मोबाइल रहित कुछ घंटे अपनो के साथ
कुछ दिन पहले मेरे मित्र के जन्मदिवस पर भोजन का आमंत्रण था, कुछ निकटतम मित्रों का वहाँ मिलना हो गया हंसी ठहाकों, गीतों,मजेदार खेलों, और शानदार खाने से भी ज्यादा, जो बात वहां पर अच्छी लगी। वो यह कि घर में प्रवेश के वक्त दादा जी ने अभिवादन के साथ एक बॉस्केट आगे कर दी यह कहते हुए की कृपया अपने मोबाईल इस बॉस्केट में रखिये और जब तक यहां है, इन्है भूल जाईये” हर मेहमान को यह विचार अच्छा लगा..
सबने इसे स्वीकार किया और मोबाइल से भरी बॉस्केट पुरे कार्यक्रम तक घर के एक कोने में पड़ी रही, यकीनन सबको अच्छा लगा, वरना मस्ती का आधा वक्त मोबाइल हड़प लेते,हाथों की अंगुलियां खाने की प्लेट से ज्यादा मोबाइल स्क्रिन पर नाचती, हम लाइव दोस्तो से ज्यादा डिजिटल दोस्तों में डूबे रहते, उस दिन लगा कि सचमुच कभी-कभी ऐसा होना चाहिए, आदी हो चुके लोगो के लिए ये सुखद अहसास होगा,परिवार, दोस्त, खूबसूरत प्रकृति हो या खाने का स्वाद…
इन सब को भरपुर महसुस करने के लिए कभी-कभी मोबाइल और बॉस्केट का रिश्ता जरूरी है ये थोड़ा मुश्किल है पर, इसे महसुस करने के बाद लगता है कि इसका मजा ही कुछ और है ,तो मित्रों “बताये” मोबाइल सहित कुछ घण्टे”बऔर फिर इसका भी अनुभव अपने विचारों में प्रकट करे।
बहरहाल, उस दिन के बाद मैने भी खाने की टेबल पर, खाना खाने से पहले एक बॉस्केट रखना शुरू कर दिया। पूरा परिवार खाने से पहले अपने- अपने मोबाइल उसमे रख कर साथ भोजन करते।
वो बास्केट मुझे उत्पाती चुहे को पकड़ने वाली चुहेदानी जैसी नजर आती है। आप भी आज ही प्लान करिये एक शानदार चुहेदानी खरीदने का आपकी उम्र में इजाफा ही होगा।
धन्यवाद
DP पटेल(पंवार)s/o मोहन लाल पटेल(पंवार)
शिक्षा- B.Sc. ( कम्प्यूटर साइंस), MSW
पता- 90″गंगा सदन” सज्जन मिल रोड़, जिला रतलाम (मध्यप्रदेश)