राजस्थान:–सोजत तहसील मुख्यालय से 10 किमी दूर स्थित गांव खारिया सोडा में श्री आई माताजी मंदिर कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारी चल रही है….

सोजत तहसील मुख्यालय से 10 किमी दूर सोजत से मारवाड़ जंक्शन मार्ग पर मामावास, बिजलियावास, खारिया स्वामी, भैंसाणा, रेंदड़ी के मध्य पंचायत मुख्यालय का गांव है- *खारिया सोडा।*

खारिया सोडा में छत्तीस कौम के लगभग 350 घर है जिनमें राजपूत, देवासी, चौकीदार, जाट, सीरवी, मेघवाल, चारण, गोस्वामी, वैष्णव,नाई, माली, सरगरा, ढोली, हरिजन आदि जातियां यहां बसी हुई है।

यहां पर सीरवी लगभग साठ साल पहले आकर बसे हैं जिनमें सीरवी समाज का गांव में एक भी घर नहीं है और केवल चार बेरों पर रहते हैं, यहां पर पुराने मात्र 25 घर है, अब मंदिर निर्माण के लिए प्रति कंदोरा चंदा इकट्ठा किया जिसमें 115 परिवार से मंदिर निर्माण हेतु चंदा इकट्ठा किया गया। जिनमें मात्र तीन गौत्र *परिहार, पंवार और सोलंकी* निवास करते हैं।

सीरवी समाज के यहां मात्र चार बेरे हैं जिनके नाम *आयपची, झोंपड़ी, दर्जियों की प्याऊ जिसे कांकड़िया भी कहते हैं और पटवारड़ी।*

यहां पर श्री आई माताजी का मंदिर *बडेर बेरा आयपची पर* अब बनकर तैयार हुआ है, और आगामी छह महीनों में प्राण प्रतिष्ठा किए जाने की योजना है। यहां पर कोटवाल श्री पुनाराम जी परिहार और जमादारी रामलाल जी सोलंकी है। श्री आई माता जी के धर्म रथ भैल का अभी तक यहां पर आगमन नहीं होता है। खेड़ा खुल गया है, सीरवी समाज के कागज पत्र खारिया सोडा के नाम से आते हैं लेकिन बडेर की प्राण प्रतिष्ठा नहीं हुई है तब तक भैल की जात मामावास जाकर के करवाते हैं।

कम घर होने के बावजूद शानदार बडेर बनाया गया है सामने बड़ा हाॅल पास में कमरे रसोई घर और सामने चौक के साथ चारदीवारी गेट आदि पूर्ण किये जा चुके हैं रंग रोगन करवाया जा रहा है चित्रकारी करवाई जानी बाकी है पास में सड़क मार्ग की तरफ दीवार बनाकर शौचालय स्नानागार का निर्माण करवाया जाना है जो अतिशीघ्र पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। कर्मठ कार्यकर्ता कहें या नींव का पत्थर, पूरा वज़न लेकर एवं सबको साथ लेकर कोटवाल श्री पूनाराम जी परिहार चल रहे हैं तथा बहुत जल्दी प्राण प्रतिष्ठा समारोह की आशा लगाए हुए हैं मां श्री आई माताजी आपकी मनोकामना शीघ्र पूर्ण करेंगे ऐसी कामना करता हूं।

सरकारी नौकरी में यहां से अब तक किसी ने खाता भी नहीं खोला है और राजनीति में भी यहां के सीरवियों ने अभी तक कोई भाग्य नहीं आजमाया है। अतः नौकरी और राजनीति में शून्य का यहां महत्व है।

व्यापार व्यवसाय हेतु हैदराबाद, चेन्नई, पुणे, बेंगलुरु, सेलम, सूरत, अहमदाबाद आदि नगरों में सीरवी अपनी सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं यहां से सीरवी समाज से सर्वप्रथम बाहर जाने वालों में लक्ष्मण राम जी, हीराराम जी परिहार और सोहनलाल जी पंवार हैदराबाद, नेमाराम जी परिहार उकड़ाराम जी पंवार पुणे, मानाराम जी परिहार बेंगलूर देवाराम जी परिहार अहमदाबाद, भंवरलाल जी परिहार सूरत, श्री पेमाराम जी सोलंकी पुणे, भेनाराम जी सोलंकी हैदराबाद, भेराराम जी परिहार चेन्नई और घेंवरजी परिहार सूरत गये।

यहां से लक्ष्मण जी परिहार ने हरिओम गौशाला बासनी भदावता के लिए भूमि क्रय करने में अपना योगदान किया है। बाकी बेरों पर निवास होने तथा नयी पीढ़ी के दक्षिण भारत में प्रवास से ग्राम विकास में अभी तक रुचि नहीं दिखाई है।

मामावास भैल आगमन पर श्री खेताराम जी मामावास वालों को साथ लेकर खारिया सोडा बेरा आयपची पर नव निर्मित बडेर का अवलोकन किया एवं पूनाराम जी परिहार कोटवाल द्वारा सूचनाएं प्राप्त की।

खारिया सोडा में सीरवी समाज की खुशहाली की मां श्री आईजी से कामना करते हैं एवं आशा करते हैं कि शीघ्र मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त आये श्री आई माताजी यहां विराजमान होकर अपने आशीर्वाद की बरसात करे और हमें लापसी जीमने का अवसर प्राप्त हो। शुभकामनाओं सहित -दीपाराम काग गुड़िया।

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