हाथ जोड़ मैं करू विनती, सुनलो मारा नाथ ।
नशो मत करो साजना, घर रो होवे नाश ।।
नशो करने घर पर आवे, हो तुम आधी रात ।
लड़खड़ाते कदमों से चलते, मुंह मैं आवे बास ।।
घर मैं कोनी आवे दाल, टाबरों रा बुरा हाल ।
देखी थारी आदत ऐसी, भुखा जावे मेहमान ।।
पास पड़ोसी, हंसी उड़ावै, नही बैठाते पास ।
नशा मत करो साजना, घर रो होवे नाश ।।
मंगल सूत्र गला रो बेचियो, बेची रखड़ी टोटी ।
नशो करके सुध बुध खोई, बातों बोली खोटी ।।
कर्ज सूं कर लियो, तन को अणुतो नाश ।
मार पीट नित रा करता, थाने आवे नही लाज ।।
तन मैं दीखे सूखी हड्डियां, गलतो जावे मांस ।
रोग अनेक अबे लागिया, आवे नी आदत सू बाज ।।
घर की नारी आज तुम्हारी, करती तुमसे विनती आज ।
नशा मत करो साजना, घर रो होवे नाश ।।
प्रस्तुति :- महेन्द्र लेरचा सीरवी राजादण्ड तहसील जैतारण विलीवाक्कम चेन्नई