राजस्थान:–पाली जिले के भगवानपुरा गांव में 03 सितम्बर 2023 की शाम को श्री आई माताजी धर्म रथ भैल का भव्य बधावा किया, शाम को संध्या आरती में भी अच्छी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे….

थाली में रखकर रुपए लेकर आना
और
थाली में रखकर बेलें ले जाना।
मारवाड़ जंक्शन से 7 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत बिठौड़ा कलां का वह छोटा सा ग्राम जो नरसिंहपुरा, कारोलिया, चेलावास, आंगदूष और आउवा के मध्य बसा हुआ है ग्राम- भगवानपुरा।
छत्तीस कौम के 300 घर की बस्ती ग्राम भगवानपुरा सीरवी बाहुल्य गांव है, जिनमें सीरवी समाज के अलावा राजपूत, देवासी, जाट, मीणा, मेघवाल, राव, वैष्णव, घांची, सरगरा और ढाढ़ी है।
सीरवी समाज में देवड़ा गोत्र का बहुमत है एवं आधे से अधिक लगभग 150 घर देवड़ा गोत्र के हैं। अन्य गौत्र में काग, लचेटा, चोयल, परिहार,बरफा और आगलेचा निवास कर रहे हैं।
यह गांव पहले नदी किनारे बसा हुआ था विक्रम संवत २००१ की बाढ़ में जनहानि से तो बच गया लेकिन सभी घर बह गये तब भादवा सुदी चौथ को इस नये गांव की नींव रखी गई।जिस तरह सवाई जयसिंह जी ने योजनाबद्ध रूप से जयपुर बसाया उसी प्रकार आयताकार रुप में इस बस्ती में चौड़े बाजार की जगह रखी गई समकोण पर काटती गलियां हैं। पुराने बुजुर्गो के कथनानुसार श्री परको बा देवड़ा ने अपने पाऊंडों (पैरों से नाप कर दूरी के निशान) से नापकर बाजार बनाये एवं बसावट के प्लाट काटे। आपके साथ गांव बसाने वालों में श्री चतरो बा देवड़ा,हंसो बा देवड़ा और लच्छो बा काग मुख्य थे।
मुख्य गली में दोनों तरफ सीरवी आबादी के मध्य पुरानी बडेर है उनके पास काग परिवार है और इधर बहुत भव्य रूप में श्री आई माताजी का नया मंदिर (बडेर) अपनी छटा से हर किसी को आकर्षित कर रहा है। मंदिर के सामने बड़ा हाल, ऊंचाई पर छत, दीवारों पर चित्रपट रुप में श्री आई माताजी का पूरा इतिहास माताजी की कथा को बिना बोले सब कुछ बयां कर रहा है। यहां सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
वर्तमान पीढ़ी ने भविष्य की सोच रखते हुए गांव के पास डेढ बीघा भूभाग पर चारदीवारी का काम प्रारंभ किया है यहां पर भविष्य में विवाह समारोह एवं अन्य सामाजिक समारोह के लिए मैरिज गार्डन वाली सभी सुविधाएं उपलब्ध रहेगी।
श्री आई माताजी मंदिर बडेर की प्राण प्रतिष्ठा ईस्वी सन 2005 में अक्षय तृतीया (आखा तीज) के दिन श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल और परम पूज्य दीवान साहब माधव सिंह जी के कर कमलों से हर्षोल्लास से संपन्न हुई थी।
इस समय यहां पर समाज सेवा में भी देवड़ा गौत्र ही पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं, श्री मांगीलाल जी देवड़ा कोटवाल, श्री गणेशराम जी देवड़ा जमादारी और श्री चौलाराम जी देवड़ा पुजारी के रूप में अपनी बहुत सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं। कोटवाल जमादारी की जोड़ी है वयोवृद्ध पुजारी जी चोलो बा घुटनों के दर्द से कराहते हुए भी पूर्ण भक्ति भाव और मनोयोग से मंदिर में पूजा अर्चना कर रहे हैं और ग़लती हो रही हो तो सुधार के लिए तैयार है।
नौकरी में इस गांव ने भारतीय रेल की सेवा की और कर रहे हैं रेल की सुरक्षा का सबसे बड़ा भार रेल लाइन की देखरेख करने वाले गैंगमैन के ऊपर रहता है यहां से उदाराम जी और चिमनाराम जी लचेटा ने गैंगमैन के रूप में सेवाएं दी और सेवानिवृत हो चुके हैं और आप दोनों के पुत्र सोहनलाल जी और जगदीश जी लचेटा इस समय भारतीय रेल के नींव के पत्थर रुप में सबसे कठोर एवं कठिन सेवा दे रहे हैं।
श्री खेताराम जी काग इस समय गांव का प्रतिनिधित्व करते हुए बिठौड़ा कलां ग्रामपंचायत के उप सरपंच पद पर आसीन है।
व्यापार व्यवसाय में इस गांव से हैदराबाद, पूना, सूरत, मुम्बई, बंगलौर,वापी, बड़ौदा, चिकमंगलूर और उड़ीसा में सीरवी बंधु सफलता पूर्वक व्यवसाय व्यापार कर रहे हैं। यहां से सर्वप्रथम रास्ता बनाने वालों में श्री खेताराम जी देवड़ा बंगलौर, लच्छाराम जी देवड़ा पूना, चुन्नीलाल जी देवड़ा हैदराबाद, मांगीलाल जी देवड़ा मुम्बई और गमनाराम जी देवड़ा चिकमंगलूर मुख्य है यहां पर भी देवड़ा गौत्र ने हर जगह बाज़ी मारी एवं अपने गांव भगवानपुरा का नाम रोशन किया।
रामलाल जी देवड़ा ने चिकमंगलूर बडेर के अध्यक्ष और तिलोक राम जी देवड़ा ने ठाणे बडेर के सचिव पद को सुशोभित कर अपने गांव का नाम रोशन किया है।
यहां पर दिनांक 03 सितम्बर 2023 की शाम को श्री आई माताजी धर्म रथ भैल का भव्य बधावा किया, शाम को संध्या आरती में भी अच्छी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे, रात में बारह बजे तक धर्म सभा में माताओं बहनों और बांडेरुओं ने उपस्थित रहकर माताजी का इतिहास सुना और प्रातः कालीन आरती में भी छोटे बड़े बुजुर्ग सभी उपस्थित रहे। श्री आई माताजी एवं धर्म के प्रति सांसरी के बाद यहां पर जबरदस्त उत्साह एवं भाव देखा गया।
पिछले साढ़े पांच माह से भैल के साथ गांव -गांव जात के लिए भ्रमण करते हुए आज इस गांव की परंपरा और माताजी के प्रति आस्था का विशेष नजारा एवं यहां की विशेषता यह देखने में आई कि प्रत्येक परिवार थाली में रखकर रुपए लेकर आ रहे हैं और जात करवा कर थाली में रखकर बेलें ले कर जा रहे हैं। मैंने अब तक ऐसा कहीं नहीं देखा और शायद ही किसी गांव में ऐसा हो यह परंपरा पूरे भारतवर्ष में गांव भगवानपुरा मारवाड़ जंक्शन में देखकर मैं भावविभोर हो गया हूं आप सबकी भावना को नमन।
श्री आई माताजी और धर्म के प्रति आपकी आस्था बनी रहे और मां आईजी के आशीर्वाद की बरसात आप सभी पर बरसती रहे ऐसी कामना करते हैं- दीपाराम काग गुड़िया।

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