जिसमें पढ़ते बच्चे अपने, विद्या मंदिरों का निर्माण का निर्माण करें। प्रतिभा करे प्रतिष्ठित, जिसमें मानवता के प्राण भरें॥
मंदिर में ही शिक्षा पाये, धर्म-कर्म व मानवता की।नैतिक शिक्षा देवे उनको, जीवन महान बनाने की॥ बालक-बालिका पढे उनमें, समाज का उत्थान हो। मंदिर हमारे रहे न सुनें, ऐसे मन्दिरों का निर्माण करें॥
जिसमें पढ़ते बच्चे अपने, विद्या मंदिरों का निर्माण करें। प्रतिभा करे प्रतिष्ठित, जिसमें मानवता के प्राण भरें॥
उत्तर में दक्षिण तक, विद्या मंदिरों का निर्माण करें। बिना किसी भेद-भाव से, सभी का कल्याण करें॥ मां आईजी के आशीर्वाद से, उनके मंदिरों में यह काम करें। मां आईजी के उपदेशों में ऐसा, बच्चों का आदर्श संस्कार भरें॥
जिसमें पढ़ते बच्चे अपने, विद्या मंदिरों का निर्माण करें। प्रतिभा करे प्रतिष्ठित, जिसमें मानवता के प्राण भरें॥
नीव विधा मंदिर की डालो, चाहे अंदर मंदिर हैं। मंदिर हो या न्यातिन्योरा, गांव हो या शहर हो॥
शिक्षा की ज्योति सदा जलाओ, जहाँ जहाँ अंधियारा हो। हम सब मिलकर प्रयास करें, घर-घर सबके उजियारा हो।
जिसमें पढ़ते बच्चे अपने, विद्या मंदिरों का निर्माण करें। प्रतिभा करे प्रतिष्ठित, जिसमें मानवता के प्राण भरें॥
प्रस्तुति- रतनलाल बर्फा (भावी ) मेडावक्म, चेन्नई