।।जीतेगा भारत,कोरोना की जंग(३)।।
अपना महान राष्ट्र वैश्विक महामारी “कोरोना ” के विरुद्ध जंग लड़ रहा है।इस विचित्र जंग में हर भारतीय अपनी महत्ती भूमिका का निर्वाह कर रहा है। यह अपने आप में विश्व की सबसे अनूठी,विचित्र और कल्पना से परे ऐसी जंग है जो बिना हथियारों से लड़ी जा रही है और इस अनूठी जंग में हर नागरिक को अपना कर्तव्य कर्म करना पड़ रहा है। एक भी भारतीय नागरिक की छोटी-सी लापरवाही राष्ट्र को इस जंग से विजेता बनने से रोक सकता है। प्रत्येक भारतीय नागरिक के अपने शत प्रतिशत योगदान से ही इस जंग को जीता जा सकता है। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय श्रीमान नरेन्द्र मोदी जी ने वैश्विक महामारी “कोरोना” की जंग जितने के लिए सम्पूर्ण राष्ट्र को “लॉकडाउन” करने का एलान करते हुए हर भारतीय से हाथ जोड़ विनती की है कि हर भारतीय सोशल डिस्टनसिंग की ईमानदारी से पालना करते हुए राष्ट्र व्यापी “लॉकडाउन” को सफल बनाने में अपनी महत्ती भूमिका निभाए। हर भारतीय नागरिक ” लॉकडाउन” को कर्फ्यू की तरह ही लेवे और अपने घरों में ही रहे तथा एक दूसरे से कोरोना वायरस से संक्रमित होने से खुद भी बचे,अपने परिवार को भी बचाये तथा राष्ट्र को संक्रमित होने से बचाने का परम पुनीत कर्तव्यकर्म करे ।आपका ईमानदारी से किया गया यह कर्तव्यकर्म राष्ट्र को कोरोना जैसी भयंकर महामारी से बचाने में एक श्रेष्ठ राष्ट्र सेवा का कार्य होगा। राष्ट्रीय नेतृत्व के द्वारा राष्ट्र हित मे लिए गए निर्णय की सफलता हर भारतीयों के सहयोग ,समर्पण,संकल्पशक्ति एवं कर्तव्यपरायणता पर नुरभर है। इस वैश्विक महामारी की भयावयता को समझने के लिए हम सबको यह जानना होगा कि भारत आजादी के बाद पहली बार “लॉकडाउन” हुआ है।पहली बार भारत की रेल सेवा और वायुसेवा को पूर्णतया 21 दिनों के लिए बंद किया गया है। राष्ट्र इस वैश्विक महामारी “कोरोना ” की जंग में कितनी बड़ी कीमत चुका रहा है। हमारे प्रधानमंत्री जी ने राष्ट्र में किसी प्रकार की जनहानि न हो ,इस एकमात्र लक्ष्य को लेकर अपने राष्ट्र भारत में 21 दिन के “लॉकडाउन” करने का एक युगान्तकारी निर्णय कर लिया है।इस निर्णय से सम्पूर्ण विश्व हतप्रभ हो गया है। सम्पूर्ण विश्व भारत की तरफ देख रहा है कि कैसे भारत इस विचित्र जंग में विजेता बनकर उभरे? यह एक कठिन चुनौती है जिसे हर भारतीय नागरिक को सहजता से आत्मसात कर अपनानी है और “लॉकडाउन” को पूर्णतः अपनी ईमानदारी , निष्ठा व कर्तव्यकर्म से सफल बनाना है।इस वैश्विक महामारी “कोरोना ” से विश्व के बड़े से बड़े आर्थिक सम्पन्नशाली देश भी बेबस व लाचार नजर आ रहे हैं और इस जंग को भारत अपने ही सांस्कृतिक आदर्श प्रतिमानों से लड़ रहा है। यह एक वैश्विक आपदा है लेकिन हम भारतीयों के लिए एक अवसर की तरह है कि हम विश्व को कोरोना की जंग में भारत को विजेता बनकर दिखाए और राष्ट्र का गौरव बढ़ाये।यह कठिन चुनौती जरूर है लेकिन इतनी भी कठिन नही है कि भारत इसे जीत न सके। हर भारतीय इसे धीर-गंभीरता से लेकर अपना सर्वोत्तम कर्तव्यकर्म कर भूमिका निभाए तो इस चुनौती से भी हम पार पा लेंगे। “लॉकडाउन” को सकारात्मक दृष्टिकोण से लेवे,इसे अपने ऊपर हौवा न बनने देवे।हर भारतीय “लॉकडाउन” की तुलना अपने महान राष्ट्रनायकों के जेल में बिताए गए दिनों से करे। महान राष्ट्रनायकों ने आप और हम सबकी आजादी और खुशहाली के लिए जो अपना त्याग-अर्पण किया।उसके सामने हमारा अपना त्याग व अर्पण क्या है? इस पर गंभीरता से चिंतन-मनन करे। हम अपने घरों में रह कर राष्ट्रसेवा परम पुनीत कर्तव्य निभा रहे हैं जब कि उन महान राष्ट्रनायकों को जेलों में भी कितनी यातनाएं दी गयी थी।