गीत हम गाएंगे कोरोना तुम्हें हराएंगे

मध्य प्रदेश। इंदौर पुलिस उप निरीक्षक श्री लोकेश जी सीरवी (गेहलोत) साहब ने कविता के जरिए पुलिस का कर्तव्य बखान किया।पुलिस का मनोबल बढ़ाने व उनमें सकारात्मता लाने के लिए पुलिस के वायरलेस सेट पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम गीत हम गाएंगे कोरोना तुम्हें हराएंगे के तहत सोमवार को पुलिस कंट्रोल रूम में पद उप निरीक्षक लोकेश जी गेहलोत साहब ने अपनी प्रस्तुति दी । इसमें उन्होंने पुलिस के कर्मवीर योद्धाओं को नमन करते हुए पुलिस की कर्तव्यपरायणता को दर्शाती एक स्वरचित कविता देशभक्ति की राह का राही हूं मैं मध्य प्रदेश पुलिस का सिपाही हूं सुनाई।इस कविता के माध्यम से सभी पुलिसकर्मियों का ना केवल मनोबल बढ़ा कर उत्साहवर्धन किया बल्कि और अधिक ऊर्जा व जोश के साथ कोरोना की इस जंग को लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया उक्त पुलिस की कर्तव्यपरायणता दर्शाने वाली व उत्साह से भरी कविता सुनाने पर पुलिस उपमहानिरीक्षक हरिनारायण चारी मिश्र मैं लोकेश गेहलोत को उनकी कविता की प्रशंसा व उत्साह वर्धन करते हुए उन्हें पुरस्कार दिया साथ ही उन्होंने सभी पुलिसकर्मियों की हौसला अफजाई करते हुए कहा कि आप सभी के द्वारा पूरे जोश व उत्साह के साथ बहुत ही अच्छी ड्यूटी की जा रही है इस बीमारी से हमारे कुछ साथी जरूर संक्रमित हो गए थे लेकिन उनमें से अधिकतर पूर्ण स्वस्थ होकर वापस आ गए हैं उन्होंने सभी से अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर विशेष ध्यान देते हुए पूरी सावधानी और सतर्कता के साथ ड्यूटी करने की समझाइश दी गई और कहा कि आप सभी के द्वारा जो एकजुटता और उच्च मनोबल के साथ काम किया जा रहा है तो निश्चय ही आपके इस जज्बा से हम जंग जरूर जीत जाएंगे

*कविता:-*
निकल पड़ा कर्मपथ पर मैं
खाकी पहन धर्मरथ पर मैं।
जहां भेजा वहां चला गया
कर्तव्य के ही तीरथ पर मैं।।
देशभक्ति की राह का राही हु
मैं मप्र पुलिस का सिपाही हु।।

संकट से कभी डरा नही
शिकन चेहरे पर जरा नही।
जिससे शर्मिंदा हो वर्दी मेरी
काम ऐसा कभी करा नही।
अमिट संविधान की स्याही हु
मैं मप्र पुलिस का सिपाही हु।

डटा कोरोना योद्धा रूप में
चिलचिलाती कड़ी धूप में।
वह अपमान करते रहे मेरा
सेवा करते रहा होकर चुप मैं।
स्वयं महाकाल की गवाही हु
मैं मप्र पुलिस का सिपाही हु।

चंद्रवंशी सर को दम तोड़ते देखा
यशवंत सर को साथ छोड़ते देखा।
साथियों को खोते रहा रोज ही
वर्दी को ड्यूटी पर दौड़ते देखा।
कभी कभार मौत अनचाही हु
मैं मप्र पुलिस का सिपाही हु।

जहां कर्मवीरों को घसीटा गया
चन्दन नगर में मुझे पीटा गया।
मैं हाथ जोड़कर समझाता रहा
कर्तव्य अपने खूब निभाता रहा।
मैं विजय रथ की आवाजाही हु
मैं मप्र पुलिस का सिपाही हु।

कामयाबी से प्रीत कर आएंगे
हर जंग हम जीत कर आएंगे।
हारे कोरोना भारत मुस्कुराए
काम पावन पुनीत कर आएंगे।
गाथा कवियो के द्वारा गाई हु
मैं मप्र पुलिस का सिपाही हु।

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