(20) सीरवी परिहार शाखा का उदभव :–

सीरवी परिहार शाखा का उदभव :–
परिहार – इस वंश को पनिहार, पडियार, परिहार, प्रतिहार या गुर्जर प्रतिहार (गुजरात प्रदेश पर शासन करने के कारण) वंश भी कहा जाता हैं | चन्द्रवरदायी आदि कवियों ने इन्हें अग्नि वंशी माना हैं | कर्नल टाड, मि. जेक्सन आदि कई इतिहासकारों ने इस कपोल कल्पना को मान्यता देकर इस वंश को विदेशियों से उत्पन्न होकर गुर्जर (गुर्जस्त्र) वंश माना हैं | इन कपोल कल्पनाओं का कोई भी ऐतिहासिक आधार नहीं हैं! पहले इस वंश को राम के पुत्र लव की संतान मानते थे, किन्तु नई शोधो से पता चला हैं कि यह वंश राम के अनुज भ्राता लक्ष्मण का वंश हैं, वनवास कल में लक्ष्मण भगवान राम तथा सीता के प्रतिहार (द्वारपाल) के रूप में रहे थे | अत: इन्हें प्रतिहार की उपाधि से विभूषित किया गया था | यह मत जोधपुर महाराजा बाऊक केर नौवीं शताब्दी के शिलालेखों से भी प्रमाणित होता हैं | यह वंश विशुद्ध सूर्यवंशी हैं | राजपूत वंशावली पृष्ठ ८८

Recent Posts