प्रतिभा एक छोटा सहज शब्द है, लेकिन जब इसकी गहराई मे जाते है तब पता चलता है कि कैसे अपनी जिन्दगी का सबसे स्वर्णिम समय बचपन व जवानी इन प्रतिभाओ ने 15-20 साल तक रोज 10-15 घंटे मेहनत की भट्टी मे तपकर अपने आप को तैयार करते है….

अगर सफलता पानी है दोस्त तो कभी वक़्त और हालात पे रोना नहीं मंजिल दूर ही सही पर घबराना मत दोस्तों
क्योंकि नदी कभी नहीं पूछती कि समुन्दर अभी कितना दूर है…

प्रतिभा एक छोटा सहज शब्द है, लेकिन जब इसकी गहराई मे जाते है तब पता चलता है कि कैसे अपनी जिन्दगी का सबसे स्वर्णिम समय बचपन व जवानी इन प्रतिभाओ ने 15-20 साल तक रोज 10-15 घंटे मेहनत की भट्टी मे तपकर अपने आप को तैयार करते है।

दोस्तो, अपने समाज में भी प्रतिभाशाली प्रतिभाओ की कमी नहीं है, बस जरूरत है इन्हें लगातार प्रेरित व प्रोत्साहित करने की, इसके लिए चाहे मोटिवेशनल सेमिनार हो या प्रतिभा्वान सम्मान समारोह या उनके कठिन परिश्रम व संघर्ष की कहानी को समाज व बच्चों से रुबरु करवाकर।

दोस्तों हमारा प्रयास होना चाहिए कि समाज की छिपी हुई इन बहुमुखी प्रतिभाओ की मेहनत व आसमां छुने के संघर्ष को समाज व भावी पीढी के सामने लाने की ताकि बच्चों के साथ साथ उनके पेरेंट्स भी उनसे प्रभावित हो। बच्चे ऐसी प्रतिभाओ के संघर्ष जीवन से प्रेरित होकर व प्रेरणा लेकर आगे बढे।

क्योंकि बच्चे इस उम्र मे दूसरों से बहुत जल्दी प्रभावित होते है। यदि वह किसी भी क्षेत्र में एक सफल प्रतिभा के कठिन मेहनत व संघर्ष को देखते हैं, तो अपने आप को एक बार तो उसके पदचिन्हों पर चलने की मन मे ठान ही लेता है और उसकी भौतिक समृद्धि, वैभव, आनंद, आदि से आकर्षित तो होता ही है और उस क्षेत्र में अपना भविष्य खोजने का इरादा भी रखता है, बाद मे यह सब निर्भर करता है उसकी खुद की मेहनत, परिवार का सहयोग, समाज संगठन की सक्रियता पर।

प्रतिभाओं का सम्मान करना एक अच्छी परंपरा है। इससे दूसरों को प्रेरणा मिलती है तो समाज को टेलेंट मिलता है। प्रतिभाएं समाज की धरोहर है उनको प्रोत्साहित करना हमारा कर्तव्य व दायित्व भी है क्योंकि इनसे अन्य विद्यार्थियों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है और यह बहुत जरुरी भी है।
ऐसा कहा भी जाता है कि समाज की प्रतिभाओं का सम्मान करना सबसे पुनीत कार्य है क्योंकि प्रतिभाओं के बल पर ही समाज निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सकता है। इसके लिए हमें समाज मे कठिन मेहनत व दृढ इच्छाशक्ति से सफल बन्धुओं से प्रेरणा लेकर कार्य करने चाहिए क्योंकि वे ही समाज के मुख्य मार्ग दर्शक होते है।

प्रतिभाओं को सम्मान देना, उन्हें उचित मंच प्रदान करना और उन्हें मोटिवेट करना एक अच्छी परम्परा है, जिसे निरंतर जारी रखना चाहिए। प्रतिभाएं चाहे वो किसी भी क्षेत्र में परचम लहराए उनको प्रोत्साहित करके अन्य प्रतिभाओं को प्रेरित किया जा सकता है। दोस्तों यह कटु सत्य है कि प्रतिभाएं किसी भी समाज की धुरी ही नहीं होती बल्कि भावी पीढ़ी के लिए करियर मे ऊंची उडान भरने का एक अच्छा संदेश देकर जाती हैं और इनका सम्मान करना समाज के लिए प्रेरणा दायक है। समाज के सभी लोगों को इस क्षेत्र में बढ़-चढ़ कर भाग लेना चाहिए ताकि समाज को एक नई दिशा दी जा सके।

दौलाराम सोलंकी, धणा, उदयपुर

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