(1) सीरवी राठौड़ शाखा का उद्भव :-

राठौड़ – राठौडो की उत्पत्ति के विषय में विद्वानों में मतभेद हैं इनके भाट इन्हें हिरण्यकश्यप की रानी दिति से उत्पन्न मानते हैं,इनका कहना हैं कि राजा मुचकुंद का नाम राठौड़ था जिसके वंशज राठौड़ कहलाये। कुछ विद्वान् इन्हें इंद्र की रहट (रीढ़) से उत्पन्न मानते हैं,कर्नल टाड इन्हें शक आदि अनार्यों की तथा वी. ए. स्मिथ गौड़ आदि असभ्य जातियों से निकला मानते हैं। कुछ विद्वान् इन्हें दक्षिण के दविड़ों से निकला मानते हैं,जोधपुर राज्य की ख्यात में इन्हें राजा युवनाश्व के पुत्र बह्दबल की संतान कहा गया हैं तथा दयालदास ब्राहमण वंशीय भल्लराव की संतान मानता हैं। राठौड़ महाकाव्य में इन्हें शिव के चन्द्रमा से उत्त्पन्न बताया गया हैं | ऊपर लिखित सभी तथ्य बुद्धि की हवाई दौड़ हैं।तथ्य यह हैं कि यह वंश रघुवंशी भगवान राम के द्वितीय पुत्र कुश का वंश हैं। इस वंश का प्राचीन नाम राष्ट्रकूट हैं,राष्ट्रकूट से विकृत होकर राठौड़, राउटड, राठौढ या राठौर प्रसिद्द हुआ | यह वंश विशुद्ध सूर्यवंशी हैं (राजपूत वंशावली पृ.54)

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