रमेश सीरवी सुपुत्र तगाराम जी सीरवी ,गाँव- चाणोद तहसील -सुमेरपुर पाली Designation:- Senior Nursing Educator, Mumbai
Mob. 77427 37622
दोस्तो मैंने आज एक न्यूज देखी जिसमे एक सीरवी बहिन ने सिजेरियन डिलीवरी होने की वजह से वो डिप्रेशन में थी और उसने आत्महत्या कर दी ।
मैं आप लोगो को यह बताना चाहूंगा कि नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में सीजेरियन डिलीवरी का यौन संबंधों पर खराब असर पड़ता है. सीजेरियन सेक्शन से बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं को यौन संबंध बनाने के दौरान या इसके बाद महिला को भयंकर पीड़ा से गुजरना पड़ता है, जिसे ‘डिस्परेयूनिया’ कहते हैं. सीजेरियन सेक्शन या वैक्यूम एक्सट्रैक्शन डिलीवरी के 6 से लेकर 18 महीनों तक महिलाओं को डिस्परेयूनिया से गुजरना पड़ता है।नॉर्मल डिलीवरी की अपेक्षा सीजेरियन या वैक्यूम एक्सट्रैक्शन डिलीवरी वाली महिलाओं को अगले 18 महीनों तक डिस्परेयूनिया होने का दोगुना जोखिम होता है। लेकिन इससे जिंदगी खराब नही होती है। ये हर महिला के दिमाग मे एक गलतफहमी होती है कि सिजेरियन डिलीवरी होने के बाद लाइफ पहले जैसी नही रहेगी। ऐसा कुछ नही है। डरने की आवश्यकता नही है। किसी महिला को डिप्रेशन में जाने की जरूरत नही है।
सिजेरियन डिलिवरी का चलन आजकल काफी बढ़ गया है। कम से कम 70 से 80 % डिलिवरी सिजेरियन के जरिए ही हो रही है। लेकिन पहली सिजेरियन डिलीवरी के बाद दूसरी डिलिवरी नॉर्मल हो सकती है, इसलिए हर बार सिजेरियन डिलीवरी की धारणा मां और ट्रीटमेंट करने वाले डॉक्टर दोनों को बदलनी चाहिए।
पहली डिलिवरी सिजेरियन के जरिए कराने वाली महिलाएं अपनी अगली डिलीवरी नॉर्मल करा सकती हैं। लेकिन दो बार सिजेरियन कराने के बाद तीसरी बार नॉर्मल डिलिवरी नहीं की जा सकती। पहली बार सिजेरियन के बाद दूसरी डिलिवरी नॉर्मल हो सकती है, लेकिन अगर यूटेरस के पास की हड्डी दबी हो तो सिजेरियन ही करनी होती है, अगर किसी महिला की दो बार सिजेरियन से डिलिवरी हो चुकी है, तो उसका एरिया वीक हो जाता है। ऐसी हालत में अगली डिलिवरी भी सिजेरियन ही करनी होती है, क्योंकि वीक एरिया फटने की आशंका रहती है।
देश में स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सेवाओं के मुद्दे ज़्यादातर हाशिये पर ही रहते हैं, उसमें भी खासकर महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी बातों को ख़ास तवज्जो नहीं मिलती है, ऐसा ही एक बड़ा मुद्दा देश में सिज़ेरियन डिलीवरी या सी-सेक्शन डिलीवरी की बढ़ती दर का है, जिस पर बात करना जरूरी है।
हम किसी के ख़िलाफ़ नहीं हैं, न ये कोई ब्लेम-गेम है. सिज़ेरियन डिलीवरी कई केसेज़ में बेहद ज़रूरी है और होना भी चाहिए, पर इसका अनावश्यक उपयोग रुकना चाहिए.
आखिर सी-सेक्शन या सिजेरियन डिलीवरी में यह बढ़ोत्तरी क्यों आई? सबसे बड़ा कारण है समाज मे उचित जानकारी का अभाव. महिलाओं को अपने स्वास्थ्य और अपने शरीर के बारे में ही पता नहीं है. ऐसे में जब डॉक्टर जरा भी डर दिखाते हैं, तो महिलाएं सिज़ेरियन के लिए तैयार हो जाती हैं. उस समय सभी की प्राथमिकता स्वस्थ बेबी का पैदा होना होता है। इस बात पर किसी का ध्यान नहीं जाता है कि इससे होने वाली मां को यौन संबंध से रिलेटेड समस्या से गुजरना पड़ेगा .
मैं खुद इसी फील्ड से हु, लेकिन ये सब जानकारी हर महिला और पुरुष को होनी चाहिए।
स्वास्थ्य सेवाओं के व्यवसायीकरण की बात से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि ज़ाहिर है सिज़ेरियन डिलीवरी में खर्च नॉर्मल डिलीवरी से ज्यादा होता है. लेडी को अधिक समय तक अस्पताल में रहना होता है, जिसका सीधा असर उनके बिल पर पड़ता है.