समाज को गतिशील, विकासोन्मुख एवं प्रतिशील बनाने के लिए संगठित होना एक आवश्यकता हैं। संगठन विहीन समाज बिना पतवार के नाव जैसी होती है , जिसकी कोई दिशा नहीं होती और न ही कोई उद्देश्य। विश्व के समस्त समाज शास्त्रियों ने समाज और संगठन के बारे में सदैव यही बताया है, कि संगठन समाज का प्राण है। इसी परिप्रेक्ष्य में आगे बढ़ते हुए सीरवीयों के कल्याण हेतु सीरवी समाज को संगठित करने, एकजुट करने का कार्य पिछले कई वर्षों से किया जा रहा है। विभिन्न स्तरों पर संगठन का निर्माण किया गया है और संगठन को गति प्रदान करने के लिए समर्पित, सेवा भाव से युक्त कार्यकर्ताओं की सेवायें ली जाती है। अखिल भारतीय स्तर से लेकर ग्राम स्तर तक संगठन को जोड़ने का कार्य चल रहा हैं। संगठन के लोग अपना-अपना कार्य कर रहे है।
आज के परिप्रेक्ष्य में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में राजनीती ने अपना प्रभाव डाला है। हमारी सोच, हमारे कार्य, हमारे तौर तरिके ही सभी राजनीती से प्रभावित है , स्वाभाविक है। संगठन भी अछूता नहीं है। राजनीति की कूटनीति सर्वव्यापी हो चुकी है। व्यक्ति का मांस इस छूत की बीमारी से ग्रसित है संगठन के कार्यों में सेवा भाव से काम हो , फलप्राप्ति की आशा से नहीं। वर्तमान में हमारा संगठन जो शुद्ध सेवा भाव से कार्य कर रहा है समर्पित कार्यकर्ताओं की टोली से युक्त है। ऐसा लग रहा है कि इसमें राजनीति के विषाणु प्रवेश कर रहें है। इसका शमन आवश्यक है अन्यथा हम उद्देश्य से भटक जायेंगे और जो सपना हमारे पूर्वजों ने संजोया था उस पथ से विलचित हो जायेंगे तो यह सामाजिक जीवन के लिए मृत्यु का दस्तक होगा। संगठन में राजनीति नहीं हो। संगठन को राजनीति का मंच न बनने दे अपितु राजनीति से संगठन को मजबूत बनाया जाय और समाज को लाभांवित किया जाए। आइये हम सब मिलकर संगठन की ज्योति जलायें। ज्योति हमेशा पवित्र होती है और पवित्र भाव से कृत कार्य सदैव सफलता दायिनी होते है।
और अन्त में समाज के सभी स्वजातीय बंधुओं से अनुरोध करूंगा कि सीरवी समाज को एक आदर्श समाज बनायें जिससे आने वाली पीढ़ी इसका लाभ उठासके। धन्यवाद
प्रस्तुति :- मनोहर सीरवी (राठौड़) पुत्र श्री रतनलाल जी राठौड़ जनासनी – साँगावास (मैसूरु – कर्नाटक)