अपनी बात
वेबसाइट में छपे लेखों में स्वजनों की अपनों के प्रति छलकती भावनायें और विचारों ने अपनी बात कहने के लिए बाध्य कर दिया। विचारों के आत्मीय मिलन में संसार का सारा सुख छुपा हुआ। ऐसा लग रहा है कि सुदूर अंचलों में बसे स्वजातीय बंधुओं से वैचारिक मिलन का आगाज हो चुका हैं। चाहिए क्या था , एक सशक्त माध्यम जो विचारों को अपने आप में समेट कर देश के कोने-कोने तक बिना किसी झिझक के पहुंचे और सभी बंधुओं को एक सूत्र में पिरो सके।
हमारे दिलों में अमिट छाप बना चुके एक व्यवसाई श्री सुरेश सीरवी जी व् उनके सहयोगी टीम के हम हद्रय से आभारी है, जिनके सहयोग से हम अपनी बात अपनों तक पहुँचाने में कामयाब हो पा रहे हैं। सीरवी समाज की वेबसाइट सीरवी समाज सम्पूर्ण भारत डॉट कॉम जो अब परिपक्व रूप से हमारे सामने है, प्रति दिन देश भर में फेलें हमारे स्वजनों के बिच की दुरी मिटाने हेतु तैयार सशक्त सेतु का कार्य कर रही है। आवश्यकता है इसका भरपूर उपयोग किये जाने की। इतिहास के पन्नों पर अंकित घटनाओं से यज्ञ साबित होता है कि वैचारिक क्रांति ही किसी भी सामाजिक क्रांति के मूल में होती है। विचारों के आदान प्रदाने से ही भावनायें मिल सकती है। और हम मिलकर अपनी प्राथमिकतायें तय करने में कामयाब हो सकते हैं।
आज समाज में व्याप्त तमाम अभावों, कमियों, मतभेदों को दूर करने का, समग्र विकास हेतु सशक्त नीतियों केसाथ-साथ समयबद्ध कार्ययोजना की नितांत आवश्यकता है। उद्देश्य बड़ा है किन्तु आसान भी है। जरुरी है सभी के अन्तः करण में समग्रता के भाव के साथ सामाजिक व् मानवता के मूल्यों को पोषने की।
आइये, आज समग्र परिवारवाद के भाव से समस्त समाज के विकास हेतु अपने चिंतन से देश के स्वजातीय बंधुओं को एक सूत्र में पिरोने का संकल्प ले। इस हेतु वेबसाइट को अंतरराष्ट्रीय स्थर तक पहुँचाने में पूर्ण मनोयोग से सहयोग करने का व्रत ले तथा समाज के हित हेतु आवश्यक वैचारिक जागरूकता लाने हेतु एक जुट होकर काम करें। साथियों वह दिन दूर नहीं जब हम समूचे राष्ट्र के विकास की मुख्य धारा के अभिन्न अंग होंगे।
सस्नेह अभिवादन व् शुभकामनाओं के साथ।
मनोहर सीरवी राठौड़ , मैसूरु- कर्नाटक