जीवन में अधिकांश परेशानियों की वजह है असंतोष जो वस्तुएं या सुख सुविधाएं हमें प्राप्त होती है, हमें उनसे ही संतुष्ट रहना चाहिए | अगर असंतोष बना रहेगा तो दुख और परेशानियां का जन्म होता है | अचार्य चाणक्य ने तीन ऐसी परिस्थितियां बताइए हैं, जिसमें व्यक्ति को संतोष करना चाहिए | चाणक्य नीति के तेरहवें अध्याय के 19 वे श्लोक में बताया हैं, हमें किन चीजों में संतोष करना चाहिए और किन चीजों में नहीं
चाणक्य नीति में लिखा है कि
संतोषसस्त्रिषु कर्तव्य: स्वदारे भोजन धने।
त्रिषु चैव न कर्तव्यो अध्ययने जपदानयो :।
– हमें तीन बातों में संतोष कर लेना चाहिए अन्यथा कष्ट झेलना पड़ते हैं । यह तीन बातें हैं पत्नी की सुंदरता के संबंध में , भोजन के संबंध में, धन जितना भी हो ।
– आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पत्नी यदि सुंदर न हो तो व्यक्ति को संतोष कर लेना चाहिए । विवाह के बाद किसी भी परिस्थिति में अन्य स्त्रियों के पीछे नहीं भागना चाहिए । क्योंकि ऐसा होने पर व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की परेशानियां प्रारंभ हो जाती हैं । अत: इन दुखों से बचने के लिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए ।
– भोजन जैसा भी मिले, खुशी से ग्रहण करना चाहिए । व्यक्ति के पास जितना पैसा हो, जितनी उसकी आय हो उसी में खुश रहना चाहिए ।
आय से अधिक खर्च नहीं करना चाहिए । जैसी आर्थिक स्थिति हो व्यक्ति को उसी में संतोष कर लेना चाहिए|
– यह तीन ऐसी बातें हैं जिनमें व्यक्ति को संतुष्ट रखना चाहिए चाणक्य के अनुसार अध्ययन, दान और जप मैं संतोष नहीं करना चाहिए। यह तीन कर्म आप जितना अधिक करेंगे आपके पुण्यों में उतनी ही वृद्धि होगी।
प्रस्तुति :- महेन्द्र सीरवी सैणचा सुपुत्र जयराम जी सैणचा गरनिया (श्री अम्बिका ज्वेलर्स चेलापल्ली हैदराबाद तेलंगाना)