राजस्थान :–मारवाड़ जंक्शन तहसील के बांता गांव में 6 सितंबर 2023 को गांव में भैल बधावे का जबरदस्त उत्साह देखा गया और भैल का भव्य बधावा किया गया,

जहां सीरवी क्षत्रिय समाज की बड़ी पोल हो,पोल के भीतर ही पूरे 80 सीरवी परिवार निवास करते हो,भाना महाराज जी चोयल जैसे तपस्वी संत हो और आज से पचास वर्ष पूर्व शिक्षा के महत्व को समझते हुए सीरवी काग परिवार द्वारा विद्यालय के लिए निशुल्क भूमि दान दी गई उस गांव का नाम है – बांता।
मारवाड़ जंक्शन से लगभग 17 किमी दूर धामली काराड़ी, चौधरियों की ढाणी,वाड़िया, नया गांव, जैतपुरा और भिंवालिया के मध्य बसा हुआ गांव है बांता। वैसे इस गांव के मध्य में एक भाकरी (पहाड़ी) है जिस पर मां चामुण्डा देवी का मंदिर है और आसपास के गांवों के लोग इस गांव को बांता की बजाय भाकरी वाला के नाम से पुकारते हैं।ऐसा सुनने में आया है कि किसी समय जोरजी चांपावत को पकड़ने पर बड़ा ईनाम रखा हुआ था और जिन्दा सौंपना था लेकिन बांता के ठाकुर परिवार ने विश्वास में लेकर जोरजी चांपावत को खैरवा ले गये जहां विश्वासघात कर सिर कलम कर दिया गया तब इस कृत्य की निंदा करते हुए कहा गया कि ऐसे गांव बांता का सुबह नाम नहीं लिया जाना चाहिए और इसे भाकरीवाला नाम से पुकारा जाने लगा।
इस पंचायत मुख्यालय गांव में लगभग 2000 घर की बस्ती में सीरवी समाज का बाहुल्य है अन्य जातियों में देवासी, घांची, मेघवाल, राजपूत, राजपुरोहित आदि के साथ थोड़े बहुत छत्तीस कौम के लोग निवास करते हैं।
बांता गांव में सीरवी समाज के बास की अलग से पोल आज भी बनी हुई है पोल पर सीरवी क्षत्रिय समाज बड़ी पोल बांता लिखा हुआ है, जिसमें कोई समय अस्सी घर हुआ करते थे, जिसके ठीक बाहर सती माता का स्थान है एवं शिलालेख लगा हुआ है सीरवी समाज के लगभग 300 घर है जिनमें हाम्बड़,चोयल,काग, पंवार, गहलोत, आगलेचा, परिहार, राठौड़ और बरफा गौत्र यहां निवास करते हैं।
यहां पर श्री आई माताजी का भव्य मंदिर बडेर बना हुआ है जिसकी प्राण प्रतिष्ठा आषाढ़ बदी नवमी दिनांक 13/06/2012 को बिठौड़ा पीर रावत सिंह जी, नारलाई से भगा बाबा जी एवं भंवर महाराज के द्वारा सम्पन्न हुई थी। वर्तमान में बांता बडेर के कोटवाल श्री नन्दाराम जी भानाजी हाम्बड़, जमादारी श्री नारायण लाल जी अमारामजी चोयल है एवं गुड़ा जैतसिंह के संत मांगीलाल जी यहां बडेर में पूजा अर्चना कर रहे हैं। पूजा अर्चना के लिए सीरवी समाज के बंधु द्वारा माताजी की सेवा पूजा करने हेतु निवेदन किया गया है।जिस पर विचार किया जा रहा है
मंदिर बडेर के पास ही छोटा सा हाल,कमरा शौचालय स्नानागार बने हुए हैं यहां पर पुजारी जी का निवास है मंदिर के पास ही पुराना सीरवी समाज का सभा भवन बना हुआ है जो अपनी प्राचीनता के गौरव की निशानी है यह अब आकार में छोटा पड़ने के कारण अब 50 फीट गुणा 50 फीट में दो मंजिला भव्य सभा भवन निर्माणाधीन है जो सभी सुविधाओं से युक्त होगा श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल के लिए हाथों-हाथ नाप लेकर दरवाजा चौड़ा करवाया गया।
लगभग तीस बत्तीस साल से बांता गांव में भैल नहीं आ रही थी और प्राण प्रतिष्ठा अवसर पर भी भैल तथा दीवान साहब नहीं पधारे। यहां पर श्री दुर्गा राम जी सोलंकी ने 21/05/21 को श्री आई माताजी धर्म रथ भैल और परम पूज्य दीवान साहब माधव सिंह जी को निमंत्रित कर भव्य बधावा किया।इस अवसर पर गांव के बांडेरुओं द्वारा दीवान साहब को निवेदन किया कि भैल को प्रति वर्ष बांता के लिए पुनः आज्ञा दिलवाने की कृपा करावें दीवान साहब ने गांव का मान रखते हुए अपनी सहमति प्रदान की एवं तीस बत्तीस साल बाद गांव में भैल का आगमन हुआ।
