सीरवी समाज के आई माता मंदिर में चतुर्मास कर रहै है शीतल संत राजाराम ने कहा कि जिस युग में हम जी रहे हैं

आज का युग बाजार के जकड़ में
बेंगलुरु:- सीरवी समाज के आई माता मंदिर में चतुर्मास कर रहै है शीतल संत राजाराम ने कहा कि जिस युग में हम जी रहे हैं, वह बाजार की जकड़ में है। भौतिक वस्तुएं ही व्यक्ति को सब कुछ लगने लगी है। व्यक्ति ग्राहक मात्र होकर रह गया है इसलिए कथा तो सिर्फ एक बहाना है, वास्तविकता में कथा के माध्यम से हर साधक को जगाना और संस्कारों की फसल उगाना है। समाज में जितनी भी प्रतिकूलताएं व प्रकृति में विकृतियां है, उन सब का मूल कारण संयम का न होना है।ज्यादा से ज्यादा पाने की इच्छा ने असंतुलन को जन्म दिया है।इसका एकमात्र समाधान हैं कि संयमित जीवन जिया जाए।जैसा कि मिट्टी का घड़ा आकाश की ओर पीठ और धरती की ओर मुख करके पड़ा रहे तो चाहे कितनी भी वर्षा हो जाए, वह घड़ा नहीं भरेगा।उसी प्रकार क्रोध कामना की कोख से उपजता है। यदि कोई कामना अधूरी रहे तो व्यक्ति आपा खो बैठता है। इसलिए मनुष्य को जीवन में संतुलन बनाए रखना बहुत आवश्यक हैं। कामनाओं पर काबू आवश्यक है। मनुष्य आदर के प्रति अत्यधिक आसवक्त होता है। वह सदैव आदर चाहता है। इसका कारण यह है कि उसके भीतर ईश्वर का अंश है। इसी कारण उसे आदर सम्मान की इच्छा जागृत होती है इसलिए अभी आप आदर चाहते हैं तो आदर बोझए । क्योंकि आदरणीय वही होते हैं जो दूसरों को आदर देते हैं। हेमाराम पंवार,दलाराम लचेटा,ओमप्रकाश बर्फा,नारायणलाल लचेटा,डावराम पंवार,रूपाराम पंवार आदि उपस्थित रहे।।

Recent Posts