राजस्थान :– पाली जिले के गुड़ा रुघनाथ सिंह ग्राम में हुआ श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल का गाजे-बाजे के साथ भव्य बधावा

दिनांक 8 अगस्त 2023 को राजस्थान पाली जिले के गुड़ा रुघनाथ सिंह ग्राम में हुआ श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल का गाजे-बाजे के साथ भव्य बधावा

विक्रम संवत 2025 और दो कौम आमने-सामने। एक तरफ राजपूत जिनके साथ में 40- 50 रावत और अन्य लोग भी। दूसरी तरफ सीरवी समाज के मात्र आठ सीरवी बंधु जिनमें से सामना करने की सामर्थ्य केवल उमबा,मेगोबा जस्सोबा,तेजोबा और ओटो बा। हमनें विक्रम संवत 1368में जालौर के साका के समय विपत्ति में तलवार भले ही छोड़ दी एवं हाथ में हल धारण कर आगे होकर युद्ध नहीं करने की ठान ली लेकिन क्षत्रियता का स्वाभिमान तन मन और खून में था वह जाग उठा और अपनी ईष्ट देवी को याद कर जो सामने आये उनको छटी का दूध याद दिला दिया और रडावास के ठाकुर साहब ने दोनों कौम को एक साथ बिठाकर समझौता करवाया।जिसे आज की पीढ़ी याद कर गर्व महसूस करते हैं, तथा आज भी विवाह अवसर पर बंदौली निकालने के समय लड़ाई की आशंका से लठ्ठ लेकर बंदौली निकालते हैं, उस गांव का नाम है गुड़ा रुघनाथ सिंह।

राणावास से तीन किलोमीटर दक्षिण में केवल 150-200 घर की छोटी सी बस्ती गुड़ा रुघनाथ सिंह में सीरवी समाज के पुराने 30घर व अब प्रति कंदोरा 103परिवार गिनती में हैं जिनमें से मारवाड़ में अपने मां बाप से मिलने आये युवा पीढ़ी के गिने चुने बंधु दिखाई पड़ते बाक़ी बा और धा विराजमान हैं। इस गांव के बांडेरुओं ने 2007 में मंदिर ( बडेर) निर्माण करवाया और परम पूज्य दीवान साहब श्री माधव सिंह जी के कर कमलों से 2010 में श्री आई माताजी के पाट एवं मूर्ति स्थापना करवाई गई। माताजी के एक तरफ आशापुरा माता जी एवं दूसरी तरफ खेतलाजी विराजमान हैं सामने गजानन जी और सरस्वती जी तथा मंदिर के साइड में एक तरफ हनुमान बालाजी तथा दूसरी तरफ राधा कृष्ण जी और मुख्य मंदिर के सामने शिव परिवार की स्थापना की हुई है। मंदिर के पास शानदार सभा भवन बनाया गया है। मंदिर परिसर लगभग एक बीघा जमीन पर फ़ैला हुआ है मंदिर का पुनः रंग रोगन करवाया हुआ एवं अच्छी सुविधा के साथ बांडेरुओं में बहुत अच्छा प्रेम, सम्मान भावना तथा जोश बरकरार है।
इस गांव में सीरवी समाज के अलावा राजपूत, देवासी, वैष्णव,नाथ, मेघवाल, मीणा, ढोली और जोगी लोग निवास करते हैं।
सीरवी समाज में लचेटा गौत्र का बाहुल्य है जो अकेले 75% है बाक़ी में चोयल, पंवार,सैणचा तथा देवड़ा है।
यहां से 1980 में सीरवी बंधुओं ने दक्षिण भारत की ओर प्रस्थान किया जिनमें जीवाराम जी लचेटा, मोहनलाल जी,सज्जाराम जी,कुन्नाराम जी और भेराराम जी लचेटा का नाम मुख्य है।इस गांव से सर्वाधिक हैदराबाद तथा अन्य नगरों में बंगलौर, सूरत, पूना, मुम्बई और राणावास में व्यापार व्यवसाय में लगे हुए हैं।
सीरवी समाज के 09 बेरे हैं जिन पर लगभग 500 बीघा जमीन है जल मीठा तथा भरपूर है सभी फसलें होती है पर सूअरों ने मक्का, शकरकंद और ककड़ी बोना भुला दिया है।
वर्तमान में यहां पर घीसाराम जी सैणचा कोटवाल,वीरमराम जी चोयल जमादारी एवं गुड़ा रामसिंह के वृद्ध पुजारी श्री खेताराम जी सोलंकी एक वर्ष से अपनी सेवा दे रहे हैं।
यह गांव राणावास,गादाणा,रडावास, गुड़ा रामसिंह, गुड़ा प्रेम सिंह,गुड़ा दुर्जन,चौकड़िया और गुड़ा मेहकरण के मध्य आया हुआ है।
इस गांव से भी सीरवी समाज ने अभी तक सरकारी नौकरी में खाता नहीं खोला है दक्षिण भारत के बंगलौर में मुकेश लचेटा सीए बनने की राह पर है अब भावी पीढ़ी से उच्च सेवा में आशा और अपेक्षा रखते हुए मां श्री आई जी से गांव की खुशहाली की कामना करते हैं – दीपाराम काग गुड़िया।

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