पाली:–रानी तहसील मुख्यालय से 35 किमी दूर गेनड़ी गांव में 30 अक्टूबर 2023 को श्री आई माताजी धर्म रथ भैल का भव्य स्वागत किया गया

रानी तहसील मुख्यालय से 35 किमी दूर सिवास, पिलोवणी, बोलागुडा, रामाजी गुड़ा, केरली और टोकरला के बीच पंचायत मुख्यालय का गांव है *-गेनड़ी*।
छत्तीस कौम की इस बस्ती में लगभग 650 घर है, जिनमें सीरवी, राजपुरोहित, मेघवाल, कुम्हार, देवासी, माली, घांची, गोस्वामी, सरगरा, नायक, वादी, ढोली, राजपूत, दरोगा, दर्जी, सुनार, वैष्णव और ब्राह्मण यहां पर बसते हैं।
सीरवी समाज के यहां पर लगभग 300 घर है जिनमें चोयल, लचेटा, खंडाला, परिहार, परमार, बरफा, काग, मुलेवा, सोलंकी, सानपुरा और गहलोत यहां बसते हैं।
यहां पर श्री आई माताजी की बडेर बहुत भव्य एवं मार्बल में बनी हुई है, पास में बहुत ही अच्छा हाॅल बना हुआ है, जिसमें सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध है।
यहां पर श्री आई माताजी के बडेर की प्राण प्रतिष्ठा जेठ बदी दशम् सन् 2005 में श्री आई माताजी के धर्मरथ भैल और परमपूज्य दीवान साहब के करकमलों से संपन्न हुई थी।
वर्तमान में यहां पर *कोटवाल श्री शेषाराम जी दूदाजी लचेटा जमादारी श्री गमनाराम जी खूमाजी चोयल और पुजारी तेजाराम जी नेमाजी लचेटा उर्फ मामा* यहां पूजा कर रहे हैं।
सरकारी नौकरी में यहां पर श्री *रमेश गोमाराम जी लचेटा बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, और नगराजजी गणेशराम जी लचेटा पुणे के अंदर इंजीनियरिंग* कर चुके हैं।
स्थानीय राजनीति में यहां से श्री *पकाराम गेनाजी चोयल एक बार सरपंच* रहे, श्री *थानारामजी डूंगाजी लचेटा* एक बार सरपंच रहे, एक बार आपकी धर्मपत्नी *लीला थानारामजी लचेटा सरपंच रही। गणारामजी दलाजी लचेटा पंचायत समिति सदस्य* रहे।
व्यापार व्यवसाय में यहां से वास्ता, अनावल, नवसारी, सूरत, व्यारा, मुंबई, पुणे, बेंगलुरु और हैदराबाद में सीरवी फल फूल रहे हैं। यहां से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में स्वर्गीय ताराराम जी शेराजी बरफा सूरत, श्री देवाराम जी मोतीजी चोयल बदलापुर मुंबई, श्री जस्साराम जी रामाजी लचेटा नवसारी, श्री तेजाराम जी नेमाजी लचेटा (मामा) नवसारी गए थे।
स्थानीय ग्राम विकास के कार्य में फुआराम जी रूपाजी काग डाबला बेरा वालों द्वारा विद्यालय में कमरा निर्माण और बोलागुड़ा मार्ग पर प्याऊ का निर्माण करवाया गया। श्री गमनारामजी दूदाजी चोयल द्वारा भी बोलागुड़ा मार्ग पर प्याऊ का निर्माण करवाया गया। श्री पकारामजी भगाजी चोयल द्वारा भेरूजी मंदिर जांगर गेनड़ी मार्ग पर अवाला निर्माण करवाया गया। श्री लच्छारामजी चमनाजी काग द्वारा मामा जी मंदिर जांगर गेनड़ी पर पानी का टांका और भेरुजी के मंदिर में हाॅल बनवाई गई।
श्री *मानाराम जी डूंगाजी लचेटा* नवसारी बडेर के सचिव है। श्री *चतराराम जी हीराजी गहलोत* कृष्ण गौशाला सिवास के उपाध्यक्ष हैं। आप सिवास स्कूल में एसएमसी के अध्यक्ष भी है।
गेनड़ी में लगभग 70-80 वर्ष पूर्व *वनजी बा परिहार तपस्वी संत* हुए थे जिनकी समाधि पर आज भी जन जन शीश नवाते हैं। आपकी समाधि बेरा पिपलिया पर है। जिनके परचे आसपास के एरिया में कहे और सुने जाते हैं।आपके समाधिस्थ होने के बाद में आपके पुत्र ने उनको तपस्वी और संत मानने से इनकार कर दिया और कहा कि वे साधारण आदमी थे मैं उनकी समाधि पर पूजा नहीं करूंगा, तब उसको काफी कष्ट झेलने पड़े। फिर उसने एक काम किया कि नीम की पांच डालियां तोड़कर रेत में रोपी, जेठ के महीने में केवल एक बार थोड़ा थोड़ा सा पानी पिलाया और कहा कि रोपी हुई डालियां हरी होकर अगर पेड़ बन जायेंगे तब मैं उनको मानूंगा। तपस्वी के तप का चमत्कार यह है कि वाकई में आज के दिन पांच में से तीन बहुत विशाल नीम के पेड़ मौजूद है।
खिंवाड़ा के ठाकुर साहब श्रीमान प्रताप सिंह जी वनजी बा के भक्त थे, उन्होंने वनजी बा को खुद की मृत्यु कब और कैसे होगी भविष्यवाणी करने का निवेदन किया, वनजी बा ने छः महीने बात को टलाया पर वे हठ करते रहे और प्रताप सिंह जी को कहा कि आपकी मौत बहतर वर्ष की उम्र में भैंसे और सांड की लड़ाई में फैट लगने पर आपकी मृत्यु होगी,सत्तर वर्ष की उम्र के बाद आपने रावले से बाहर आना बन्द कर दिया पर वनजी बा द्वारा की गई मौत की पूर्व भविष्यवाणी सटीक बैठी,और आपकी मौत दो साल बाद भूल से बाहर आते ही सांड और भैंसे की टक्कर में हुई। जोधपुर दरबार को भी आपके द्वारा पर्चा दिया गया था,आप दरबार के मेहमान थे तब पीछे गेनड़ी में कुंए पर काम करते हुए एक व्यक्ति आपके कुंए में गिर गया तब आपने भोजन करते हुए भोजन छोड़कर यह बात बताई किसी को विश्वास नहीं हुआ पर घुड़सवार गेनड़ी दौड़ाया तब बात सत्य साबित हुई।आप मौजीबाबा गलथणी के शिष्य थे। मौजीबाबा ने 12 वर्ष वनजी बा के घर पर सिंचाई कार्य में अदृश्य हो कर सिंचाई की।
सीरवी समाज गेनड़ी के चंहुमुखी विकास और खुशहाली की कामना करता हूं -दीपाराम काग गुड़िया।

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