2) दूजो तो मद मांस छुड़ाई।

संत पुरुषों ने कहा है – मद्य पीने वालों का यश और बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। यह तो स्पष्ट है कि इस पीने ने,इस पाव भर की बोतल ने लाखों-करोड़ों को डुबो दिया है। शराबी बाप भी वह कभी नहीं चाहता कि उसकी स्नतान शराब पिये। इसका कारण क्या है? शराब से होने वाली बर्बादी की अनुभूति। नशेबाज का परिवार बिखर जाता है व्यापार चौपट हो जाता है। नशेबाज की कहीं भी इज्जत नहीं होती। उसकी बात का कोई विश्वास नहीं करता। इसकी सच्ची बात भी बकवास समझी जाती हैं। इसलिए किसी कचहरी से नशेबाज की गवाही या साक्ष्य नहीं मानी जाती। प्राय: आइए दिन पढ़ते-सुनते हैं शराबी पति ने पत्नी को पीटा, शराबी बाप ने बेटी की इज्जत लूटी। शराबी कहीं नालियों-सड़कों पर रहते हैं और कुत्ते उनका मुंह चाटते हैं। शराब से बुद्धि क्षीण हो जाती है, शरीर की सुंदरता और सुकुमारता नष्ट हो जाती हैं। मद्यपान से यादवों का कुल और स्वर्ग-सी द्वारिका नगरी खत्म हो गई। यदि आप जीवन की शान्ति,परिवार का सुख चैन और समाज में प्रतिष्ठा चाहते हैं तो शराब की बोतल को मत छुइए यह वह शिकारी है जो छूने पर से मनुष्य की मनुष्यता की हत्या कर देता है। श्री आईजी ने कहा- दूजो तो मद मांस छुड़ाई

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