हमारी प्रतिभाएँ (3) सुश्री हिरल गेहलोत, बडगांवडा M Sc. (Guj. Univ.-Gold Medal), CSIR- NET (AIR-36}, JRF (AIR-83), Ph.D-Cont.

हमारी प्रतिभाएँ (3) सुश्री हिरल गेहलोत, बडगांवडा M Sc. (Guj. Univ.-Gold Medal), CSIR- NET (AIR-36}, JRF (AIR-83), Ph.D-Cont.

यूँ हीं नहीं मिलती राही को मंज़िल
एक जुनून सा दिल में जगाना होता हैं
पूछा चिड़िया से, कैसे बनाया आशियाना
तो बोली, भरनी पड़ती है उड़ान बार-बार
तिनका-तिनका उठाना होता है।

दोस्तो, प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। वह अपना मुकाम ढूंढ ही लेती है, कई प्रतिभाओ ने जमीन से छोटी सी शुरुआत कर गगन को छुआ है। अपने समाज में भी ऐसी प्रतिभाएं है जिन्होंने लगन व दृढ इच्छाशक्ति के दम पर मुश्किल से मुश्किल लक्ष्य को भी आसानी से प्राप्त किया और दिखा दिया कि अगर हौसले बुलंद हों और दिल में मंजिल पाने की चाहत हो तो कोई भी परिस्थिति इंसान को रोक नहीं सकती।

दोस्तों, कुछ इसी तरह की मिसाल पेश की है गांव बडगांवडा की बेटी सुश्री हिरल गेहलोत ने, जिन्होंने अपनी लक्ष्य के प्रति कठिन मेहनत, नियमित अध्ययन, सकारात्मक सोच, दृढ इच्छाशक्ति, जूनून और बौद्धिक क्षमता के बल पर केरियर के शिखर पर पहुँची व समाज की श्रेष्ठतम प्रतिभाओ में अपने आपको स्थापित किया।

बहुमुखी प्रतिभा के धनी शांत स्वभाव, व्यवहारशील व कठिन परिश्रमी, कुशाग्र बुद्धि बडगांवडा हाल अहमदाबाद निवासी हिरल गेहलोत का जन्म 1995 मे हुआ। मां धापु देवी के संस्कारमय पवित्र आंचल में पली-बढ़ी हिरल के पिता श्रीमान छगनलालजी गेहलोत, अहमदाबाद के एक जाने माने, सफल केटर्रस, समाज सेवी, भामाशाह थे जिनका 2010 मे हृदय गति रुक जाने से देहवसान हो गया।

आपकी स्कूल एजुकेशन Don Bosco English, School अहमदाबाद से हुई है, हमेशा कक्षा मे अव्वल रहने वाली हिरल ने दसवीं मे 80% व बारहवीं मे 79% बनाये तथा पिताजी का सपना था डाँक्टर बनना, जो आपने चिकित्सक बन कर नही कर पाये तो शिक्षा मे डाँक्टरेट कर अपने नाम के साथ डाँक्टर लगा दिया ।आपने बारहवीं के बाद अपने लक्ष्य को चुनौती के रुप मे लेकर कठिन परिश्रम के साथ बायोकेमिस्ट्री विषय से St.Xavier’s College, अहमदाबाद से उच्चतम स्कोर से ग्रेजुएशन किया।

*आपने गुजरात युनिवर्सिटी से M.Sc. Biochemistry मे गोल्ड मेडल हासिल किया।*

तत्पश्चात आपने UGC द्वारा आयोजित महत्वपूर्ण *लेक्चररशिप पात्रता परीक्षा CSIR-NET आँल इंडिया रेंक 36 से पास की* जिसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कालेजों व विश्वविद्यालयो में प्रोफेसर बनने के लिए अनिवार्य बनाया है ।

*आपने JRF यानि Junior Research Fellowship परीक्षा आँल इंडिया रेंक 83 से पास की।*

वर्तमान में आप गुजरात यूनिवर्सिटी से ही *रिसर्च टाँपिक Cause of Polycystic Ovary Syndrome मे Ph.D* के तीसरे साल मे है।

*अनुसंधान मे रिसर्च करने व स्किल को बढ़ाने के लिए आपको JRF परीक्षा अच्छी रेंक से पास करने पर केन्द्र सरकार द्वारा तीन साल से हर महिने रु. 40,000/- की फैलोशिप मिल रही है, जो Ph.D कम्पलीट होने तक जारी रहेगी।*

सुश्री हिरल गेहलोत अपने तीन भाई बहनो मे सबसे छोटी है। बडे भाई प्रकाश गेहलोत स्विजरलैंड, यूरोप से एमबीए है और पिताजी के देहांत के बाद उनका कारोबार संभाल रहे हैं। आपकी बडी बहिन पिंकी, गांव चाणोद हाल पाली निवासी श्रीमान लुम्बारामजी चौहान की पुत्रवधु है और पाली मे चिकित्सा विभाग मे फार्मासिस्ट के पद पर कार्यरत है।

आज की युवा पीढ़ी को ऐसे सफल प्रतिभाओ के संघर्ष जीवन से शिक्षा लेकर आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि जो लक्ष्य को चुनौती के रूप में लेकर आगे बढ़ते है वे ही लोग उदाहरण बन जाते है।

अतः युवा शक्ति को चाहिए कि वे नकारात्मक बातों से विचलित न होकर अपने मन-मस्तिष्क व दिलो-दिमाग में केरियर के लिए जो सपना संजोया है उसे पूरा करने के लिए सकारात्मक सोच ,दृढ़ इच्छाशक्ति और पूर्ण आत्मविश्वास से अपनी सम्पूर्ण मानसिक, बौद्धिक व शारीरिक क्षमता से काम करे और सफल होकर दिखाए।
जीवन में सदा याद रखे कि,”असम्भव कुछ भी नही है।”
बस जरूरत है कि व्यक्ति अपनी सामर्थ्यता और सकारात्मक- संकल्पवादी सोच से कठोर पुरुषार्थ करे। ऐसे समर्थ व योग्य व्यक्ति जीवन में जरूर सफल होते है।
आप जेसी श्रेष्ठ वन्दनीय प्रतिभा को मेरा सादर अभिनंदन-वन्दन सा।

एक बार पुनः बेटी हिरल गेहलोत को हार्दिक बधाई और शुभकामनाओ के साथ उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। आशा है कि आप शिक्षा मे उच्चतम डिग्री प्राप्त करके समाज की पूर्ण निष्ठा के साथ सेवा करेंगी।

दौलाराम सोलंकी, धणा, उदयपुर

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