राजस्थान:–पाली जिला और तहसील मुख्यालय से 8 किमी दूर रामासिया, तोगावास, मानपुरा, सोनाई माझी और गुंदोज के मध्य पंचायत मुख्यालय का गांव है- *हेमावास*।

*तीन गौत्र तेरह घर*
*गांव हेमावास रे मांय*
*मांजी बिराजै खारोलों घर*
*बांडेरु पूजे घर मांय*
*अब तो जागो सीरवियों*
*मांजी ने दिराओ अब ठौड़*
*आशीष चाहो जो आई मात री*
*अब कर लो मां री खातरी*।
पाली जिला और तहसील मुख्यालय से 8 किमी दूर रामासिया, तोगावास, मानपुरा, सोनाई माझी और गुंदोज के मध्य पंचायत मुख्यालय का गांव है- *हेमावास*।
छत्तीस कौम के लगभग 1000 की बस्ती में घांची,खारोल, राजपूत, राजपुरोहित, सीरवी, देवासी, मेघवाल, कुम्हार, ब्राह्मण, वैष्णव, गोस्वामी, दर्जी, पटेल और सरगरा आदि यहां पर निवास करते हैं।
हेमावास में सीरवी समाज के मात्र तीन गौत्र लचेटा, काग और चोयल के तेरह घर हैं।
यहां पर श्री आई माताजी का बडेर अलग से बना हुआ नहीं है, *यहां एक डोरा बंद खारोल परिवार के घर में श्री आई माता जी का स्थान बना हुआ था*,उस खारौल परिवार के घर उठ जाने पर खारौल परिवार ने अपना घर अपने समाज को भेंट कर दिया जो अब खारौल समाज का न्याति नौहरा है। उसमें चारभुजा जी का मंदिर है एवं पास में श्री आई माता जी का भी केवल मंदिर है,*पाट स्थापना नहीं है*, जिस पर एक संत पूजा कर रहे हैं। सीरवी समाज के द्वारा मात्र बड़ी बीज को जाकर नारियल चढ़ाया जाता है, बाकी दिनों में सीरवी बंधुओं द्वारा यहां पूजा अर्चना नहीं की जाती है, सभी अपने घरों में पूजा अर्चना करते हैं, *सीरवी समाज का अभी तक कोई बडेर नहीं है*, और समाज के द्वारा लिया हुआ प्लॉट भी नहीं है।
यहां पर *कोटवाल पुखाराम जी आसूराम जी लचेटा तथा जमादारी मूलाराम जी चेनाजी काग* समाज की सेवा कर रहे हैं।
यहां पर सरकारी नौकरी में श्री डूंगाराम जी मांगीलाल जी लचेटा रेल्वे में इलेक्ट्रीशियन है, और भरत मूलाराम जी काग ने बी फार्मेसी पूरा किया है।
राजनीति में इस गांव से सीरवी समाज ने किसी भी पद के लिए अभी तक खाता ही नहीं खोला है।
व्यवसाय में यहां से मात्र मुंबई में सीरवी बंधु अपने गांव का नाम रोशन रहे हैं।
यहां से सबसे पहले दक्षिण जाने वालों में वंसाराम जी आसूजी लचेटा मुंबई गए थे।
ग्राम विकास कार्य में एवं दक्षिण भारत के बडेर संगठनों के पदाधिकारी रूप में हेमावास के कोई बंधु नहीं है।
हेमावास में श्री आई माताजी धर्म रथ भैल का आगमन नहीं होता है सोनाईमांजी भैल आगमन पर बाबाजी द्वारा जात प्राप्त की जाती है इस बार श्री हीराराम जी गहलोत सम्पादक श्री आई ज्योति को साथ लेकर यह जानकारी प्राप्त की।
शीघ्र ही श्री सीरवी बंधुओं द्वारा अपने लिए क्रय किये हुए भूखंड को श्री आई माताजी मंदिर के लिए भेंट की घोषणा कर मंदिर निर्माण की योजना है घरों की संख्या नगण्य होने से धन संग्रह मुश्किल हो रहा है।
श्री आई माताजी से सीरवी समाज हेमावास की खुशहाली की कामना करता हूं -दीपाराम काग गुड़िया।

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