उनके साथ कितना बुरा बर्ताव किया जाता था।उनके लिए निम्न स्तर का खान-पान था।लेकिन उन्होंने माँ भारती को जंजीरों से मुक्त कराने के लिए वे हर कष्ट,पीड़ा एवम यातनाएं सही। राष्ट्र के महान देशभक्त को बर्मा की मांडले जेल में कैद किया गया था।उन्होंने उस जेल के द्वार को चूमा और वन्दन किया तो जेलकर्मी देखते रह गए।ये कैसे भारतीय है! राष्ट्र के महानायक सुभाष चंद्र बोस ने मांडले की जेल से लिखी अपनी डायरी के एक पत्र में उन्होंने जेल को तीर्थ की संज्ञा दी । अब प्रश्न उठता है कि जब राष्ट्रनायकों ने अपनी मातृभूमि के लिए जेलों में न जाने कितने-कितने वर्ष बिता दिए लेकिन कदापि अपनी संकल्पशक्ति से विचलित नही हुए और आज हमें अपने घरों में रहकर “लॉकडाउन” की पालना करना कठिन लग रहा है। हर भारतीय को अपने राष्ट्रनायकों के त्याग,अर्पण, उत्सर्ग और उनकी संकल्पशक्ति से सीख लेनी होगी।उन्होंने जो माँ भारती के लिए अपना अर्पण किया था उसके सामने हमारा अपने घरों में रहकर “लॉकडाउन” की पालना करना कुछ भी नही है।दुर्भाग्य से आज भी कुछ लोग नियमो की धज्जियां उड़ा रहे हैं और ” लॉकडाउन” को धत्ता बताकर यू ही सड़को पर विचरण कर रहे हैं।जिस तरह से टीवी पर “लॉकडाउन” तोड़ने के दृश्य सामने आ रहे हैं,उससे हम कोरोना जैसी वैश्विक महामारी की जंग कैसे जीत पायेंगे? यह चिन्ता मन मे उठ जाती है।केंद्र व राज्य सरकारों ने आम और खास को किसी प्रकार की दिक्कत न हो और गरीबो को भूखे पेट न सोना पड़े ,इसके लिए अपने खजाने को खोल दिया है और योजनाबद्ध ढंग से सरकारे अपनी सर्वश्रेष्ठ भूमिका निभा रही है। इन सबके बावजूद लोग “लॉकडाउन” की पालना नही कर रहे हैं और पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ रहा है,यह कतई उचित नही है। यह कोरोना नही यह एक वायरस जनित महामारी है जिसकी चपेट में आने वाला कोई आम व खास नही है, जो भी चपेट में आया,वह अपनी जिंदगी से गया।इस महामारी की चपेट में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री व शाही परिवार का मुखिया भी आ गया है,जिन्होंने हमारे ऊपर दो सौ वर्षों तक राज किया था। हर भारतीय को इसे हल्के में नही लेना चाहिए। हम सबको अपनी संकल्पशक्ति व संयमशक्ति से इस जंग में भारत को विजेता बनकर दिखाना है।हर भारतीय इस कोरोना जंग में अपना सर्वोत्तम कर्तव्यकर्म कर अपने,अपने परिवार व राष्ट्र को कोरोना वायरस से संक्रमित होने से बचाने में आदर्श नागरिक की महत्ती भूमिका निभाए।
अपने मन के संकल्प को और ज्यादा दृढ़ बनाये और कोरोना की जंग में योगदान करे।
अब इस विषम परिस्थिति और विकट हालात से राष्ट्र को उभारने का एक मात्र बचाव है कि हम सभी “लॉकडाउन” का ईमानदारी से पालन करे।सोशल डिस्टनसिंग रखते हुए राष्ट्र को कोरोना की जंग में विजेता बनाने में महत्ती भूमिका निभाए।
अंत में सभी को यह मेरा अंतर्मन का भाव:-
” समय” न लगाओ
“लॉकडाउन” की पालना करने में…!
वरना “समय” तय कर लेगा कि
आप का क्या करना है।”
आइये आप और हम सभी अपने जान से प्यारे वतन को कोरोना की जंग में जिताये और राष्ट्र को जनहानि से बचाये।
मेरी ओर से सभी वंदनीय बंधुजन-बहनो व हर भारतीय के उज्ज्वल व निरोगमय जीवन की अनेकानेक शुभकामनाये।
हर भारतीय से कोरोना की जंग में शत प्रतिशत योगदान की अपेक्षा में।
आपका अपना
हीराराम चौधरी,सोनाई मांझी
अध्यापक
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,सोडावास(पाली)
संपादक
श्री आई ज्योति त्रैमासिक हिन्दी पत्रिका
(श्री आईजी विद्यापीठ संस्थान,जवाली)