श्री आईजी युवा मंच पूना द्वारा आयोजित 13 वां प्रतिभा सम्मान समारोह सम्पन्न

महाराष्ट्र पुणे। श्री आईजी युवा मंच पूना द्वारा आयोजित 13 वां प्रतिभा सम्मान समारोह सम्पन्न विश्व गुरु से सुशोभित भारत देश विशिष्ट प्रतिभाओं का जन्म स्थली रहा है जीवन के हर क्षेत्र में पुरे विश्व में भारत की प्रतिभाओं की स्पष्ट झलक देखने को मिलती हैं। जब दुनिया के लोगों को वस्त्र पहनने का ज्ञान नहीं था तब भारत में बच्चे वेदों की शिक्षा ग्रहण कर रहे थे कालान्तर में यह परम्परा कायम नहीं रह पाने से विदेशी हावी हो गए और उधार के ज्ञान से प्रभावी हो गए ऐसे समय में स्वामी विवेकानंद जी ने पुनः भारत के गौरव को विश्व पटल पर रखकर अपनी प्रतिभा के बल पर विश्व में भारत का डंका बजाया। इसी तरह से विश्व में भारत का डंका बजता रहे ऐसी सोच लेकर आईजी युवा मंच पुणे पिछले 13 सालों से प्रतिभाओं का सम्मान कर हौसला बढ़ाने का पुण्य का कार्य कर रहा है।

एक दिसंबर 2019 को आई माताजी मंदिर बिबवेवाङी मैं मंच का तेरहवा समारोह मुख्य अतिथि मान दीपारामजी काग गुड़िया तथा श्री खीमराजजी परमार गुडा जैत सिंह की अध्यक्षता मैं बहुत ही व्यवस्थित व शानदार ढंग से सफल आयोजित किया गया इस कार्यक्रम मैं विशिष्ट अतिथि थे श्री खीवारामजी प्रधानाचार्य जाडन श्री देवारामजी काग हैदराबाद बाल संस्कार केंद्र मनोहरजी सीरवी वैज्ञानिक पुणे श्रीमती उषा सीरवी शमशाबाद श्री कानाराम परिहार पीपल थे इस कार्यक्रम मैं हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी समाज रत्न पुरस्कार प्रदान किए गए इस वर्ष का पुरस्कार प्राप्त करने वालों में स्वर्गीय श्री पुखराजजी बिलाड़ा को मरणोपरांत तथा श्री हिरारामजी गहलोत सोनाईमांजी संपादक श्री आई ज्योति पत्रिका दोनो को दिया गया अन्य अतिथियों में श्रीमान नेनाराम पेमा जी परिहार श्री मोहनलाल जी सोलंकी हैदराबाद थे कार्यक्रम की शुरुआत मां आई जी के दीप प्रज्वलित व पूजा अर्चना करने से हुई सभी अतिथियों ने बहुत ही भावपूर्ण ढंग से मां आईजी की आरती का गायन किया गया आरती के बाद बालिकाओं द्वारा गीत के माध्यम से अतिथियों वह कार्यक्रम में पधारे समस्त प्रतिभाओं का स्वागत किया गया इस कार्यक्रम की एक खास विशेषता यह भी है कि बाल कलाकारों को भी हुनर दिखाने का अवसर प्रदान किया जाता है इस कड़ी में 250 बाल चित्रकारों को अपनी कलम से भावनाओं कल्पनाओ को कागज पर उकेरा जिसकी एक शानदार प्रदर्शनी लगाई गई जिसकी सभी ने बहुत तारीफ की श्रेष्ठ 24 प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया व उन्हें स्मृति चिन्ह दिए गए प्रतिभाओं के सम्मान में सबसे पहले कक्षा 1 के नन्हे मुन्ने को मंच पर बुलाया गया की संख्या 20 थी 80% से अधिक अंक प्रदान करने वालो का सम्मान मंच करता है दूसरी कक्षा के 36 तीसरी कक्षा के 29 चोथी के 34 के पाँचवी के 23 छठी के 17 सातवी के 24 आठवीं के 14 नवी के 10 दसवी के 24 11वीं के तीन 12वीं के 6 विद्यार्थियों को बारी-बारी से मंच पर बुलाकर सम्मानित किया गया इन्हें एक इन्हें एक शानदार तस्वीर स्वामी विवेकानंद जी के चित्र के साथ संदेश लिखी हुई प्रदान की गई साथ ही हिरारामजी से तैयार किया गया प्रेरणात्मक पत्रक भी दिया गया पुरस्कार प्राप्त करने वाले बच्चों के खिल खिलाते चेहरों पर सम्मानित होने की खुशी स्पष्ट झलक रही थी उद्घोषक विशाल रामावत द्वारा बच्चों के जीवन में क्या बनने व अन्य प्रेरणात्मक प्रश्न पूछकर बच्चों में नया जोश भरा कार्यक्रम में बच्चों व उनके अभिभावकों ने 1:00 बजे से आना शुरू किया जो 3:00 बजे तक पंडाल में सभी प्रतिभाएं आकर अपना स्थान ग्रहण कर लिया था कार्यक्रम ठीक 4:00 बजे शुरू हुआ था बालिकाओं द्वारा शानदार नृत्य भी पेश किए गए जिन्हें बीबबेवाडी महिला मंडल द्वारा तैयार किया गया कार्यक्रम को अपने उद्बोधन से लाभान्वित करने वालों ने इस प्रकार अपना उद्बोधन दिया है देवारामजी जाणुन्दा हैदराबाद में बाल संस्कार शिविर चलाने वाले श्री देवारामजी ने अपनी बात कहते हुए बताया कि हम बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं परंतु संस्कार नहीं दे रहे हैं तो शिक्षा कोई काम की नहीं है हमें संस्कार पर भी जोर देना है और प्राचीन गुरुकुल पद्धति से शिक्षा व संस्कार देकर बालकों को चरित्रवान बनाकर देश के लिए उपयोगी बनाना है

