●वर्तमान युग में महिलाओं का योगदान:-
आम बोलचाल की भाषा में ‘Ladies First’ एक ऐसा sentence है, जो नारी के लिए सम्मान स्वरूप है। इतिहास साक्षी है, सिन्धुघाटी की सभ्यता हो या पौराणिंक कथाएं हर जगह नारी को श्रेष्ठ कहा गया है।
समाज में आज नारी ने अपनी योग्यता के आधार पर अपनी श्रेष्ठता का परिचय हर field में अंकित किया है। आधुनिक तकनिकों को अपनाते हुए जमींन से आसमान तक का सफर कुशलता से पूरा करने में सलंग्न है।
फिर भी मन में ये सवाल उठता है कि क्या वाकई नारी को ‘Ladies first’ का सम्मान यर्थात में चरितार्थ है या महज औपचारिकता है।
अक्सर उन्हे भ्रूणहत्या और दहेज जैसी विषाक्त मानसिकता का शिकार होना पङता है। नारी की बढती प्रगति को भी यदा-कदा पुरूष के खोखले अंह का कोप-भाजन बनना पङता है।
आज की नारी शिक्षित और आत्मनिर्भर है। आजादी के बाद से नारी के हित में कई कानून बनाये गये। नारी को लाभान्वित करने के लिए नित नई योजनाओं का आगाज भी हो रहा है।उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कठोर से कठोर कानून भी बनाये गये हैं। इसके बावजूद समाज के कुछ हिस्से को दंड का भी खौफ नही है और नारी की पहचान को कुंठित मानसिकता का ग्रहंण लग जाता है।
“नारी तुम श्रद्धा हो” वाले समाज में उसका अस्तित्व तार-तार हो जाता है।
आधुनिकता की दुहाई देने वाली व्यवस्था में फिल्म हो या प्रचार उसे केवल उपभोग की वस्तु बना दिया गया है। Ladies first जैसा आदर सूचक शब्द वास्तविकता में तभी सत्य सिद्ध होगा, जब सब लोग अपनी सोच को positive बनाएंगे। आधुनिकता की इस अंधी दौङ में नारी को भी अबला नही सबला बनकर इतना सशक्त बनना है कि बाजारवाद का खुलापन उसका उपयोग न कर सके।
नारी को भी अपनी शालीनता की रक्षा स्वयं करनी चाहिए तभी समाज में नारी की गरिमा को सम्पूर्णता मिलेगी और जब तक स्त्रियों की दशा सुधारी नही जायेगी तब तक समाज में समृद्धी की कोई संभावना नही है। पंक्षी एक पंख से कभी नही उङ पाता।
इस उम्मीद के साथ कलम को विराम देते हैं कि, आने वाला समय नारी के लिए निर्भय और स्वछन्द वातावरण का निर्माण करेगा, जहाँ आधुनिकता के परिवेश में वैचारिक समानता होगी। नारी के प्रति सोच में सम्मान होगा।
✍️रमेश सीरवी सुपुत्र तगाराम जी सीरवी Designation:-
Senior Nursing Educator, Mumbai. गाँव:-चाणोद, तहसील:-सुमेरपुर, जिला-पाली, राजस्थान।