एक बार एक हष्ट-पुष्ट किन्तु निराशा के घोर अंधकार में डूबा हुआ व्यक्ति एक पेड़ के नीचे बैठा था।उसी पेड़ की डाल पर आकर एक बुलबुल बैठ गई।उसने देखा कि नीचे एक व्यक्ति बैठा है।बुलबुल ने उस निराश व्यक्ति से पूछा कि,”तुम दुःखी क्यो हो?”
व्यक्ति ने जवाब दिया कि ,”मैं अपनी जिंदगी की राह भूल गया हूँ,,मैं गुमराह हो गया हूँ और मुझे आगे की राह दिखाई नही दे रही है। मैं क्या करूँ,क्या न करूँ?”
इस पर बुलबुल हँस पड़ी और कहने लगी कि,”तुम राह खोज रहे हो या राह तुम्हे खोज रही है।”
बुलबुल ने कहा कि मैं तुम्हे एक नेक सलाह देती हूँ कि तुम गुलाब के पास जाओ और गुलाब से पूछो कि -जिंदगी की राह किधर है?
निराश व्यक्ति गुलाब के पास जाता है और गुलाब से ऐसा ही सवाल करता है।
गुलाब के फूल ने हँसकर कहा कि,”मेरे कांटो पर चलो।जब कांटे तुम्हारे पैरों में चुभेंगे तो तुम्हे चलना अपने आप आ जायेगा।’
व्यक्ति ने कहा कि,”मैं कांटो पर नही चल सकता हूँ।’
गुलाब ने कहा कि जो तीर नही सह सकेगा वह तलवार क्या सहेगा।
गुलाब ने उस निराश -हताश व्यक्ति को कहा कि,”माना कि जिंदगी में कांटे ही कांटे है लेकिन तुम मेरी तरह क्यों नही जी लेते कांटो से ऊपर मुस्कराते हुए।”
जीवन मे याद रखिए कि-बिन संघर्ष कदापि उत्कर्ष नही होता है।बिन उत्कर्ष के कोई हर्ष नही है अर्थात खुशी नही मिलती है।
गुलाब ने आगे कहा कि मेरी बात को ध्यान से सुनो।
तुम इंसान हो और इंसान दुनियां की एक ऐसी हस्ती है जो आसमान के तारे तोड़ ला सकता है।मेहनत करो,परिश्रम से जी मत चुराओ।परिश्रम से सबकुछ प्राप्त हो सकता है।धरती की जितनी भी खुशिया पड़ी है वे अपने आप ही आकर तुम्हारी झोली में आ जायेगी,बशर्ते तुम ईमानदारी व सच्चाई से पुरुषार्थ करोंगे।
आलस्य ने जो ताले बंद कर दिए है,उसे तुम परिश्रम की चाबी से खोल लो।तुम्हारी खुशियां तुम्हे वापस मिल जायेगी।आलस्य छोड़ो और पुरुषार्थ का वरण करो।असली खुशी हासिल करना चाहते हो तो घोर परिश्रम करो।कठोर परिश्रम करने से जो तुम पसीना बहाओगे वह पसीना बेकार नही जाएगा।उसी पसीने से अपने गम(दुःख) की खेती को सींचो,उससे खुशियों के फूल खिलेंगे।खुशियां बांट दो।उन्हें अपनी जागीर मत समझो,जो खुशियां बांटता है वह कभी दुखी नही रहता ।
निराश व्यक्ति धीर-गंभीर होकर गुलाब की बात सुनता रहा।गुलाब ने उस व्यक्ति से कहा कि, मेरी एक बात और ध्यान से सुनो।
किस्मत के सहारे कभी मत बैठो।किस्मत क्या है?जिसे लोग तकदीर या भाग्य कहते है वही है किस्मत।
तुम स्वयं अपने भाग्य का निर्माता हो।(Man is the maker of his destiny. )व्यक्ति अपने हाथों से अपनी तकदीर बनाता है।तुम भी अपने हाथों से अपनी तकदीर लिख सकते हो।तुम जीवन मे खुशी को पाना चाहते हो तो घोर परिश्रम करो।परिश्रम से ही जीवन मे सफलता मिलती है।सफलता से जीवन मे असीम खुशियां प्राप्त होती है।
जिंदगी में काम ऐसा करो जिसमें तुम्हे भी खुशी हासिल हो और दूसरों को भी प्रसन्नता हो,जीवन में सदा हँसकर,खुश रहकर काम करो।किसी भी कार्य को टालमटोल न करे।अपने कर्तव्य का ईमानदारी से निर्वहन करे।मन मारकर और नाराज होकर कोई कार्य न करे।काम को काम के ढंग से करो।हँसकर जो मेहनत करोगे,वह तुम्हारे चित्त को प्रसन्न कर देगी।रोकर जो कुछ करोगे ,वह सब बेकार हो जाएगा।जीवन मे सदा याद रखो,खुश होकर कार्य करने से मन को सुकून मिलता है।अपने जीवन मे एक ध्येय लेकर चलो कि मेरे काम से सबक भला हो।वह इंसान दुनिया कभी दुःखी नही रहता है जो अपने लिए नही औरो के लिए जीता है।
गुलाब ने निराश-हताश व्यक्ति से कहा कि,
“उठो मनस्वी,बनो यशस्वी ,क्यों रो-रोकर आंखे मलते हो?
मंजिल कुछ भी दूर नहीं, यदि दृढ़ कदमों से बढ़ते हो।”
निराश व्यक्ति तुरंत खड़े होकर गुलाब को साधुवाद देता है कि ,हे गुलाब,तुम्हे मेरा शत-शत वंदन-अभिनंदन-नमन।
तेरी सीख से मैं जीवन मे करूँगा निष्ठा से सदा जतन।।
आज मुझे असल खुशी को पाने का सूत्र मिल गया।
प्यारे विद्यार्थियों ,तुम्हे अपने दिल मे संजोए सपने साकार करना है तो अब भी संभल जाओ,अपने आपको अपने निहित लक्ष्य को पाने के लिए झौंक दो। अपने मन को संयमित रखकर एकाग्रचित्त होकर तन्मयता से अपना सर्वश्रेष्ठ अर्पण कर दो,सबकुछ पा लोंगे।जिंदगी की असली खुशी तुम्हे स्वयं को अपने पुरुषार्थ से पानी है,वह कोई और तुम्हे भेंट करने नही आएगा।
सभी विद्यार्थियों को एक ही सीख इस मुक्तक के माध्यम से दे रहा हूँ कि,
“क्षितिज का स्पर्श हो या सागर मंथन,
श्रम, संयम और आशा का करना होगा वंदन।।
इन जतनो से जयति मिलेगी,
जयश्री से होगा अभिनंदन।।”
सभी विद्यार्थियों और प्रतियोगी परीक्षा में बैठने वाले परीक्षार्थियों के उज्ज्वल एवम सफलमय जीवन की अनेकानेक शुभकामनाये।
द्वारा
हीराराम सीरवी गेहलोत
संपादक
श्री आई ज्योति
(त्रैमासिक हिन्दी पत्रिका।)
श्री आईजी विद्यापीठ संस्थान,जवाली(पाली) राजस्थान।