हमें याद रखना हे कि हमारी लड़ाई बिमार से नहीं बीमारी से है।

June 20, 2020
आज हम देख रहे हैं कि कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं जैसे महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु, गुजरात राजस्थान जैसे कई राज्यों में तबाही मचाई है ।वैसे तो हमें कोरोना के बारे में काफी सारी जानकारियां सोशल मीडिया द्वारा मिल जाती है। दोस्तों मैं आपको मेरे द्वारा अनुभव कि हुई जानकारी…

पैदल न चलने देती पल भर भी, हमसफ़र थी जो राह के काँटों की

June 12, 2020
मेरी माँ की सूरत फकीरों सी, जो दे गई लकीरें वाजूदों सी, मैं कितनी बात लिखूँ उसकी, लफ्ज़ खत्म हो जाए अमीरी के। जो अतुल्य दर्द कहा जाता है ज़माने भर में, वो गर्भ का दर्द है माँ के पाले में। जो पानी सूख जाए सर्दी की रातों में, वो तप्त है माँ के पैरों…

हम मंदिर में घन्टी (टंकोर)क्यों बजाते हैं ?

*हम मंदिर में घन्टी (टंकोर)क्यों बजाते हैं?* अक्सर छोटे बङे सभी मंदिरों में प्रवेश द्वार के पास ऊँचाई पर एक या अधिक घंटियाॅ (टंकोर)लटकी रहती हैं ।मन में श्रद्धा-भक्ति और आस्था का भाव लेकर श्रद्धालु मंदिर-प्रवेश करते ही घंटी (टंकोर) बजाता है और फिर भगवान के दर्शन,पूजा-पाठ और प्रार्थना स्तुति के लिए आगे बढ़ता है…

शिक्षा और संस्कारों के अभाव में अवरुद्ध सामाजिक विकास

June 11, 2020
मां भगवती श्री आईजी को नमन करते हुए मैं। अपने विचार सीरवी भाई बहिनों के सम्मुख रखते हुए यह अपेक्षा रखती हूं कि आप इस पर अवश्य मनन करेंगे एक तरफ जहां हमारे सीरवी समाज ने व्यापार व्यवसाय के क्षेत्र में बहुत ही कम समय में आशातीत प्रगति कर एक सुनहरा इतिहास लिखा है, वही…

हम दीपक क्यों जलाते हैं?

हम दीपक क्यों जलाते हैं? अंधकार को हरने की सबसे इकाई 'दीपक ' है ।दीपक हमारी अलौकिकमयी प्राचीन संस्कृति का प्रतीक है ।युगों- युगों से कुम्हार की चाक से निखरता हुआ मटमैली चिकनी मिट्टी की उपज यह दीपक कठोर अग्नि परीक्षा से गुजर कर एक साधारण सी काया लेकर मानव तक पहुंचता है ।दीपक जीवन…

मंगल परिणय के पश्चात पछतावा क्यों ?

June 7, 2020
कुंवारे को उमावा व परणियो को पछतावा। पता नहीं इस कहावत के पीछे क्या हकीकत हैं या यह कहावत कैसे प्रचलित हुई जो भी कहावत बनती हैं वो अनुभव के आधार पर बनती हैं उन्हें झुठी या मन गढंत ठहराना भी उचित नहीं। कहावतें प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षाप्रद होती हैं। अतः चिंतन करने की आवश्यकता…

सही सोच और सावधानी कर सकती है करोना का खात्मा

May 20, 2020
सही सोच और सावधानी कर सकती है करोना का खात्म,-किसी भी बीमारी को दूर करने के लिए, उसके बारे में सही ज्ञान, सकारात्मक सोच एवं स्वस्थ जीवन आचरण आवश्यक है। आज के संघर्ष और तनाव के माहौल मैं, अधिकांश बिमारी साइकोसोमैटिक है। अर्थात ज्यादातर रोग दैहिक कमजोरियों से भी अधिक मानसिक दुर्बलता, नकारात्मकता, तनाव व…

लाजवाब था पुरखों का आत्मानुशासन और मर्यादित जीवन।।

May 15, 2020
प्रथम मैं अपने उन सभी पुरखों को कोटि-कोटि नमन-वन्दन करता हूँ जिन्हीने हमें आत्मानुशासन की सीख दी,हमें जीवन को मर्यादित ढंग से जीना सीखाया। पुरखों ने अपने जीवन प्रबंधन को बड़ी कुशलता से संचालित किया था। सभी लोग अपना जीवन आत्मसंयमित होकर जीते थे।आत्मानुशासन और मर्यादित आचरण उनके जीवन का अटूट हिस्सा था। हर व्यक्ति…

श्रेष्ठ शिक्षाविद औऱ सीरवी समाज रत्न:- स्व.श्रीमान पोमाराम परिहार की प्रथम पुण्य तिथि पर विनम्र भावांजलि

May 7, 2020
श्रेष्ठ शिक्षाविद औऱ सीरवी समाज रत्न:- स्व.श्रीमान पोमाराम परिहार की प्रथम पुण्य तिथि पर विनम्र भावांजलि मानव जीवन को समर्पित एक दोहा "सकल पसारा सार है,आवे बिरला हाथ। बाकी बगना बकवास करे,नतका बदले नाथ।।" उक्त दोहा उस निष्काम कर्मयोगी साहित्यकार ने अपनी रचना "दिव्य दूहां दरसण" में लिखा है,जो आज हमारे बीच नही है लेकिन…

पुरखें आप धन्य हो

May 4, 2020
सर्वप्रथम मैं उन सभी पुरखों को कोटि-कोटि नमन करता हूँ जिन्होने अपनी अनुशासनात्मक और मर्यादित जीवन शैली से अपने काल में सामाजिक समरसता और एकात्मकता को सुदृढ़ता प्रदान की।उनके सामाजिक आत्मिक आलंबन और जुड़ाव की जितनी तारीफ की जाय उतनी कम है। हमारे पुरखों ने पारिवारिक ढांचे को जिस अनुशासन से संचालित किया और उसमें…

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