मनोहरजी सीरवी वैज्ञानिक पुणे में कार्यरत बाली निवासी वैज्ञानिक श्री मनोहरजी ने बताया कि स्वाइन फ्लू या इस जैसी वायरस जनित बीमारियों के उपचार की खोज का काम हम कर रहे हैं वायरस से फैलने वाली बीमारियों की सावधानियां बताई तथा बच्चों में लड़का और लड़की को समान रूप से आगे बढ़ाने तथा लड़कियों को ज्यादा मौका देना चाहिए
कानाराम परिहार कालापीपल हिंदी साहित्य के व्याख्याता श्री कानाराम जी ने अपनी बात कहते हुए बताया कि समय के अनुरूप हर क्षेत्र में बदलाव जरूरी है हमें बच्चों के बारे में सोच बदलनी होगी जीवन में मां-बाप की बहुत बङी भुमिका होती है उन्हें भी 4 तरीकों से बदलाव हो पहले मां बाप फिर गुरु फिर मित्र और बुढ़ापे में मां बाप को बच्चों की तरह मानकर उनकी सेवा करते रहना चाहिए तब हमें सच्चा आशीर्वाद मिलेगा

हैदराबाद से पधारी बहिन उषा सीरवी ने मां के बारे में एक शानदार मीठी आवाज में प्रेरणात्मक गीत प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया समाज रत्न श्री हिरारामजी सोनाईमांजी ने अपना उद्बोधन देते हुए बताया कि विद्यार्थियों को अपना लक्ष्य तय करके पढ़ना होगा जीवन में क्या बनना चाहते हैं वह बन सकते हैं साथ ही मोबाइल को आतंकवादी बताते हुए बारहवी तक मोबाइल का उपयोग नहीं करने की सलाह दी अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर व कैरियर पर होना चाहिए हमें माता-पिता व गुरुओं की आज्ञा का पालन अवश्य करना चाहिए जीवन का सर्वांगीण विकास करना है आई माताजी के 11 नियमों की तरह विद्यार्थियों के लिए सीख देने वाले 11 नियम का एक प्रेरणात्मक पत्रक सभी प्रतिभाओं को दिया जिन बातों को जीवन में उतारने की सलाह दी
श्री खींवारामजी चौधरी प्रधानाचार्य जाडन जाडन के प्रधानाचार्य श्री खीवारामजी ने बताया कि हमें हर क्षेत्र के बारे में सोचना होगा राजनीति व प्रशासन सब जगह अपनी भागीदारी बढ़ानी है तो हमारे काम आसान होंगे नहीं तो बहुत तकलीफ होगी बच्चे मां-बाप को देखकर सीखते हैं अतः हमें बच्चों के सामने उसी अनुरूप रहना होगा आपने मधुर आवाज में यह गीत भी प्रस्तुत किया जो सभी को बहुत अच्छा लगा दीपा राम जी का गुड़िया आज के मुख्य अतिथि श्रीमान दीपारामजी काग ने अपने उद्बोधन में पुणे का अर्थ बताते हुए कहा कि पुणे या पूर्ण है वहां क्या कमी सीरवी समाज ने आर्थिक रूप से बहुत उन्नति की है वह कर रहे हैं अब जमाना बदल रहा है और व्यापारी को भी पढ़ा लिखा होना बहुत जरूरी हो गया है अतः डिग्री तक की पढ़ाई अवश्य करें जीवन में मां बाप का उपयोग समझकर बच्चों को हर प्रकार से शिक्षित करें जो जिस क्षेत्र में है उसे उसी क्षेत्र में आगे बढ़ावे उस पर अपनी महत्वाकांक्षा नहीं थोपे उन पर दबाव नहीं डाले हैं अच्छे कार्यक्रम के आयोजन हेतु आई जी युवा मंच को धन्यवाद दिया इनके बाद श्रीमान मोहन लाल जी सोलंकी और रमेश जी ने भी अपना उद्बोधन दिया अंत में आईजी युवा मंच के संस्थापक नेनाराम जी ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आपको इस कार्यक्रम में कमी महसूस हुई हो तो हमें अवश्य बताएं और कोई बात अच्छी लगी हो तो औरों को बताएं कार्यक्रम समाप्ति पर सभी ने प्रसाद ग्रहण किया और एक सुनहरी याद देकर प्रस्थान किया

लेखक:- कानाराम परिहार कालापीपल व्याख्याता रा उ मा वि धुरासनी सोजत जिला पाली

Recent Posts