86 घंटे 30 मिनट में पूरा किया 1200 किमी साइकिल सफर , शोक-ए-सफर ऐसा, इक उम्र में कई मुकाम छू गए, सीरवी 

86 घंटे 30 मिनट में पूरा किया 1200 किमी साइकिल सफर , शोक-ए-सफर ऐसा, इक उम्र में कई मुकाम छू गए, सीरवी 

मैसूरु। राजस्थान मूल ले महेश ने प्रेरिस में लहराया भारत का परचम कोई भी मुकाम अंतिम पड़ाव नहीं होता है, बल्कि वह एक ठहराव है जो अगले मुकाम की और बढ़ने को प्रेरित करता है। ऐसे ही मुकाम को पूरा कर अब दूसरे मुकाम का लक्ष्य बनाकर चल रहे मैसूरु के महेश सीरवी जिन्होंने हाल ही में फ़्रांस में संपन्न पेरिस ब्रेस्ट पेरिस (पीबीपी) 2019 साइकलिंग  प्रतियोगिता में 1200 किलोमीटर का साइकलिंग सफर 86 घंटे 30 मिनट में पूरा  कर एक कीर्तिमान बनाया है।  हालांकि, महेश यहीं रुकने को तैयार नहीं है और अब उनकी नजर वर्ष 2021 के लंदन-एडिनबर्ग-लंदन के 1400 किमी साइकलिंग रेस में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने पर है।  मूल रूप से राजस्थान के पाली जिले के रायपुर तालुक के बेरा कया मोहरा काला गाँव के महेश सीरवी का व्यवसाय मैसूरु में है। व्यावसायिक व्यस्तता और पारिवारिक जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक निभाने के साथ ही उन्होंने साइकलिंग के अपने शौक में सफलता की बुलंदियों पर पहुंचाया है।  महेश ने कहा कि पीबीपी में 1200 किलोमीटर का सफर 90 घंटे में पूरा करने की अनिवार्यता है।  86 घंटे 30 मिनट में मैंने इसे पूरा किया है, जिसने मुझे अब लंदन के 1400 किमी साइकलिंग रेस को पूरा करने का आत्मविश्वास बढ़ाया है। उन्होंने कहा की इसके पूर्व वे 200 किमी की रेस पांच बार, 300, 400, 600 और 1000 किमी की रेस चार चार बार पूरी कर चुके है।  पीबीपी 2019 में उन्होंने पहली बार 1200 किमी की रेस पूरी की है। नवीन सोलंकी का सराहनीय मार्गदर्शन रे में पूरी दुनिया से 6500, भारत से 320, कर्नाटक से 23 साइकलिस्टों  ने भाग लिया, जिसमे महेश सीरवी मैसूरु से एक मात्र रहे।  उन्होंने अपनी सफलता पर मैसूरु के मैराथन धावक एवं साइकलिस्ट नवीन सोलंकी का आभार जताया, जिन्होंने महेश के अपने को साकार करने में उन्हें हर मोड़ पर मार्गदर्शन किया। शुरू में नाखुश थे पिता, आज गर्व महेश सीरवी के साइकलिंग लक्ष्यों को पूरा करने में उनका परिवार लगातार साथ दे रहा है।  महेश के पिता ओगडऱाम गेहलोत और भाई रमेश सीरवी  न सिर्फ महेश की अनुपस्थिति में व्यवसाय संभालते है, बल्कि उन्हें प्रोत्साहित भी करते है।  हालांकि ओगडऱाम गेहलोत ने कहा की जब महेश ने साइकलिंग शुरू की थी उस समय वे नाखुश थे, लेकिन आज बेटे की उपलब्धि पर हर्षित है।  वे ऐसा करने वाले देश के एक मात्र सीरवी हैं. महेश की पत्नी मंजुला ख़ुशी में भावुक होते कहती है कि मेरे पति ने जो सपना देखा था अब फिनिशर मेडल के साथ वह पूरा हुआ हैं। आभार राजस्थान पत्रिका बेंगलुरु

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