राजस्थान:– पाली जिले के रानी तहसील मुख्यालय से 33 किमी दूर सांवलता पंचायत का छोटा सा गांव है- बोलागुड़ा।

रानी तहसील मुख्यालय से 33 किमी दूर सांवलता, जीवंद कलां, बोरड़ी, रामाजी गुडा, गेनड़ी और पिलोवनी के बीच सांवलता पंचायत का छोटा सा गांव है- *बोलागुड़ा।*
लगभग 300 घर की बस्ती में राजपूत, मेघवाल, देवासी, सीरवी, कुम्हार, वैष्णव,नायक, और ढोली आदि यहां पर बसते हैं।
सीरवी समाज के यहां पर मात्र 14 घर है, जिनमें गहलोतों का बाहुल्य है, अन्य में आगलेचा, लचेटा, परिहार और चोयल है। यहां पर श्री रगो बा की गवाड़ी में पुरानी बडेर बनी हुई है, जिसमें कुंडी रखी हुई है। यहां पर पाट स्थापना की हुई नहीं है।
रगो बा के परिवार का वर्तमान में निवास बेरे पर है, जहां पर रगो बा के परिवार जन बेरा पर प्रतिदिन पूजा अर्चना करते हैं।
वर्तमान में यहां पर *कोटवाल श्री जोगाराम जी केसाजी लचेटा, जमादारी श्री चतराराम जी हीराजी गहलोत* है। यहां पर गांव के बडेर में नियमित पूजा नहीं हो रही है इसलिए पुजारी नहीं है।
सरकारी नौकरी में यहां पर *डॉक्टर पीयूष वक्ताराम जी गहलोत नवसारी में बीडीएस है,* डॉक्टर अशोक खेतारामजी गहलोत एमबीबीएस कर रहे हैं। डॉक्टर कुसुम पुत्री श्री जगदीश जी गहलोत सीए कर रही है।
यहां पर सभी के बीच सहजता से घुल-मिल कर सभी का सहयोग करने वाले *श्री चतराराम जी हीराराम जी गहलोत सन 1981 के एमए, लाॅ और लेबर लॉ किए हुए हैं* आपने वकालत की प्रेक्टिस नहीं की लेकिन गांव में और आसपास के क्षेत्र में वकील साहब के नाम से बहुत ही लोकप्रिय और समाजसेवी सीरवी बंधु है।
यहां पर राजनीति में अभी तक किसी ने खाता ही नहीं खोला है।
व्यापार व्यवसाय के लिए मुंबई, नवसारी, गोवा, वासंदा और सूरत में सीरवी फल फूल रहे हैं।
यहां से सर्वप्रथम दक्षिण भारत कूच करने वालों में *श्री वक्ताराम जी पुत्र श्री दीपाराम जी गहलोत नवसारी* गुजरात में अपना व्यापार व्यवसाय चला रहे हैं।
ग्राम विकास के कार्य में स्थानीय गांव में किसी सीरवी बन्धु द्वारा कोई कार्य नहीं करवाए गये हैं।
बडेरों के संगठन पदाधिकारी के रूप में *श्री खेताराम जी हीरा जी गहलोत नवसारी के अध्यक्ष रहे, श्री वक्ताराम जी दीपाजी गहलोत नवसारी के अध्यक्ष रहे।*
श्री हीराजी गहलोत जोधपुर दरबार के समय पलटन में भर्ती हुए और द्वितीय विश्व युद्ध के समय में सेना में बाहर के देशों में लड़ाई में भाग लिया।
*चौथे दीवान रोहितदास जी ने चार विवाह किये थे आपका तीसरा विवाह बोलागुड़ा के गहलोत परिवार में हुआ था। रोहित दास जी के सासू जी (परिहार गौत्र की बेटी) अपने पति के पीछे सती हुए थे।* ऐसा बताया जाता है कि सती होते समय राजपूतों से घोड़ा लाने को कहा पर उन्होंने हल्के में लिया और मरियल घोड़ा लेकर आये, तब उनको श्राप दिया कि तुम्हारे पास अब कभी घोड़ा नहीं रहेगा, साथ ही सीरवियों ने भी सती से दूरी बनाई, तब उनको श्राप दिया कि गांव में सीरवी समाज में सास और बहू साथ में सुहागिन नहीं रह पाएगी और संतान में बढ़ोतरी नहीं होगी। अतः आज के दिन बोला गुड़ा गांव में इन परिवारों की स्थिति बहुत नाजुक है,इन परिवारों को गांव के मोड़े से बाहर बेरों पर जाकर बसना पड़ा और जो जाकर बेरो पर बसे हैं, उनके संतान में वृद्धि हुई है।
यहां पर श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल का आगमन नहीं होता है, सीरवी समाज के बांडेरु गेनड़ी में आकर जात करवाते हैं इस बार यहां से प्राप्त जानकारी आप सबके लिए शेयर की जा रही है आशा है ज्ञानवर्धक और रोचक लगेगी।
सीरवी समाज बोलागुड़ा के चंहुमुखी विकास और खुशहाली की कामना करता हूं -दीपाराम काग गुड़िया।

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