सीरवी समाज के लगभग 300 घर है जिनमें एक-तिहाई आगलेचा है जिनमें से बडेर वाले आगलेचा के

तहसील मुख्यालय बाली से लगभग 15 किमी दूर फालना रानी मार्ग पर प्राचीन जैन बस्ती, बालिका शिक्षा के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध विद्यावाड़ी से पहचान पाने वाला गांव है – *खीमेल*।
रेल्वे स्टेशन छोटा सा है लेकिन लगभग 1500 घर की जैन बस्ती में छत्तीस कौम के लोग निवास करते हैं।
*खीमेल में सीरवी समाज के लगभग 300 घर है जिनमें एक-तिहाई आगलेचा है जिनमें से बडेर वाले आगलेचा के 70 परिवार है,बडेर के आगलेचा परिवार में बिलाड़ा दीवान साहब के परिवार से भुआ तथा बाद में भतीजी का विवाह यहां काका और भतीजे से होने से राजा रजवाड़ों के समय महिलाओं के परदा रहता था।*
आगलेचा के अलावा अन्य गौत्र में लचेटा,बरफा,भायल, हाम्बड़, परमार, गहलोत,काग, देवड़ा, सोलंकी, सानपुरा, राठौड़, परिहार और चोयल यहां निवास कर रहे हैं। सीरवी समाज का कोई समय में जैन और राजपूत समाज के बीच ही निवास था इसलिए अब केवल भव्य बडेर नये बास से एक किमी दूर इस पुरानी बस्ती में बना हुआ है बाकी पूरा सीरवी समाज गांव से एक तरफ़ नयी बस्ती के रूप में एक साथ बसा हुआ है जहां सीरवी समाज का बड़ा एवं भव्य समाज भवन भी बना हुआ है।
श्री आई माताजी का बडेर श्वेत मार्बल में बनकर प्राण प्रतिष्ठा के लिए तैयार है मंदिर की ऊंचाई भी भरपूर है पास में हाॅल एवं सभी आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता है। प्राण प्रतिष्ठा में लगभग साल भर का समय लग सकता है।
वर्तमान में यहां पर *कोटवाल श्री मंगलाराम जी लच्छाजी गहलोत, जमादारी एवं पुजारी श्री भूराराम जी सुजाजी आगलेचा* अपनी सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं।
सरकारी सेवा में यहां से *श्री प्रेमाराम जी पूराजी लचेटा 2015 से सेवानिवृत अध्यापक हैं, श्री भबूताराम जी समाजी गहलोत चांचोड़ी में हिन्दी कै व्याख्याता है, श्री पोकरराम जी मोतीजी आगलेचा बाली में एडवोकेट है तथा श्री भीमाराम जी जोराजी लचेटा का अग्नि वीर में चयन हुआ है।*
राजनीति में अब तक केवल मात्र *श्री पोकरराम जी मोतीजी आगलेचा (वकील साहब) खीमेल के उप सरपंच* रहे हैं।
यहां से सीरवी बंधु खीमेल,सूरत, मुंबई, पुणे एवं नाशिक में सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं।
यहां से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में श्री पुखराज जी केसाजी गहलोत मुम्बई गये अब नाशिक और स्वर्गीय श्री मेगाराम जी केसाजी गहलोत भी मुम्बई और वर्तमान में नाशिक में विराजमान हैं।
स्थानीय ग्राम विकास के कार्य में *सीरवी समाज खीमेल द्वारा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय खीमेल में कमरा निर्माण करवाया, श्री पुखराज जी, मेगाराम जी पुत्र श्री केसाजी गहलोत द्वारा रानी मोतीबाबा अंग्रेजी विद्यालय में हाॅल निर्माण करवाया, श्री कीकाराम जी पूनाजी परमार द्वारा मामाजी मंदिर के पास अवाला निर्माण करवाया गया। श्रीमती पानी देवी डूंगाराम जी लचेटा द्वारा मामाजी नाडी मार्ग पर अवाला निर्माण करवाया गया, श्रीमती तीजो देवी जीवाराम जी भायल द्वारा दूदवर मार्ग मामाजी मंदिर पर प्याऊ बनवाई, श्रीमती कंकु बाई केसाजी गहलोत द्वारा खीमेल बस स्टैंड का निर्माण करवाया गया एवं श्री मेगाराम जी केसाजी गहलोत द्वारा भी खीमेल बस स्टैंड का निर्माण करवाया गया।*
खीमेल से दक्षिण भारत के बडेरों के पदाधिकारी रूप में *स्वर्गीय मेगाराम जी केसाजी गहलोत नाशिक बडेर के अध्यक्ष रहे,आप खीमेल बडेर के भी अध्यक्ष रहे हैं, श्री पुखराज जी केसाजी गहलोत नाशिक बडेर के अध्यक्ष रहे, श्री मोहनलाल जी केसाजी गहलोत वर्तमान में नाशिक बडेर के सचिव है, श्री गमनाराम जी रामाजी भायल नयी बडेर सूरत के अध्यक्ष हैं श्री घीसाराम जी चेनाजी आगलेचा वर्तमान में खीमेल बडेर के अध्यक्ष पद* पर आसीन है।
जैसा पूर्व में लिखा गया है कि *खीमेल से बिलाड़ा का गहरा रिश्ता रहा है। बिलाड़ा दीवान जी द्वारा बेटी के खीमेल आगलेचा परिवार में विवाह उपलक्ष्य में बेरा पायथा भेंट किया गया जिसे राजा रजवाड़ों के समय लाटा (भोग) नहीं जाता था।बडेर के आगलेचा परिवार की महिलाओं का नाच-गाना भी परदे में अलग होता था और ये परदे में रहते थे, इनके शमसान आज भी अलग है।*
पूरे गोड़वाड़ में श्री आई माताजी की भैल को अगले गांव वाले लेने के लिए आते हैं और इस गांव से आगे छोड़ने चलते हैं लेकिन *खीमेल वाले आज भी भैल लेने के लिए नहीं आते हैं आगे पहुंचाने के लिए जरुर चलते हैं ये यहां की परम्परा रही है।यह पूरा गांव डोरा बंद है।*
सीरवी समाज खीमेल के चंहुमुखी विकास और खुशहाली की मां श्री आई माताजी से कामना के साथ श्री आई माताजी बडेर खीमेल की प्राण प्रतिष्ठा की लापसी शीघ्र खाने की सबकी मनोकामना पूर्ण हो ऐसी कामना करता हूं -दीपाराम काग गुड़िया।

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