अतीत के झरोखे से स्वर्गीय सीए.पीडी.चौधरी साहब के विचार और प्रतिउत्तर में राज राठौड़ के विचार….
भारी रस्साकशी और रोमांचक स्थिति के बीच सुरत सीरवी समाज द्वारा आयोजित दो दिवसीय वालीबॉल प्रतियोगिता का समापन हुआ ! हैदराबाद की यात्रा पर होने के कारण इस खेल उत्सव में उपस्थित नहीं हो पाया ! अपनी कर्म भूमि पर रहकर व्यवसाय के साथ-साथ समाज मे इस तरह के खेलों के आयोजन हमारे संगठन मे एक नयी ऊर्जा का संचार करते हैं और इससे हमारी युवा शक्ति में संगठन की भावना प्रबल बनती हैं।
इस समारोह में पधारे हमारे लोकप्रिय सांसद महोदय श्रीमान पी पी साहब ने बहुत ही महत्वपूर्ण बात कही कि “युवा समाज व देश का भविष्य है। आज इसी बात पर हम चर्चा करते हैं क्या वाकई हमारे बुजुर्ग इस बात का अहसास कर रहे कि युवा ही समाज व देश का भविष्य है। अगर ऐसा है तो फिर युवा नेतृत्व को बागडोर क्यों नहीं सोपते? खैर कारण आप सभी जानते हैं ।
किसी भी समाज की विकास यात्रा, क्षितिज की यात्रा से कम नहीं होती जो कभी समाप्त नहीं होती प्रत्येक आने वाली पीढ़ी, अतीत और वर्तमान की कड़ी होती है । अगर हम इस बात को मान लें, तो युवावर्ग की भाषा को समझना आसान हो जायगा अन्यथा यह विकट है आज के युवावर्ग,अपनी विरासत से विचार–दर्शन बहुत कम ही पाते हैं आखिर विचार-दर्शन उन्हें कौन करायेगा?
हमारे दूसरे वर्ग, बूढ़े- बुजुर्ग जिनके बनाये ढ़ाँचे पर यह समाज खड़ा रहता आया है । उनका कर्त्तव्य बनता है कि इन नवयुवकों के प्रति अपने हृदय में स्नेह और आदर की भावना रखें साथ ही उन्हें सही मार्गदर्शन देकर उन्हें आगे लाये उनका मनोबल बढाएं सिर्फ वक्तव्यों से कुछ नहीं होगा ऐसा नहीं होने पर, अच्छे-बुरे की पहचान उन्हें कैसे होगी ? आग मत छूओ, जल जावोगे नहीं बताने से वे कैसे जानेंगे कि आग से क्या होता है ? माता-पिता को या समाज के बड़े-बुजुर्गों को भी, नव वर्ग के बताये रास्ते अगर सुगम हों तो उन्हें झटपट स्वीकार कर उन रास्तों पर चलने की कोशिश करनी चाहिये ।
यह बात भी कुछ हद तक सही है कि 21वीं सदी की युवा शक्ति की सोच में और पिछले सदियों के युवकों की सोच में जमीन आसमान का फ़र्क आया है। आज के नवयुवक ढ़ेर सारी सुख सुविधाओं के बीच जीवन व्यतीत करने की होड़ में अपने सांस्कृतिक तथा पारिवारिक मूल्यों और आंतरिक शांति को दावँ पर लगा रहे हैं । सफ़लता पाने की अंधी दौड़, जीवन शैली को इस कदर अस्त-व्यस्त और विकृत कर दिया है कि आधुनिकता के नाम पर पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण,उनके जीवन को बर्बाद कर दे रहा है और इसके लिए भी कही न कही हमारी पुरानी पीढी ही जिम्मेदार हैं और संयमहीन व्यवहार के लिए हमारे आज के जन प्रतिनिधि भी उतने ही दोषी हैं क्या समाज की युवाओं के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं? जिम्मेदार पदों पर बैठे व्यक्ति जब सार्वजनिक जीवन में नैतिक मूल्यों का सरेआम क्षरण करते नजर आते हैं तो फिर युवाओं को ही दोष क्यों? युवाओं को भी ध्यान देना होगा कि कहीं उनका उपयोग सिर्फ मोहरों के रूप में न किया जाये ।
धन्यवाद
अतीत के झरोखे से स्वर्गीय सीए.पीडी.चौधरी साहब के विचार और प्रतिउत्तर में राज राठौड़ के विचार….
सर्वप्रथम आप सूरतवासी सीरवी बंधुओ, गणमान्यों को बहुत बहुत बधाई और धन्यवाद सामाजिक स्तर पर खेल प्रतियोगिता आयोजित करने के लिए…
समाजी भविष्य को हर क्षेत्र में पारंगत करना है। हमारे बड़े बुजुर्गो ने कृषि में अपना नाम किया और आज ज्यादातर समाजी बंधू व्यवसाय में अच्छी खासी पकड़ बनाये है मार्केट में पर मात्र व्यवसाय ही अंतिम ना रहे समाज को हर क्षेत्र में आगे लाना है । जिस तरह से कृषि और व्यवसाय में महारथ हासिल की है उसी तरह शिक्षा, खेल और अन्य गतिविधिया भी अतिआवश्यक है समाज को नए आयाम प्रदान करने के लिए ।
यह बिलकुल सही कि युवा ही समाज और देश के कर्णधार होते है । इसलिए युवाओं को समाज व देश के प्रति समर्पित रहना चाहिए।
आज युवाओं में जोश है मगर मार्गदर्शक की कमी है जैसा की पी पी साहब ने कहा युवा देश का भविष्य है। ये नयी बात नहीं है हर नेता कहते आये है मगर उस भविष्य को सँवारने के लिए आप हमने क्या किया ? समाज में बड़ा तबका अभी भी स्वविवेकी नहीं है वजह भले झिझक कहो या भ्रमित खुद के विचारो पर खुद ही गौर नहीं करते और खुल कर आगे नहीं आ रहे और ऐसे माहौल में कुछ rumors की भूमिका निभा रहे समाजी युवाओं को टारगेट कर तथ्यों को परखे बगैर प्रमाण रहित जानकारियों को पेश करके माहौल को और भी उलझा देते और युवा भ्रमित हो कर तय नहीं कर पाते कि कौनसी दिशा सही या गलत है । सामान्यतः हर पीढ़ी में generation gape होना स्वाभाविक है । अब उस गेप को जो कम कर पाया वो बेहतर भविष्य का निर्माण कर रहे है । पीढ़ियों के मध्य की दुरी को कैसे पाटा जाये इस पर विचार आवश्यक है ।
आज बुजुर्ग के पास अनुभव बहुत है मगर शरीर जवाब दे गये । युवाओं के पास जोश है मगर अनुभव का अभाव है दोनों में तालमेल बन जाये तो शत प्रतिशत सामाजिक समस्याओं के समाधान अपने आप निकल जायेंगे ।
अच्छे बुजुर्ग ही बेहतर भविष्य का प्रमाण है आज तक भी समाज के ऊँचे ओहदे वाले किसी मीटिंग या समारोह में भाषण तो दे देंगे कि युवा ही देश के भविष्य है, युवा वो है युवा ये है, जो सामान्यतः सुन सुन कर कान पक गए है । अरे युवाओं का मार्गदर्शन तो करो युवाओं की बेकबोन तो बनो ,युवाओं को मौक़ा तो दो, बदलेगा माहौल भी , किसी के भरोसे नहीं हम को ही बदलना है ।