चेन्नई प्रवासी राजस्थान मूल की सुनीता सीरवी ने यू-टयूब के माध्यम से मेहन्दी की कई बारीकियां सीख ली। अब मेहन्दी में पारंगत होने के बाद वे दूसरों को सीखा रही ही…..

चेन्नई. यदि मन में सीखने की ललक हो तो आपदाएं कभी बाधा नहीं बन सकती। उत्साह व लगन किसी चीज को और आसान बना देती है। जब लॉकडाउन लगा तो चेन्नई प्रवासी राजस्थान मूल की सुनीता सीरवी ने यू-टयूब के माध्यम से मेहन्दी की कई बारीकियां सीख ली। अब मेहन्दी में पारंगत होने के बाद वे दूसरों को सीखा रही है। सुनीता सीरवी कहती है, मेरी बचपन से ही मेहन्दी लगाने की रूचि रही है। बड़ी होती गई तो यह शौक और बढ गया। हालांकि कभी किसी से मेहन्दी की कोई ट्रेनिंग नहीं ली। पहले एक-दो किताबों के जरिए मेहन्दी लगाना सीखा। फिर धीरे-धीरे घर-परिवार व रिश्तेदारों को मेहन्दी लगाने लगी। वैसे तो मेहन्दी लगाने के बारे में लॉकडाउन से पहले भी काफी जानकारी थी लेकिन खास बल मिला लॉकडाउन के दौरान। लॉकडाउन के समय यू-ट्यूब पर मेहन्दी लगाने के सैकड़ों वीडियो देखे तो मेहन्दी को हर कोण से समझ लिया। पहले इतना पता नहीं था कि मेहन्दी इतनी विविधताओं भरी है। लेकिन जब मेहन्दी के वीडियो देखे तो पता चला कि मेहन्दी कई तरह से और विविध रूपों में लगाई जा सकती है। परिवार का मिला प्रोत्साहन वे कहती है, अब तो मैं सैकड़ों डिजाइन में मेहन्दी लगाने में पारंगत बन चुकी है। वह भी चुटकियों में मेहन्दी लगा सकती हूं। घर-परिवार के सदस्यों का प्रोत्साहन मिला तो मेरी रुचि और अधिक बढ़ती गई। मेरी छोटी बहनों अरुणा, आरती व पूजा ने भी इन्टरनेट के जरिए मुझे मेहन्दी की नई तकनीक से अवगत कराया। इससे मेरा हौसला और बढ़ा। बढ़ रहा है मेहन्दी का चलन सुनीता कहती है, शादी-ब्याह व पर्व-त्यौहार के समय लोग मेहन्दी अधिक लगाते हैं। वैसे आजकल आम दिनों में भी मेहन्दी लगाने का चलन बढ़ रहा है। महिलाएं व युवतियां अब नई डिजाइन की मेहन्दी लगाना अधिक पसंद करने लगी है। मेहन्दी लगाना इतना आसान भी नहीं है। इसमें काफी हार्ड वर्क करना पड़ता है। कई बातों का ध्यान रखना होता है। मेहन्दी लगाते समय ध्यान केन्द्रीत रखना पड़ता है। इसमें फिनिशिंग व बारीक वर्क काफी मायने रखता है।

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