सीरवी समाज की पत्रिकाएं

पत्रकारिता का क्षेत्र एवं परिधि बहुत व्यापक है। उसे किसी सीमा में बांधा नहीं जा सकता। समाज मे हो रही हलचलों, संभावनाओं पर विचार कर एक नई दिशा देने का काम पत्रकारिता के क्षेत्र में आ जाता है। पत्रकारिता जीवन के प्रत्येक पहलू पर नजर रखती है। हमारे सीरवी समाज की पत्रिकाएं निष्पक्ष समाचारों के रूप में अपनी स्वच्छ छवि बनाए रखी है। और लोगों की अपेक्षाओं पर खरी उतरी है। समाज की छोटी से छोटी खबर को भी कवरेज कर पत्रिका में प्रकाशित किया। अखबार के बाद पत्रिकाओं का भी अपना एक विशिष्ट महत्त्व है। पत्रिकाएँ ज्यादातर विषय प्रधान तथा अपने एक सुनिश्चित उद्देश्य को लेकर निकाली जाती हैं। कुछ पत्रिकाएं केवल नवीन कथाकारों की कहानियां ही छापती हैं, सारिका, माया आदि में पहले कहानियाँ छपा करती थीं ।  अपने विशाल समाज की स्थिति को देखते हुए। सीरवी समाज के साहित्यिक दपर्ण सीरवी सन्देश (त्रैमासिक) की शुरुआत राजस्थान सीरवी मण्डल, जोधपुर के तत्वावधान में सन् 1975 में श्री प्रभुलालजी लखावत (बिलाड़ा) द्वारा की गई थी। इसका पहला अंक मार्च 1975 में प्रकाशित हुआ था, श्री आई ज्योति पत्रिका एक आध्यात्मिक,शैक्षणिक व प्रेरक पत्रिका है। यह भारत सरकार द्वारा पंजीकृत है। इसकी स्थापना 2011 में की गई। श्री आई ज्योति पत्रिका श्री आईजी विद्यापीठ का एक दर्पण है। जिसका मूल उद्देश्य संस्थान की सम्पूर्ण गतिविधियों के जानकारी देना है। त्रैमासिक पत्रिका श्री आईजी केसर ज्योति पत्रिका सीरवी शिक्षा समिति बिलाङा का आमुक पत्र है। इसमें श्री आईजी विद्या मंदिर सीनियर माध्यमिक विद्यालय बिलाङा के कार्यक्रमो के साथ प्रेरक लेख प्रकाशित होते हैं। यह पत्रिका सन् 2015 में निकली है।

समाज को एक नई दिशा देने का कार्य किया

पत्रिकाएँ सामाजिक व्‍यवस्‍था के लिए चतुर्थ स्‍तम्‍भ का कार्य करती हैं। पत्र-पत्रिकाएँ मानव समाज की दिशा-निर्देशिका मानी जाती हैं। समाज के भीतर घटती घटनाओं से लेकर परिवेश की समझ उत्पन्न करने का कार्य पत्रकारिता का प्रथम व महत्त्वपूर्ण कर्त्तव्य है। और सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, राजनैतिक, शैक्षिक क्षेत्र में चिंतन की समझ पैदा करने के साथ विचार की सामर्थ्य पत्रकारिता के माध्यम से ही उत्पन्न होती है। पत्रकारिता ने युगों से अपने इस दायित्व का निर्वाह किया तथा दायित्व-निर्वहन की समस्त कसौटियों को पूर्ण करते हुए समय-समय पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की। पत्र- पत्रिकाओं में सदा से ही समाज को प्रभावित करने की क्षमता रही है। समाज में जो हुआ, जो हो रहा है, जो होगा, और जो होना चाहिए यानी जिस परिवर्तन की जरूरत है, इन सब पर पत्रिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। समाज में व्याप्त अंधविश्वास और कुरीतियों पर प्रहार किये और अपने पत्रों के जरिए समाज में जागरूकता पैदा की। समाज में राष्‍ट्रीय चेतना के जागरण, उसमें समसामयिक ज्‍वलन्‍त प्रश्‍नों व समस्‍याओं के प्रति जागरूकता लाने तथा सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों को गतिमान करने के लिए इन पत्रिकाओं ने महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा की। साथ ही इस काल के पत्र-पत्रिकाओं ने हिन्‍दी भाषा के रूप सुधार के क्षेत्र में अमूल्‍य योगदान किया। यह अध्ययन करना अपने-आप में अत्यंत रोचक है,कि पत्रकारिता की यह यात्रा कब और कैसे आरंभ हुई और किन पड़ावों से गुजरकर राष्ट्रीयता के मिशन से व्यावसायिकता तक की यात्रा को उसने संपन्न किया। और साहित्‍यिक प्रवृत्तियाँ एवं अन्‍य सामाजिक गतिविधियों को सक्रिय करने में पत्रिकाओं की अग्रणी भूमिका रही है

 

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