6 सितंबर 2023 को गांव में भैल बधावे का जबरदस्त उत्साह देखा गया और भैल का भव्य बधावा किया गया,भैल की सूचना पाकर श्री कालूराम जी चोयल एवं श्री भीमाराम जी चोयल सपरिवार सूरत से बांता आये एवं दो दिन सेवा में तत्पर रहे, सीरवी समाज द्वारा मंदिर के सामने भैल के लिए टेंट लगाये गये एवं उचित व्यवस्था की गई। शाम को संध्या आरती में भी अधिकतम माताओं बहनों और बांडेरुओं ने उपस्थित रहकर लाभ लिया।रात में हल्की बारिश होने एवं रात भर लाईट बन्द बंद रहने से धर्म सभा नहीं हो पाई। दूसरे दिन दिन में भी जात करवाने एवं दर्शन करने के लिए बांडेरुओं की अच्छी उपस्थिति रही पर जैसे जैसे जात की लिस्ट बनती गई राशि जमा करवा कर बेल लेकर रवाना होते गये एवं मुख्य कार्य धर्म सभा नहीं हो पाई।
यहां से नौकरी में डूंगाराम जी बरफा रेल्वे में गैंगमैन रहे, तुलसाराम जी काग कृषि विभाग में सुपरवाइजर रहे, नारायण लाल जी चोयल फ़ौजी है, लालाराम जी हाम्बड़ ने अपना निजी श्री आई माता विद्यालय संचालित किया एवं स्वयं भी शिक्षक रहे। दुर्गाराम जी काग अध्यापक रहे, गेनाराम जी पंवार अध्यापक हैं और विशेष बात यह है कि इस गांव से थल सेना में श्री कानाराम चोयल लेफ्टिनेंट कर्नल पूना में तैनात है, डाक्टर मुकेश चोयल AIMS रायबरेली में अपनी सेवा दे रहे हैं तथा श्री सोहनलाल जी काग संस्कृत शिक्षा विभाग से जोजावर में सहायक प्रशासनिक अधिकारी हैं।इस प्रकार नौकरी में इस गांव का अच्छा नाम है।
राजनीति में स्थानीय सीरवी समाज ने पूरा लाभ उठाया वर्तमान स्मय में श्री कालूराम जी हाम्बड़ सरपंच पद पर आसीन हैं समयाभाव के कारण आप भैल दर्शन हेतु नहीं पधार पाये एवं हमें भी दर्शन नहीं हुए।आप पूर्व जिला परिषद सदस्य एवं पूर्व पंचायत समिति सदस्य भी रहे हैं। श्री नारायण लाल जी चोयल फ़ौजी साहब 2004 से2009 तक सरपंच एवं 2014से2019 तक जिला परिषद सदस्य रहे हैं । लालाराम जी हाम्बड़ मास्टर साहब बांता मार्केटिंग सोसाइटी के अध्यक्ष, पंचायत समिति स्तर पर मार्केटिंग सोसाइटी के उपाध्यक्ष एवं गांव की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते हुए पन्द्रह वर्ष तक लगातार वार्ड पंच रहते हुए कार्यवाहक सरपंच रहे रहे हैं। लूम्बाराम जी मुलेवा उप सरपंच रहे हैं, आपकी धर्मपत्नी पानी बाई पंचायत समिति सदस्या रही।
व्यापार व्यवसाय में बांता से पूना, मुम्बई, सूरत, हैदराबाद, बंगलौर, चेन्नई, दिल्ली,वापी और भीलाड़ में सीरवी बंधुओं का व्यापार व्यवसाय फल फूल रहा है।
यहां से सर्वप्रथम बाहर जाने वालों में मूलाराम जी भानाजी हाम्बड़ पूना, रताराम जी पंवार मुंबई, मांगीलाल जी हाम्बड़ पूना, वीरमराम जी हाम्बड़ पूना, मेघाराम जी हाम्बड़ बंगलौर,चौथाराम जी हाम्बड़ हैदराबाद,चेतन प्रकाश जी हाम्बड़ दिल्ली एवं बुधाराम जी पंवार सूरत मुख्य है।
दक्षिण भारत में सीरवी समाज के बडेर में पदाधिकारी रुप में दल्लाराम जी हाम्बड़ सूरत बडेर के सचिव रहे, दुर्गाराम जी सोलंकी संजय पार्क पूना बडेर के अध्यक्ष रहे एवं श्री बाबूलाल जी काग नाला सोपारा मुम्बई बडेर के अध्यक्ष रहे हैं।
स्थानीय ग्राम में श्री भंवरलाल जी, घीसूलाल जी पुत्र श्री हरजीराम जी हाम्बड़ ने गौ शाला में टांका निर्माण,बुदरजी रामाजी एवं हाम्बड़ परिवार द्वारा सेहवाज माताजी (हिंगलाज माता) के प्रवेश द्वार का निर्माण करवाया, नारायण लाल जी, कालूराम जी, भीमाराम जी, चिमनाराम जी चोयल द्वारा भादरवा नाडा पर अवाला निर्माण करवाया, दल्लाराम जी तेजाराम जी हाम्बड़ एवं तेजाराम मन्ना जी काग ने शमसान में शेड निर्माण करवाया और सबसे बड़ी बात आज से पचास साल पहले विद्यालय हेतु नवलाजी, दौलाजी पुत्र श्री वरदा जी काग द्वारा भूमि दान की गई।
दो पीढ़ी पहले श्री भाना महाराज जी चोयल ने भक्ति की उनकी तपस्या स्थली बगीची आज भी मौजूद है यहां पर आपकी समाधि पर चबूतरा बना हुआ है जिस पर आम जन नत मस्तक होते हैं।पर कुटिया बदहाल है उसके जीर्णोद्धार की आवश्यकता है।
श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल के भव्य स्वागत करने एवं सभी बंधुओं द्वारा किए गए मान सम्मान के लिए सभी का बहुत बहुत साधुवाद। बत्तीस साल बाद पधारे श्री आई माताजी से ग्राम बांता की खुशहाली की कामना करता हूं -दीपाराम काग गुड़िया।

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