(23) सीरवी परिहारिया गौत्र का उदभव :–

सीरवी परिहारिया गौत्र का उदभव :–
परिहारिया – रिपोर्ट-मरदुमशुमारी राजमारवाड़ १८९१ ई. पृष्ठ १६ पर राय बहादुर मुंशी हरदयाल सिंह लिखते हैं, यह पूर्व दिशा से आये हैं और कहते हैं कि भजन ऋषि का बेटा पड़ियारिया वनथल में हुआ | वनथल से राजा कपिल अयोध्या में आया, कपिल का बेटा पहलाद, पहलाद का बलम और बलम का अनुर हुआ, जिसके खानदान में से अनुराज अयोध्या छोडकर कश्मीर गया | उसकी औलाद में से राजा जगथम्ब भीनमाल में आया, उसका बेटा लकमीबर और लकमीबर का प्रयाग हुआ | उसने सुंधा पहाड़ के ऊपर लोहागल में जाकर अपना राज स्थान सम्वत १३८७ में वांधा, उसका बेटा चाऊदे हुआ, उसके चार बेटे हुए :- १. देवल जिसकी औलाद में लोयाणे और ऊछमत के देवल हैं।२. कुकड जिसके वंश वाले कुकड कहलाते हैं | ३. गुंदा जिसके खानदान में गुंद राजपूत हैं | ४. भीमा जिसके भार्डिया हुए | इनका साम गौत्र हैं, सुंधा माता को पूजते हैं | यह अपने को रघुवंशी भी कहते हैं | समाज के राव-भाट अपनी बही से इस वंश का निकास पंवार से बताते हैं | परिहारिया बंधू स्वयं को रघुवंशी कहने से यह ज्ञात होता हैं कि यह वंश परिहार से हैं |

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