राजस्थान :–पाली जिले के रडावास गांव में दिनांक 12 अगस्त 2023 को श्री आई माता जी के (धर्म रथ) भैल का ढोल थाली की गूंज पर माताओं बहनों ने मंगल गीत गाते हुए भैल को तिलक टीका लगाकर स्वागत किया तथा सभी आई भक्तों ने जय जयकारों के साथ आई माताजी के भैल का भव्य बधावा किया। सभी भक्तों ने भक्ति भाव से संध्या आरती में भाग लिया।

इक घर रिंया शाह रो, दूजो बिलाड़ा दीवाण।
आधा में मुरधर बसे, जसवंत मुख फरमाण।
जोधपुर दरबार महाराजा जसवंतसिंह जी के श्री मुख से उच्चारित इस दोहे का मारवाड़ जंक्शन तहसील के एक गांव से विशेष संयोगमय रिश्ता है अर्थात रिंया शाह, बिलाड़ा दीवान जी और जोधपुर दरबार तीनों ने जिस गांव में तोरण बदा कर विवाह किया वह गांव है -रडावास
मारवाड़ जंक्शन से 15 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में गादाणा आंगदूष के पास गांव रडावास में विक्रम संवत 1912 से 1920 के मध्य रियां सेठ ने यहां के जैन गांधी परिवार में, बिलाड़ा दीवाण जी लक्ष्मण सिंह जी ने यहां भायल परिवार में मगनी बाई से और जोधपुर दरबार श्री तखतसिंह जी महाराजा ने यहां के चौहान परिवार में विवाह कर रडावास का मान बढ़ाया एवं रडावास के नाम को इतिहास में अमर बना दिया है।
रडावास गांव में दिनांक 12 अगस्त 2023 को श्री आई माता जी के (धर्म रथ) भैल का ढोल थाली की गूंज पर माताओं बहनों ने मंगल गीत गाते हुए भैल को तिलक टीका लगाकर स्वागत किया तथा सभी आई भक्तों ने जय जयकारों के साथ आई माताजी के भैल का भव्य बधावा किया। सभी भक्तों ने भक्ति भाव से संध्या आरती में भाग लिया।

रडावास बडेर में रात्रि में साढ़े ग्यारह बजे तक धर्म सभा हुई जिसमें माताओं बहनों और बांडेरुओं ने श्री आई माताजी के इतिहास को सुना। 13 अगस्त को दिन में फिर से धर्म सभा हुई जिसमें रडावास के युवा ठाकुर साहब एवं रडावास के ही मारवाड़ जंक्शन सीबीईओ शंकर सिंह जी ने पहली बार धर्म सभा में सीरवी समाज के इतिहास को सुना एवं राजपूत से सीरवी बनने का इतिहास तथा श्री आई माताजी का इतिहास पहली बार सुन कर प्रसन्नता व्यक्त की और आभार प्रकट किया।

रडावास ग्राम पंचायत मुख्यालय है जहां से केवल एक बार देवी बाई गहलोत उप सरपंच पद पर आसीन रहे बाकी राजनीति में अकाल है।इस गांव में लगभग 450 घर है जिनमें लगभग 200घर सीरवी बाहुल्य गांव में राजपूत, देवासी, वैष्णव, सुथार, ढोली, वादी, जैन, दर्जी, कुम्हार,मेघवाल,सरगरा,मीणा, तेलीनाई,कुम्हार,सुनारसुथार, नायक आदि जाति के लोग निवास करते हैं।
सीरवी समाज में 80-90 परिवार के साथ भायल गौत्र का डंका है आधे में भायल है एवं आधे में देवड़ा ,आगलेचा,काग, गहलोत, सोलंकी एवं बरफा गौत्र के परिवार बसते हैं।
यहां पर श्री आई माता जी मंदिर बडेर लगभग चालीस साल पुराना है जिसकी प्राण प्रतिष्ठा परम पूज्य दीवान साहब माधव सिंह जी के कर कमलों से ज्येष्ठ शुक्ल चौथ, विक्रम संवत 2042 में दिनांक 24 मई 1984 को सम्पन्न हुई थी।
मंदिर बडेर भवन में अब जीर्णोद्धार व रंग रोगन की आवश्यकता है आस पास में प्लाट लिया जा चुका है और जल्दी ही सभा भवन निर्माण की तैयारियां जोरों पर है जिसके शीघ्र प्रारंभ हो कर अगले साल भैल के बधावे तक पूर्ण होने की कामना करते हैं।
यहां बडेर के कोटवाल श्री हेमाराम जी भायल,जमादारी श्री ढगलाराम जी देवड़ा है और पिछले दो माह से पुजारी श्री वजाराम जी सोलंकी सराहनीय सेवा दे रहे हैं।
दक्षिण भारत में व्यापार व्यवसाय में सीरवी चैन्नई, बंगलौर, टुमकुर,सेलम,वी कोटा, चिकमगलूर, हैदराबाद, पूना, मुम्बई,सूरत, अंकलेश्वर और अहमदाबाद में बसे हुए हैं जिनमें विशेष कर हार्डवेयर, किराना, कपड़ा, ज्वैलरी और मेडिकल में बड़ा नाम है जिनमें रडावास से सबसे पहले जाने वालों में राजाराम जी देवड़ा, घीसाराम जी देवड़ा, दुर्गाराम जी देवड़ा बंगलौर,जीताराम जी भायल, बोहरा रामजी भायल,लखाराम जी काग,चिकमंगलूर, रुपाराम जी काग बंगलौर और चिमनाराम जी भायल मुख्य है।
श्री ओगड़राम जी भायल सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर नगरपालिका सादड़ी और जीवाराम जी भायल सेवानिवृत्त सुपरवाइजर RMS पोस्ट आफिस से सेवा निवृत्त होने के बाद अब मारवाड़ में अकाल है।अब रडावास से प्रकाश भायल पाली RTO OFFICE में अपने क्षेत्र के लोगों के लिए सेवाएं देकर अपनी छवि बना रहे हैं। जबकि दक्षिण भारत में प्रतिभाएं खाते खोल रही है। जिनमें भरत भायल साफ्टवेयर इंजीनियर,नरेश भायल एयरोनॉटिकल इंजीनियर,गौतम देवड़ा साफ्टवेयर इंजीनियर, एवं रडावास की बिटिया ख़ुशबू भायल ने सी ए बनकर इतिहास रचा है।
नीमली के सीरवी मोती महाराज की रडावास रामदेव बग़ीची में जीवित समाधि है।
– दीपाराम काग गुड़िया।

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