शिक्षा समाज में सबसे महत्वपूर्ण तंत्र है, जो व्यक्ति के जीवन के साथ ही समाज के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आजकल, यह किसी भी समाज की नई पीढ़ी के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कारक बन गयी है। शिक्षा सभी के जीवन को सकारात्मक तरीके से प्रभावित करती है और हमें जीवन की सभी छोटी और बड़ी समस्याओं का समाना करना सिखाती है। समाज में सभी के लिए शिक्षा की ओर इतने बड़े स्तर पर जागरुक करने के बाद भी, देश के विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा का प्रतिशत अभी भी समान है। पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए अच्छी शिक्षा के उचित लाभ प्राप्त नहीं हो रहे हैं क्योंकि उनके पास धन और अन्य साधनों की कमी है। यद्यपि, इन क्षेत्रों में इस समस्या को सुलझाने के लिए सरकार द्वारा कुछ नई और प्रभावी रणनीतियों की योजना बनाकर लागू किया गया है। शिक्षा ने मानसिक स्थिति को सुधारा है और लोगों के सोचने के तरीके को बदला है। यह आगे बढ़ने और सफलता और अनुभव प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास लाती है और सोच को कार्य रुप में बदलती है। बिना शिक्षा के जीवन लक्ष्य रहित और कठिन हो जाता है। इसलिए हमें शिक्षा के महत्व और दैनिक जीवन में इसकी आवश्यकता को समझना चाहिए। हमें पिछड़े क्षेत्रों में लोगों को शिक्षा के महत्व को बताकर, इसे प्रोत्साहन देना चाहिए। विकलांग और गरीब व्यक्तियों को भी अमीर और सामान्य व्यक्तियों की तरह वैश्विक विकास प्राप्त करने के लिए, शिक्षा की समान आवश्यकता है और उन्हें समान अधिकार भी प्राप्त है। हम में से सभी को उच्च स्तर पर शिक्षित होने के लिए अपने सबसे अच्छे प्रयासों को करने के साथ ही सभी की शिक्षा तक पहुँच को संभव बनाना चाहिए जिसमें सभी गरीब और विकलांग व्यक्ति वैश्विक आधार पर भाग ले सकें।
सामाजिक संरचना में रिश्तों का महत्व
सामाजिक संरचना में रिश्तों का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रेम के महीन रेशों से बुने ये रिश्ते अत्यंत नाजुक होते हैं। भाई-बहन, दोस्त, पति-पत्नी, चाचा, मामा इत्यादि रिश्तों का रूप चाहे जो भी हो, ये सभी विश्वास, आदर, ईमानदारी एवं समर्पण की माँग करते हैं। रिश्तों की इस बेल को स्नेह, त्याग एवं विश्वास के जल से सींचना अनिवार्य है, नहीं तो यह असमय ही मुरझा जाती है। कई बार वर्षों के प्रेम संबंध छोटी-छोटी बातों, गलतफहमियों या अफवाहों के कारण टूट जाते हैं। बहुत ही सोच-समझकर, सही-गलत का परीक्षण कर संबंध तोड़ना चाहिए क्योंकि एक बार संबंध खराब हो गए तो फिर वह मिठास वापस नहीं आती। रहीम कवि ने इसी बात पर कहा है- ‘रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय। टूटे से फिर ना जुरै, जुरै गाँठ पड़ जाए।’ प्रेम के तारों में गुँथे रिश्तों को बहुत ही सहेजकर रखना चाहिए, उतावलापन इन संबंधों के लिए घातक है। कुछ बिंदुओं पर गौर करें। सामाजिक संरचना में रिश्तों का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रेम के महीन रेशों से बुने ये रिश्ते अत्यंत नाजुक होते हैं। भाई-बहन, दोस्त, पति-पत्नी, चाचा, मामा इत्यादि रिश्तों का रूप चाहे जो भी हो, ये सभी विश्वास, आदर, ईमानदारी एवं समर्पण की माँग करते हैं।
व्यवहार में रखें मर्यादा
विनीत और नीलेश बहुत अच्छे दोस्त थे। बातों ही बातों में एक बार विनीत ने नीलेश के परिवार के संबंध में अमर्यादित टिप्पणी कर दी, जिससे वह आहत हो गया और उसने विनीत से मिलना, बात करना बंद कर दिया। मजाक में भी किसी की भावना आहत न हो, इसका हमें ख्याल रखना चाहिए। एक-दूसरे की भावना का आदर करना कोई बात हमें अच्छी लगती है, जरूरी नहीं कि वह सभी को अच्छी लगे। दूसरों के विचारों, भावनाओं का आदर करके हम उनके दिल में जगह बना सकते हैं और अपने संबंध मजबूत कर सकते हैं। रखें सहयोग की भावना बंधों के मायाजाल में कई तरह के लोग होते हैं। रिश्तों की कसौटी तो विपरीत परिस्थितियों में ही होती है। खुशियों में साथ देने वालों की कमी नहीं रहती, लेकिन दुःख में हमारा साथ दे वही सच्चा दोस्त/संबंधी होता है। सहयोग की भावना किसी भी रिश्ते को प्रगाढ़ता में बदल देती है। गलत कहने-सुनने सेबचे निशा, यामिनी और रीना तीनों की खूब जमती थी। एक बार रीना ने गुस्से में निशा के समक्ष यामिनी के बारे में कुछ गलत कह दिया। बाद में उसे अपने कथन पर पछतावा हुआ लेकिन तब तक निशा यामिनी को वह बात बता चुकी थी, उसके कारण रीना और यामिनी के संबंधों में दरार उत्पन्न हो गई। इधर की बातें उधर न करें कुछ लोग इधर की बातों को उधर करके लोगों के बीच गलतफहमियाँ पैदा करते हैं। ऐसे लोगों को नजरअंदाज करना चाहिए क्योंकि आवेश में व्यक्ति भले ही कुछ बोल दे, पर मन शांत होने पर उसे अपनी गलती पर पछताना पड़ता है। समझौता करना सीखें प्रेमपूर्ण संबंधों में दोनों पक्षों को कुछ समझौते करने पड़ते हैं, एक दूसरे की अपेक्षाओं को पूरा करना पड़ता है। सिर्फ अपना लाभ देखना रिश्तों के बीच तनाव उत्पन्न कर सकता है। टालमटोल व्यवहार नरखें सीमा घर की व्यवस्था न बिगड़े, यह सोचकर अक्सर अपने घर पर कोई भी कार्यक्रम करने में टालमटोल करती रहती थी, लेकिन उसके इस स्वभाव ने उसे दोस्तों, रिश्तेदारों से दूर कर दिया। अब उसके सजे-सँवरे, सुसज्जित घर को कोई देखने वाला भी नहीं है। प्रेम के धागों से बँधे इन रिश्तों को चाहिए थोड़ी-सी देखभाल और विश्वास; फिर इनके टूटने का कभी भय नहीं होगा। संबंधों को आसानी से न टूटने दें, उनका उचित उपचार करें, भरसक प्रयास करें उन्हें चिरस्थायी बनाए रखने का।
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