सही सोच और सावधानी कर सकती है करोना का खात्म,-किसी भी बीमारी को दूर करने के लिए, उसके बारे में सही ज्ञान, सकारात्मक सोच एवं स्वस्थ जीवन आचरण आवश्यक है। आज के संघर्ष और तनाव के माहौल मैं, अधिकांश बिमारी साइकोसोमैटिक है। अर्थात ज्यादातर रोग दैहिक कमजोरियों से भी अधिक मानसिक दुर्बलता, नकारात्मकता, तनाव व अस्थिरता की वजह से उत्पन्न और संक्रमित होते हैं। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है, अधिकतम आधुनिक बिमारियों की उपज दूषित सोच, तनाव, अशांति, अस्वच्छता एवं विक्षिप्त मानसिकता के कारण होती है।
समग्र विश्व में कोरोना के कहर को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे इस महामारी का फैलाव जितना इसके वायरस संक्रमण की वजह से हुआ है, उससे कई गुणा ज्यादा इस बिमारी के बारे में लोगों के बीच फैले भय, चिंता, आशंका, असावधानी व असतर्कता की वजह से भी हुआ है। इस तरह की नकारात्मक सोच एवं वृत्ति से लोगों में रोग प्रतिरोधक शक्ति भी कम हुई है ।
ऐसे में कोरोना संक्रमण के बारे में सही जानकारी व जागरूकता फैलाने के साथ-साथ लोगों में आत्म विश्वास, आशावादी भावना और मनोबल बढ़ाने की जरूरत है। लोगों को सदा स्वस्थ, संतुलित एवं सुरक्षित रखने के लिए, जरूरी है उनमें सकारात्मक सोच, संवेदनशीलता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, उचित आचरण एवं सात्विक जीवन शैली को विकसित किया जाए।
कोरोना संकट से उभरने के लिए, लोगों को आंतरिक रूप से सशक्त करने की आवश्यक है। अर्थात, तन के रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए उपयुक्त परहेज, शुद्धि, सावधानी एवं सात्विक आहार के साथ साथ मन को भी नकारात्मक, निराशवादी, अशांत एवं अस्थिर वृत्ति और भावनाओं से मुक्त रखने की आवश्यकता है। कमजोर भावनाएं ही मनबुद्धि को दुर्बल करते हैं, जिससे शरीर की इम्युनिटी पावर कम हो जाती है। तभी बाह्य जीवाणु, कीटाणु व विषाणु सहजता से व्यक्ति को अस्वस्थ एवं कई रोगों से ग्रसित करते हैं।
दैहिक या भौतिक स्तर पर भी कोरोना संक्रमण की रोक थाम हेतु सभी आवश्यक बातों पर ध्यान देने के साथ, यह भी समझना महत्वपूर्ण है की, कोरोना वायरस के शिकार हुए लोगों के बारे में दुखद तथा भय फैलाने वाली जानकारियां आम जनता को बार-बार न बताई जाएं। बल्कि ऐसी जानकारी प्रसाशन, महामारी नियंत्रक तथा उपचारों को ही विशेष और विस्तृत रूप में उपलब्ध करवाई जानी चाहिए।
व्यक्तिगत स्तर पर भी लोगों को, कोरोना के बारे में इनफार्मेशन ओवरलोड यानी कोरोना संक्रमण से हुई हताहत वा नुकसान के बारे में विस्तृत सूचनाएं देने से बचना चाहिए। केवल सरोकारी एवं सकारात्मक जानकारियों को ही सार्वजनिक करें, ताकि पब्लिक की मनोस्थिति आशावादी, स्वस्थ एवं शक्तिशाली बने रहे।
दूसरी बात, अपनी सुविधा अनुसार नियमित कुछ देर के लिए मैडिटेशन अवश्य करें। इससे मन, बुद्धि एवं शरीर को सम्पूर्ण व सर्वांगीण स्वास्थ्य प्राप्त होगा। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता, आत्मबल, आत्मविश्वास एवं आत्म निर्भरता में वृद्धि होगी ।
यह मैडिटेशन एक सकारत्मक चिंतन प्रक्रिया है। इसमें मानसिक, बौद्धिक एवं भावनात्मक रूप से इमेजिन (दृश्य निर्माण), विजुअलाइजेशन (चित्रण) एवं पॉजिटिव अफर्मेशन (पुष्टिकरण) किए जाते हैं। इस प्रक्रिया में, जो भी स्वस्थ एवं सुखद जीवन व वातावण बनाना हम चाहते हैं, वह हम बना सकते हैं । दृढ़ संकल्प शक्ति के प्रयोग के साथ मन की एकाग्रता और बुद्धि में लक्ष्य को बार-बार चित्रित करके इच्छित लक्ष्य पा सकते हैं ।
ऐसी मैडिटेशन प्रक्रिया जिसका अभ्यास हम सहजता से उठते बैठते, चलते फिरते कर सकते हैं, उसे आध्यात्मिक ध्यान भी कहते है। उसे हम ‘संकल्प से सृष्टि’ रचने का प्रक्रिया भी कह सकते हैं। यह एक आध्यात्मिक विधि है, जिसके द्वारा हम जीवन में सभी प्रकार की सिद्धि को प्राप्त करते हैं।
महेन्द्र सीरवी पाली (खारडी़)