जीवन को यशस्वी बनाने में जुट जाए।
यह एक विडम्बना है कि हम किसी महापुरुष के व्यक्तित्व से तो प्रभावित होते है लेकिन उनके आदर्शों को अपने जीवन में अंगीकार नहीं करते है। यह एक विचारणीय विषय है।नर से नरोत्तम बनने के लिए हम सबको जीवन के उच्च आदर्श प्रतिमानों औऱ मूल्यों को जीवन में आत्मसात कर अपना जीवन जीने का संकल्प ले औऱ युवा पीढ़ी के लिए उदाहरण प्रस्तुत करे।
आपका अपना
हीराराम सीरवी(गेहलोत-सोनाई मांझी)
अध्यापक
राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय,सोडावास(पाली)