पाली:–तहसील मुख्यालय रानी से लगभग 20 किमी दूर खौड़, कल्याणपुरा, चांगवा,कीरवा, चांचोड़ी, नादाणा भाटान,गांगंणा गुड़ा और जवाली के मध्य नादाणा भाटान पंचायत का छोटा सा गांव है -खरोकड़ा

तहसील मुख्यालय रानी से लगभग 20 किमी दूर खौड़, कल्याणपुरा, चांगवा,कीरवा, चांचोड़ी, नादाणा भाटान,गांगंणा गुड़ा और जवाली के मध्य नादाणा भाटान पंचायत का छोटा सा गांव है *-खरोकड़ा।*
छत्तीस कौम के मात्र 375 घर की बस्ती खरोकड़ा में सीरवी समाज के अलावा राजपुरोहित, राजपूत, देवासी, मेघवाल, सरगरा, कुम्हार, सुथार, माली, लौहार, जोगी और नाई यहां पर बसे हुए हैं।
*सीरवी समाज के मात्र 32 घर है* जिनमें काग, गहलोत, सोलंकी, सिन्दड़ा, लचेटा, चोयल,बरफा, परमार और सैणचा यहां निवास कर रहे हैं *जिनमें सैणचा गौत्र के मात्र दो परिवार है जो बिठौड़ा गादी को मानने वाले हैं पर 32 घरों में काम काज और सेवा में सबसे आगे रहते हैं।*
यहां पर श्री आई माताजी की बडेर काफ़ी पुरानी है बडेर के सामने हाॅल है, स्नानघर है लेकिन शौचालय नहीं है,भैल खड़ी करने के लिए सामने नीचे गली में स्थान है जो सुविधाजनक नहीं है।
यहां श्री आई माताजी बडेर की *प्राण प्रतिष्ठा आषाढ़ सुदी नम्, सोमवार दिनांक 03/07/1998 के शुभ अवसर श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल परम पूज्य दीवान साहब माधव सिंह जी के कर कमलों से हर्षोल्लास से सम्पन्न हुई।*
कुछ आपसी विवाद एवं पंचों पर पुलिस केस के कारण कोटवाल जमादारी के पद से सभी बचते रहे हैं। अधिक जोर देने पर *जमादारी पद पर श्री गोमाराम जी भीकाजी सिन्दड़ा* ने अपना नाम लिखवाया, सीरवी समाज की विडम्बना देखिए कि पुजारी मूलाराम जी प्रजापति ही पिछले पांच सालों से श्री आई माताजी की सेवा पूजा कर रहे हैं एवं कोटवाल, जमादारी और पुजारी का दायित्व निर्वहन भी कर रहे हैं। मां के घर में देर है अंधेर नहीं है जिसने श्री आई माताजी के काम में रोड़े अटकाए और सीरवी समाज में भय पैदा किया वह लाइलाज बीमारी के साथ खाट पकड़े हुए हैं। इसलिए कहा गया है कि भला हो सके तो करो पर बुरा मत करो।
यहां से सरकारी सेवा में अभी तक किसी ने खाता ही नहीं खोला है।
*यहां से राजनीति में पाली में मेडिकल व्यवसायी (सीरवी मेडिकल) और अब दक्षिण भारत में प्रवासी श्री केसाराम जी भीकाजी गहलोत नादाणा भाटान पंचायत के एक बार सरपंच रहे।*
खरोकड़ा से इस समय खरोकड़ा, पाली, सूरत, मुंबई, पुणे और नाशिक में सीरवी बंधु सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं।
यहां से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में रसोइया के रूप में श्री दीपाराम जी खेताजी काग मुम्बई गये, श्री दीपाराम जी इन्दाजी गहलोत भी मुम्बई गये।
ग्राम विकास के कार्य में श्री केसाराम जी भीकाजी गहलोत ने नादाणा भाटान में प्याऊ बनवाई।
दक्षिण भारत की संस्थाओं में फिलहाल कोई पदाधिकारी नहीं है।
इस बार इस गांव में गमी हो जाने पर भैल का दौरा निरस्त किया गया एवं जात लाने के लिए जाने पर यह जानकारी जमादारी गोमाराम जी सिन्दड़ा और अन्य बांडेरुओं से प्राप्त की।
बडेर का पुनः जीर्णोद्धार आवश्यक है, सीरवी समाज में आपसी सहमति और तालमेल के साथ ये कार्य हो सकता है।
गांव खरोकड़ा के चंहुमुखी विकास और खुशहाली की मां श्री आईजी से कामना करता हूं -दीपाराम काग गुड़िया।

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